[ जीरे की खेती कैसे करें 2024 ] जानिए जीरे की खेती की विधि, देखभाल और पैदावार | Cumin Seeds Farming

Last Updated on January 28, 2024 by krishisahara

भारतीय रसोई घरानों के मसालों में जीरा भी अपने स्वाद और खुशबूदार मसालें के रूप में जाना जाता है | किसानों द्वारा इसकी खेती करके उपज लेना, हीरे की खदान से हीरा खोजकर प्राप्त करना जैसा होता है| विश्वभर में आज भी हमारा भारत देश, मसाला उत्पादन और निर्यात में प्रथम स्थान रखता है | देश का 80% से अधिक जीरा राजस्थान व गुजरात जैसे राज्यों में उगाया जाता है |

जीरे-की-खेती-कैसे-करें

इस लेख में आपको जीरे की खेती से संबंधित संपूर्ण जानकारी मिलेगी, जैसे की जीरे की खेती कैसे करें, उपयुक्त जलवायु/मिट्टी, जीरे की खेती में लगने वाले रोग, जीरे की कटाई कब होती है, जीरा कौन से महीने में बोया जाता है, जीरा फसल की देखरेख –

जीरे की खेती कैसे करें 2024 ?

जीरे की खेती करना अन्य फसलों की तुलना में थोड़ा अलग है, इसकी खेती के लिए खेत की तैयारी, दो-तीन बार गहरी जुताई होती है | खेत से पुरानी फसल के अवशेषों को हटा लेवे, दूसरी जुताई के समय 15-20 टन के हिसाब से गोबर की पकी हुई खाद डाल सकते है |

फिर आपको खेत में पाटा की मदद से भूमि को समतल, और क्यारी विधि से बीज बुवाई करनी होती है | सिंचाई और खरपतवार निवारण का विशेष ध्यान रखना चाहिए | सभी किसानों को जीरे की वैज्ञानिक तकनीकी से खेती करना चाहिए |

जीरा फसल हेतु उपयुक्त जलवायु/मिट्टी ?

जीरे की फसल के लिए ठंडी जलवायु अच्छी होती है, बीज तैयार होने और पकने के दिन गर्म और शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है | जीरे के अंकुरण के लिए 10 से 28 डिग्री तक का तापमान होना चाहिए |

जीरे की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन रेतीली, चिकनी बलुई या दोमट मिट्टी जिसमें कार्बोनिक प्रदार्थ की अधिकता वाले क्षेत्र सबसे अधिक उपयुक्त होते है | उचित जल निकास हो, जलभराव और काली मिट्टी में इसकी फसल लेना थोड़ा मुश्किल काम होता है |

जीरे की प्रमुख उन्नत किस्में ?

किसान अपने क्षेत्र और मिट्टी के अनुसार अनुमोदित किस्मों का ही चयन करना चाहिए, जिससे बेहतर और बिना रोग-कीट से उपज ले सकते है | किसानों द्वारा सबसे ज्यादा बोए जाने वाले बीजों में निम्न किस्म के बीज इस प्रकार है –

आर जेड -19 जीरा बीज –

यह जीरे की एक उन्नत किस्म है, इस बीज से फसल को तैयार होने में 120 दिनों का समय लगता है | इस किस्म का उत्पादन 10 कुंटल प्रति हेक्टर तक होता है |

सीजेडसी 94 सीड्स –

यह बीज जल्दी पकने वाली किस्म का बीज है, जो लगभग 100 दिनों में फसल तैयार हो जाती है | इसमें फुल आने में बुवाई से 40 दिनों तक का समय लगता है | इसका उत्पादन 8 कुंटल प्रति हेक्टर होता है |

आर जेड -223

जीरा के उन्नत बीजों में यह भी एक अच्छा बीज माना गया है | इसका उत्पादन 7 कुंटल प्रति हेक्टर होता है और इस फसल को तैयार होने में 110 से 120 दिनों तक का समय लगता है |

जीरा वैराइटी – जी सी-4

यह किस्म अधिक उत्पादन के नाम पर जानी जाती है | इसका उत्पादन 10 से 12 प्रति कुंटल होता है | जीरा वैराइटी – जी सी-4 की किस्म को तैयार होने में 110 दिनों तक का समय लगता है |

आर जेड -209

इस किस्म को तैयार होने में 125 दिनों का समय लगता है | इसका उत्पादन 11 कुंटल प्रति हेक्टर तक है | इस किस्म में उखटा, छछिया और झुलसा रोग कम लगता है |

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जीरा कितने दिनों में उगता है?

