Last Updated on January 2, 2023 by krishi sahara
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लौंग की खेती कैसे होती है जानिए लौंग की खेती के बारे में यह एक प्रकार का उष्णकटिबंधीय जलवाऊ मे उगने वाला मसाला प्रजाति का पुष्प कलिका है| लोंग का उपयोग भारतीय पकवानों तथा औषधि के रूप में किया जाता है भारतीय किसान लोंग की उपयुक्त जलवायु में इसकी खेती करके इससे अच्छी आमदनी कमा सकते हैं |
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लौंग एक प्रकार का पेड़ पर उत्पादित होता है जिसके पेड़ की उम्र लगभग 100 से 150 वर्ष तक होती है| लोंग का पेड़ 6 वर्ष के बाद में फल देने लग जाता है इसकी खेती मे मुख्य गरम तथा आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है आपको इस लेख में लोंग की खेती के बारे सम्पूर्ण जानकारी देखने को मिलेगी –
मसाला लौंग का वैज्ञानिक नाम-
“Syzygium aromaticum”
लौंग की खेती की जानकारी –
इसकी मुख्यतः एक प्रकार की सदाबहार खेती होती है लौंग के पेड़ की उचाई सामान्यतः 5 मीटर से 8 मीटर ऊंचाई तक के होते हैं| लौंग के पेड़ की ग्रोथ बहुत ही धीमी गति से होती है और लौंग के पेड़ की उम्र लगभग 100 वर्ष से भी ऊपर होती है लौंग के पेड़ के पत्ते भी हल्के सुगंधित होते हैं जो बाजारों में बिकते है |
लौंग, पुष्प कलिकाओ के रूप में खिलते है तथा इनको फूलों के खिलने से पहले ही तोड़ लिया जाता है| लौंग की ताजी कलियां हरे लाल या हरे पीले रंग की लालिमा लिए हुए रहता है| इस अवस्था में लौंग कलिका को तोड़ लिया जाता है 1 लौंग के पेड़ से औसतन 3 से 5 किलो लॉन्ग का फल लिया जा सकता है |
लौंग की खेती का समय है ?
इसके पौधे की रोपाई के लिए मानसून का इंतजार किया जाता है | पौधों को लगाने का समय मुख्यतः मई से जून के महीने में खेत में स्थापित किया जाते है| लौंग का पेड़ एक बार लगने पर बाद मे समय-समय पर सिचाई करते रहना चाहिए |
लौंग की खेती कब और कैसे करें ?
लौंग का पौधा कहां मिलेगा ?
पौधा की व्यवस्था के लिए विश्वासपूर्ण नर्सरी से संपर्क करें या किसान खुद भी इसकी नर्सरी कर सकता है लौंग का पौधा बहुत ही कम धीमी गति से बढ़ता है इसका पौध तैयार होने में 6 से 7 साल तक लग जाते है| जब पौधा 4 फीट ऊंचाई का हो जाए तब इसे वर्षा के आरंभ होते ही खेतों में लगा दिया जाता है |
उपयुक्त मिट्टी और जलवायु –
भारत के उन क्षेत्रों में लौंग की खेती उपयुक्त जहां की जलवायु उष्ण कटिबंधीय तथा गर्म होती है लॉन्ग के पेड़ के लिए उपयुक्त स्वास्थ्य और मजबूती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है |
लौंग का पौधा के विकास के लिए उपयुक्त 10 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उचित रहता है तथा इस पेड़ के वृद्धि की अवस्था में 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तक की तापमान की आवश्यकता होती है| इसकी खेती ठंडे और अधिक बारिश वाले स्थानों पर संभव नहीं है लौंग के पेड़ को ठंड या सर्दी महसूस होते ही पेड़ सूखने लग जाता है |
लौंग की उन्नत किस्में –
- लोंग के बीज की उन्नत किस्म के लिए नजदीकी कृषि विभाग से प्राप्त कर सकते है |
- यदि किसान अन्य तरीकों से तो, जितना जल्दी लॉन्ग बीज टूटा हुआ चाहिए जिससे कि अंकुरित होने में समय ना लगे |
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लौंग के बीज की बुवाई कैसे करें ?
हल्के अंकुरित बीज को तैयार की गई भूमि पर रखें और हल्का सा मिट्टी का बौछार करें बीज को मिट्टी में ढकने की आवश्यकता नहीं है| बुवाई के समय नमी आद्र होनी चाहिए हो सके तो बुवाई के बाद खेत में पॉलिथीन से कवर कर दें |
सिंचाई कैसे करें ?
