आलू की खेती | Aaloo Ki Kheti | Potato Farming |
बात करें आलू की खेती के बारे मे तो आलू एक प्रकार की सब्जी है साथ ही बाजार के चटपटे आइटम बनाने में आलू का प्रयोग किया जाता है | भारत में आलू की देन दक्षिणी अमेरिका को मानी जाती है | सर्वप्रथम दक्षिण अमेरिका में पेरू नामक स्थान पर आलू की खेती की गई वही से पूरे विश्व मे इसका विस्तार होता जा रहा है | विज्ञान के अनुसार आलू को एक प्रकार का तना माना गया है | आलू की फसल मे क्षारीय मृदा के अलवा लगभग सभी प्रकार की मिट्टी मे उपयुक्त है | आइए जानते है आलू की खेती और आलू के उत्पादन से संबधित आकड़े –

आलू सब्जियों का राजा है जो एक सदाबहार सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है | जिसकी बाजार में मांग हर साल बराबर रहती है | इसलिए आलू का अच्छा उत्पादन के लिए किसानों को नई तकनीकी तथा वैज्ञानिक ढंग से खेती करनी चाहिए |
आलू का वैज्ञानिक नाम क्या है ?
वैज्ञानिक नाम की बात करें तो आलू का वैज्ञानिक नाम – Solanum tuberosum ( Potato/Scientific names) है |
आलू की खेती कब और कैसे करे ?
भारतीय किसान आलू की खेती करने से पहले मुख्य रूप से मिट्टी की जांच करवा लें बाद में आलू की सफल खेती कर सकते हैं जिससे उत्पादन मे वृद्धि होगी और आलू की खेती लागत मे कमी आएगी

आलू के बीज की व्यवस्था
- किसान को बीज चुनाव करते समय विशेष तौर से ध्यान रखना चाहिए बीज विश्वसनीय स्त्रोत से ही खरीदें क्योंकि सफल और स्वस्थ खेती के लिए बीज का सोना जरूरी है |
- किसान को सर्वप्रथम अच्छी आँख वाले आलू के बीज के लिए चयन कर लेना चाहिए |
- प्रमाणित बीज किसी कृषि संस्थान या एजेंसी से खरीद सकते है या किसान खुद घर पर भी आलू के बीज तैयार कर सकता है |
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आलू की बुवाई का समय
अच्छा उत्पादन तथा अच्छी किस्म प्राप्त करने के लिए आलू की बुआई का उचित समय अक्टूबर माह से लेकर 10 नवंबर के मध्य |
बात करें आलू कब बोए जाते हैं तो इसके लिए अक्टूबर से लेकर जनवरी के मध्य तक हो सकते हैं क्योंकि इसमें आलू की अनेक किस्में होती है जैसे अगेती, मध्यकालीन, पिछेती किस्मे |
आलू की वैरायटी
आलू की वैरायटी / आलू की अगेती किस्मों | आलू की मध्यकालीन किसमें | आलू की पछेती वैरायटी या किस में |
आलू की प्रमुख अगेती किस्मे – कुफरी पुखराज, ओवरी अशोका, कुफरी, कुबेर, कुफरी, चंद्रमुखी, कुफरी बहार, कुफरी ख्याति,सूर्य कुफरी, जवाहर | | मध्यकालीन आलू की प्रमुख किस्में – बादशाह कुफरी, कुफरी लालिमा, कुफ़री बहार, कुफ़री ज्योति,K-कंचन, राजेन्द्र आलू- 1,2,3 आदि | | आलू की प्रमुख पछेती किस्मे- कुफ़री सुंदरी, अलंकार कुफ़री, कुफ़री अलंकार, चमत्कार, कुफ़री, कुफ़री देवा, कुफ़री किसान | |
आलू की खेती के लिए जलवायु और भूमि
इस खेती में जलवायु की बात करें तो सामान्यतः 15 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है |
भूमि की मृदा जीवांश युक्त ,भुरभुरी बलुई दोमट मिट्टी जिसका PH मान 5.1 से 6.5 तक उतमं माना जाता है |
आलू की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली जीवांश से युक्त दोमट एवं बलुई मिट्टी उत्तम रहती है | और इसी के विपरीत जलभराव वाली क्षारीय, खड़े पानी वाली भूमि पर आलू की खेती ना करें |
आलू की सिंचाई
- सिचाई की बात करें तो खेत की बुवाई से लगभग 10 से 15 दिन के बीच में पहली सिंचाई करें |
- दूसरी सिचाई या इसके बाद की सिचाई का समय 10 से 15 दिन के अंतराल में करते रहना चाहिए |
- आलू की खेती मे लगभग कुल 5 से 6 सिंचाई होती है |
- सिंचाई करते समय यह बात का मुख्य ध्यान रखें कि क्यारियों को 2/3 भाग से ज्यादा ना भरें |
आलू में कौन सी खाद डालें
आलू की खेती के लिए चयनित खेत में 1 जुलाई से पहले खेत में खाद बिखेर कर अगले दो-तीन जुताई और करनी चाहिए |
जैविक खाद की बात करे तो इनमे से कोई एक खाद डाल सकते है –
- गोबर की खाद -300 क्विंटल / हेक्टेयर
- कंपोस्ट खाद – 300 क्विंटल/हेक्टेयर
- कूड़ा कर्कट की खाद – 300 क्विंटल / हेक्टेयर
- गन्ने की मैली की खाद -300 क्विंटल / हेक्टेयर

भारत में आलू का सर्वोधिक उत्पादन
आलू की बढ़ती मांग के कारण भारत के जलवायु के उपयुक्त अनेक क्षेत्रों आलू की खेती की जाती है | जिनमें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र प्रमुख रूप से आते हैं |
भारत में आलू का सर्वाधिक उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है जिसमें प्रतिवर्ष 140 से 160 लाख टन आलू उत्पादित होता है |
आलू की प्रति हेक्टेयर उत्पादन
अच्छी किस्में के आलू की खेती लगभग प्रति हेक्टेयर पैदावार 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टर होता है जो लगभग 80 से 100 दिन में पक कर तैयार हो जाता है |
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“धन्यवाद “