यह एक जलीय पौधा है जिसकी जड़ पानी के अंदर और पत्तिया पानी की सतह के ऊपर तैरती रहती है। कम लागत और अच्छी कमाई देने वाली इस खेती से किसान सीजन में अच्छी कमाई कर रहे है |
सिंघाड़े का इस्तेमाल सब्जी, फल या सूप किसी भी तरह से किया जाता है। इसके अलावा कई तरह के रोगों में यह औषधि का काम करता है।
सिंघाड़े क मांग पूरे सालभर तक रहती है -
किसान भाई ध्यान रखे - इस फसल के लिए नर्सरी तैयार करते समय ध्यान रखें कि आप जनवरी-फरवरी के महीने में नर्सरी तैयार करें।
जब पौध रोपण के लायक हो जाए तो मई जून के महीने में इनमें से एक एक मीटर लंबी बेल तोड़ कर उन्हें तालाब में रोप देना चाहिए।
सिंघाड़े की उन्नत बीज किस्में ?
1 - लाल छिलके वाली -VRWC1 और VRWC 2 है। लाल छिलके वाली किस्म को बहुत कम उगाया जाता है ।2 - हरे छिलके वाली - यह किस्म काफी प्रचलित है। बाज़ार में काफी बिकती है।
सिंघाड़े की जल्द पकने वाली किस्मों में -
हरीरा गठुआ, लाल गठुआ, कटीला, लाल चिकनी गुलरी, है और इनकी तुड़ाई 120 से 130 दिन में होती है।
सिंघाड़े की बुआई कब करें ?
मानसून के समय इसके लिए एकदम बेहतर समय माना जाता है। मॉनसून की बारिश के साथ ही सिघाड़े की बुआई शुरू हो जाती है। जून-जुलाई में सिंघाड़ा बोया जाता है।
भारत मे सर्वोधिक सिंघाडा कहां उगाया जाता है ?
देश में सर्वोधिक इसकी खेती उतर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में खूब होती है।
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