Last Updated on September 5, 2022 by krishisahara
देश मे फसल अवशेष जलाने की जो घटनाए है वो दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इसको लेकर देश का सुप्रीम कोर्ट और सरकारे बहुत चिंतित है | हाल ही मे सुप्रीम कोर्ट ने देश की विभिन्न राज्यों की सरकारों को आदेश दिए है की अपने राज्य मे इस प्रकार की घटनाए घटती है तो स्वं जिम्मेदार होंगे | जिसके तहत राज्य सरकारों ने भी कमर कस ली है और किसानों पर इन घटनाओ पर कड़ी कार्यवाही(सजा और जुर्माना ) कर रही है |
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पिछले 10-15 सालों मे देश मे धान उत्पादित क्षेत्रों मे आधुनिक मशीनों का प्रयोग बड़ा है साथ ही खेतिहर मजदूरों की कमी की वजह से भी यह मुख्य रूप से आवश्यकता बन गई है | इन तकनीकी मशीनों से खेत मे फसलों का अतिरिक्त अवशेष पड़ा रह जाता है | फसल अवशेष के सही प्रबंधन का एक देश और किसान के लिए बड़ी चुनोती है |
पराली की संपूर्ण जानकारी पराली क्यों समस्या बनी हुई है दिल्ली के लिए | किसानों को पराली जलाना क्यों जरूरी है या क्यों मजबूर है | दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण का जिम्मेदार पराली को जलाने की धुआ को माना जाता है | देश मे पंजाब और हरियाणा मे ज्यादातर पराली जलाई जाती है | पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लगातार पंजाब और हरियाणा सरकार किसानों पर कार्रवाई करते जा रही है तथा उनसे जुर्माना वसूली तथा केस दर्ज कर रही है |
बता दें कि पंजाब और हरियाणा, यूपी, एमपी, पश्चिम बंगाल में पराली जलाने की यह पिछले 10-15 सालों से ही शुरू हुई है |क्योंकि इससे पहले पंजाब में फसलों की कटाई श्रमिकों मजदूरों से होती थी जो फसल को बिल्कुल जमीन की सतह से कटाई करते थे | और वर्तमान में आधुनिक मशीनों से लगभग 6 इंच से 1 फीट ऊपर तक की फसल को छोड़ देते हैं या पराली कहते हैं |
सुप्रीम कोर्ट ने देश में पराली जलाने पर बैन कर कार्यवाही के दिए आदेश |
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पराली जलाने के नियम
अब देश के किसानों पर धान की पराली या पराली में आग लगाने वाले कृषकों पर कार्यवाही होगी |
पराली जलाने के स्थान को सेटेलाइट से देख रेख की जाएगी जब तक इसके मामले कम न हो जाए |
- 2 एकड़ से कम जमीन पर 2500 रुपए प्रति घटना
- 2 एकड़ से अधिक तथा 5 एकड़ से कम जमीन पर ₹5000 प्रति घटना
- 5 एकड़ से अधिक जमीन पर ₹15000 प्रति घटना
पराली प्रबंधन के सरल उपाय
- इस समस्या से ग्रस्त किसान फसल अवशेष को मिट्टी मे मिला सकते है, जिससे भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ेगी |
- किसान आधुनिक कृषि यंत्र जैसे मिलचर, हेपपी सीडर, रिवरसेबल MB-पलाऊ से मिट्टी को पलट कर तुरंत अगली फसल की बुआई कर सकते है
- पराली को आग न लगाने की नई स्कीम फसल की कटाई के पश्यात रोटवर से जुताई कर खेत मे एक बार पानी लगा देने से फसल अवशेष अच्छी तरह से गल जाते है |
- पराली प्रबंधन रासायनिक 20 ग्राम यूरिया / लीटर पानी की दर से घोल कर छिड़काव कर देने से अवशेषों के विघटन की क्रिया तेजी से बढ़ जाती है |
- किसान फसल अवशेषों का उपयोग जैविक खाद बनाने मे कर सकते है
- साथ ही वेस्ट-डी कम्पोजर का फसल अवशेषों मे प्रयोग करने से ये खाद के रूप मे तेजी से परिवर्तित होते है |
- फसल के कचरे को जमीन मे मिला देने पर खेती की जमील कठोर होने से बचती है और उपज के पैदावार मे बढ़ोतरी |
- पराली को न जलाकर किसान ईट भट्टे वालों से संपर्क करे, जो फ्री मे धान की पराली को इकट्टा कर ले जाते है |
- धान की पराली को पशुओं के चरे के रूप मे भी खिलाये और दूसरे क्षेत्रों मे भी चारे के रूप मे बेच सकते है |
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पराली जलाने के लाभ
- किसानों के खेत बहुत ही कम समय मे अगली फसल के लिए तैयार हो जाते है |
- किसान धान की फसल लेने के बाद गेहू और सब्जियों की अगेती वेरेटियों की बुआई कर लेते है |
- किसान अगेती खेती कर मौसम की मार से बच जाते है और बाजार से अच्छे दम कम लेते है |
पराली जलाने का नुकसान