किसान भाई को लौंग की खेती में शुरुआत के 4 से 5 साल तक सिंचाई की जरूरत होती है इस समय लौंग की खेती में लगातार सिंचाई करते रहना चाहिए, जिससे भूमि में नमी बनी रहे| गर्मी के मौसम में मिट्टी में नमी के लिए सिंचाई करना बहुत जरूरी है |
लौंग की तूडाई कैसे करें –
लौंग के पेड़ की पुष्प कालिकाएं खिलने की अवस्था मे पुष्प खिलने से पहले ही तोड़ लिया जाता है | लौंग पुष्प कलिकाओ को बाद में इन्हें सुखा दिया जाता है सुखाने के बाद इनका भार 40% तक ही बचता है| लौंग शुरुआत से पकने तक 50% तक सिकुड़ जाता है और पूर्ण पक लौंग हल्का भूरा या काला हो जाता है |
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लौंग कितने रुपए किलो है ?
बात करें लौंग के मंडी भाव की तो की कीमत वैरायटी, रंग रूप पर भाव तय होता है, जो सामान्य ₹500 से 600 रूपये के बीच होते है लोकल बाजारों की बात करें तो 700 से ₹800 प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे है |
लौंग के उपयोग और फायदे ?
- लौंग का इस्तेमाल दवाईयाँ और पारंपरिक आयुर्वेदिक में एंटीसेप्टिक और एंटी-किण्वन गुणों के लिए किया जाता है |
- इसका उपयोग मुह और दांतों में कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है लौंग की क्रिया में सूक्ष्म जीव शामिल होते हैं, जिनमें वायरस, बैक्टीरिया और कवक शामिल हैं इसमें एनाल्जेसिक या संवेदनाहारी गुण भी होते हैं |
- इसके अतिरिक्त, यह पाचन संबंधी विकारों का इलाज करता है जैसे कि पेट की अस्थीयो का दर्द, सूजन और पाचन क्रिया आदि |
- यह एक एंटीसेप्टिक है, इसलिए इसे गले में खराश में भी इस्तेमाल किया जा सकता है |
- लौंग का तेल व्यापक रूप से इसकी सुगंध के लिए और इसके एंटीसेप्टिक गुणों के कारण टूथपेस्ट, साबुन, डिटर्जेंट, क्रीम, इत्र, और माउथवॉश की तैयारी के लिए उपयोग किया जाता है |
- इसके अलावा, इसके सुगंधित और परिरक्षक गुणों के कारण, इसका उपयोग मादक पेय, शीतल पेय के साथ-साथ मांस, स्वादिष्ट व्यंजनों और विभिन्न सॉस के लिए एक मसाला के रूप में किया जाता है |
- इंडोनेशिया में, इसका उपयोग इंडोनेशियाई सिगरेट की तैयारी में किया जाता है जो तंबाकू, लौंग और पुदीने के मिश्रण से बनाई जाती है |
लौंग की खेती भारत में कहाँ-कहाँ होती है ?
- भारत के लौंग का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य की सूची मे तमिलनाडु कर्नाटक केरल आते है |
- इसके अलावा भारत मे लौंग की खेती की बात करे तो साउथ भारत के साथ-साथ पश्चिमी घाट के पर्वत वाले इलाकों में की खेती सफलतापूर्वक की जाती है |
- दक्षिणी भारत मे सबसे ज्यादा अच्छी क्वालिटी और गुणवत्ता का लौंग की पैदावार होती है |
भारत में लौंग की सबसे बड़ी मंडी ?
बता दें कि भारत में मसाला लौंग की सबसे बड़ी मंडी नागरकोइल, तमिलनाडु राज्य में है दक्षिण भारत की इस मंडी से देश-विदेश से व्यापार संपन होता है |
लौंग का पौधा कैसे होता है?
लौंग एक प्रकार का पेड़ पर उत्पादित होता है जिसके पेड़ की उम्र लगभग 100 से 150 वर्ष तक होती है लोंग का पेड़ 6 वर्ष के बाद में फल देने लग जाता है इसकी खेती मे मुख्य गरम तथा आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है |
लौंग की खेती कहां होती है ?
भारत के लौंग का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य की सूची मे तमिलनाडु कर्नाटक केरल आते है दक्षिणी भारत मे सबसे ज्यादा अच्छी क्वालिटी और गुणवत्ता का लॉन्ग की पैदावार होती है |
लौंग कितने रुपए किलो है ?
बात करें लौंग के मंडी भाव की तो की कीमत वैरायटी, रंग रूप पर भाव तय होता है, जो सामान्य ₹500 से 600 रूपये के बीच होते है लोकल बाजारों की बात करें तो 700 से ₹800 प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे है |
लौंग की खेती कब और कैसे करें ?
लॉन्ग का पौधा बहुत ही कम धीमी गति से बढ़ता है इसका पौध तैयार होने में 6 से 7 साल तक लग जाते हैं | जब पौधा 4 फीट ऊंचाई का हो जाए तब इसे वर्षा के आरंभ होते ही खेतों में लगा दिया जाता है |
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