किसी भी बीज के उगाव के लिए कई कारक निर्भर करते है – जैसें बिजाई की गहराई, बुवाई की विधि, मिट्टी में नमी की मात्रा, बीज किस्म का प्रकार, खेत की जलवायु मिट्टी जैसे आदि पर निर्भर करती है | सामान्य स्थति में जीरा बोने के 4 से 7 दिन में पूर्ण उगाव हो जाता है |

जीरा कौन से महीने में बोया जाता है?

जीरे की बुआई का सबसे उत्तम समय अक्टूबर या नवंबर का महिना होता है | यदि आप जीरे की बुआई समय रहते नही करते है, तो इसका प्रभाव आपकी फसल पैदावार में पड़ सकता है |

जीरे की बुवाई कैसे की जाती है/जीरे का पौधा कैसे लगाएं?

जीरे की बुआई से पहले आपको इसके बीज को बीजोपचार कर लेना है, फिर आपको इसकी बुआई करते है | बुवाई के लिए छिड़काव विधि सर्वोतम मानी जाती है | सीड्स मशीन के द्वारा बुवाई के तरीकों में जीरे के बीज की बुआई 25 सेंटीमीटर की दूरी पर बनाई गई कतारों में रखनी चाहिए | पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए |

जीरा फसल की सिंचाई कब और कैसें करें?

  • छिड़काव विधि से बुवाई करने पर पहली सिंचाई तुरंत बाद कर दे |
  • दूसरी सिंचाई 8 से 10 दिन के अंतराल पर करना चाहिए |
  • ध्यान रखें पौधों के अंकुरण के समय सिंचाई ना करें |
  • तीसरी सिंचाई फसल एक महीने की हो जाए तब कर सकते है |
  • जब आपकी फसल में दाना बनना शुरू हो जाए तब आपको एक बार फिर सिंचाई कर लेनी है |
  • अंत में आपको जब फसल पकने लगे, तो फिर आपको अंतिम बार सिंचाई कर लेनी है |

जीरे की खेती देखभाल कैसें करें ?

  • यदि आप जीरे की खेती में अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते है, तो आपको इसमें समय-समय पर सिंचाई और खरपतवार निवारण करना चाहिए |
  • दूसरी जुताई के समय आपको अपने खेत में 6 टन प्रति एकड़ गोबर की खाद डाल देनी है |
  • फसल की पहली सिंचाई के बाद नमी वाले मौसम पर 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टर उपयोग करना चाहिए |
  • जीरे की खेती करने के लिए आपको ऑर्गेनिक खाद का ही उपयोग करना चाहिए है |
  • फसल को अधिक पाले/सर्दी से बचाने के लिए जरूरी उपाय अपनाए |

जीरे की खेती में लगने वाले रोग ?

यह फसल काफी संवेदनशील है, जिसमें कई रोग लगने की संभावनाए बनी रहती है | जीरा की फसल एक बार रोगग्रस्त हो जाने पर पुरी फसल खराब हो सकती है | इस फसल में मुख्यतः चैंप/एफिड, दीमक, उखटा, झुलसा, छाछया रोग जैसें प्रमुख रोग देखने को मिलते है |

जीरे की कटाई कब होती है?

जीरा फसल मुख्यतः 100 से 110 दिन में पककर तैयार होती है | इसकी कटाई फरवरी से मार्च के महीने में की जाती है | इस फसल के पौधे में लगे बीजों का रंग जब हल्का भूरा दिखाई देने लगे तो उस दौरान पुष्प छत्रक को काटकर एकत्रित करके खेत में सुखा ले और कृषि मशीन या थ्रेसर मशीन से बीज निकाल लेवे |

जीरे की फसल से प्रति एकड़ पैदावार/एक बीघा में जीरा कितना होता है?

किसान भाइयों उपज/पैदावार कई कारकों पर निर्भर करती है, सामान्य परिस्थति में एक बीघा में 3 कुंटल से 4 कुंटल जीरा की पैदावार ली जा सकती है | उन्नत तरीकों में पैदावार आपकी खेत तैयारी, खाद-उर्वरक, सिंचाई, खरपतवार निवारण और क्षेत्र के मौसम, जलवायु पर निर्भर है |

जीरा की खेती कहां-कहाँ होती है?

हमारे देश में जीरा की खेती सबसे ज्यादा मुख्यतः गुजरात और राजस्थान राज्य में होती है – जीरा मंडी

जीरे की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है?

जीरे की फसल को तैयार होने में अगेती किस्मों को 90 दिन और देरी से पकने वाली वैराइटियों को अधिकतम 130 दिनों तक का समय लगता है – जीरे का मंडी भाव

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