- फसल अवशेष जलाने से देश और दुनिया का पर्यावरण प्रदूषण होता है जिससे भविष्य मे अनेक समस्याए उत्तपनः होगी |
- भूमि मे लाभदायक किट-जीवाणु जैसे सूक्ष्म जीव का नष्ट हो जाना है , जिससे किसान की खेती मे लागत बढ़ेगी और खेती बंजरता की और जाएगी |
- भूमि की उर्वर क्षमता भी कमजोर होती है |
- किसान को सरकार के कड़े नियमों के विरुद्ध फसल अवशेष जलाने पर आर्थिक हानी भी उठानी पड़ सकती है |
- किसान सरकार के पराली जलाने पर जुर्माना और सजा से भी बच सकते है |
- पराली जलाने से मानव को स्वास्थ्य संबधित समस्याये आने लगती है अस्थमा और दमा जैसी स्वास के मरीजों को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है |
पराली जलाने की समस्या किस किस राज्य की समस्या है
पराली जलाने की समस्या मुख्यतः पंजाब, हरियाणा,उतरप्रदेश, मध्यप्रदेश,छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल आदि राज्यो की समस्या बनी हुई है | देश मे पराली को लेकर किसान और सरकारे सभी परेशान है लेकिन सबसे ज्यादा समस्या किसानों पर आ चुकी है क्योंकि सरकार के पराली को जलाना बैन कर दिया और किसानों पर कार्यवाही के आदेश दे दिए | किसानों के पास समुचित समय पर पराली का उचित प्रबंधन नहीं मिल रहा है |
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क्यों जलाते हैं पराली किसान ?
जब किसान चावल की खेती कर लेता है तो किसान को खेत अगली फसल के लिए तैयार करना होता है | अधिकतर पराली पंजाब और हरियाणा में जलाई जाती है | इसके लिए इन राज्य में दो तरह के किसान होते हैं जिनमें पहला किसान चावल की खेती के बाद गेहूं की खेती करना चाहता है और दूसरा तरह का किसान किसी भी तरह की सब्जी की फसल लेना चाहता है | किसान के पास चावल की खेती की अंतिम कटाई से लेकर अगली गेहू बुआई के बीच में समय बहुत ही कम रहता है क्योंकि इस समय वह सर्दी या ठंड का मौसम के समय वह अगेती फसलें लेना चाहता है |
सर्दी के या ठंडे मौसम के शुरुआती दिनों में गेहूं और सब्जी की फसल लगाने का बहुत ही अच्छा समय होता है इसलिए किसान जल्दी फसल लगाने के हिसाब से खेतों को जल्दी तैयार कर उनको साफ करने की तैयारी में रहता है और इसी जल्दी में किसान अपने खेत में पराली को जला देते हैं और लगभग 1 से 2 घंटे में खेत बिल्कुल साफ हो जाता है | और बाद में खेत में पानी डालकर खेत की जुताई कर अगली फसल के लिए खेत तैयार कर लेता है |
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इस बार सरकार के दावों की पूरी पोल खुल गई है क्योंकि पराली जलाने की घटनाएं पिछले सालों की तुलना में और बढ़ गई है | जिसका सीधा मतलब यह है कि पराली जलाने के लिए किसानों के लिए कुछ किया ही नहीं गया है | इसके लिए किसान बहुत गुस्से में है क्योंकि पराली जलाने के नियमो को करना चाहिए लेकिन साधन ना देकर उन पर जबरदस्ती आरोप लगाकर जुर्माना वसूला जा रहा है |
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सितंबर-अक्टूम्बर 2022 मे एक बार फिर से पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो चुका है इसकी जानकारी नासा के एक वैज्ञानिक के मुताबिक पराली जलाने की बहुत-सी घटनाएं सामने आई है | नासा की सेटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक अमृतसर में जलाई गई पराली को मध्य प्रदेश इंदौर तक पहुंच चुका है इसकी जानकारी देते हुए से जुड़े हुए आंकड़े दिए हैं |
पंजाब में सितंबर अक्टूबर-नवंबर 2022 में पराली जलाने की समस्या आ रही है इसके साथ पंजाब में किसान अपने खेतों में बड़ी संख्या में पराली जला रहे हैं | जिससे एक बार फिर पंजाब के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भी प्रदूषण बढ़ने का खतरा बढ़ने की संभावना है | कोरोना काल में श्वास संबंधित बीमारियां चल रही है |
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पंजाब और हरियाणा के किसानो का पराली को जलाने से लेकर कहना है की सरकार से कोई सुविधा और साधन नहीं मिले और साथ मे जो वादे किए थे वह पूरे नहीं हुए इसलिए हमारे पास पराली को जलाने के अलावा और कोई कोई रास्ता नहीं है |
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