[ शहतूत का पौधा कैसे लगाएं 2023 ] जानिए शहतूत की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी | Mulberry Cultivation In Hindi

Shahtoot ka ped kaise lagaye | शहतूत का पौधा कैसा होता है | भारत मे शहतूत की खेती कहाँ-कहाँ होती है | शहतूत खाने के फायदे | शहतूत के बीज | Shahtoot ka fal | शहतूत का पौधा कैसे लगाएं

देश मे शहतूत को फल, जूस, औषधि, दवाईया, के अलावा व्यापारीक स्तर मे प्राकृतिक रेशम के उत्पादन मे किया जाता है शहतूत रसीला और खाने मे बहुत ही अच्छे स्वाद के लिए जाना जाता है |

शहतूत-का-पौधा

देश के किसान शहतूत की खेती की खेती या बागवान लगाके अच्छे आमदनी कर सकते है| इसके अलावा इसका फल एक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है, इसलिए शहतूत का पौध घर या खेतों मे लगाकर बाजार की मांग पूरी कर सकते है| आइए जानते है – शहतुत के फल, पोधे/पेड़ की पूरी जानकारी –

शहतूत का पौधा कैसा होता है (shahtoot ka ped kaisa hota hai) ?

यह एक प्रकार से पीपल के आकार-रंगरूप जैसा सदाबहार पेड़ होता है जिसकी लंबाई 25 से 50 फीट मे पाई जाती है इसके पेड़ पर जनवरी के समय फल लगने शुरू हो जाते है, फूलों मे हरे रंग के फल के बाद पकने की अवस्था मे जामुनी-काले रंग के हो जाते है |

रेशम कीट पालन करने वाले किसान और व्यवसायों के लिए शहतूत की खेती की जाती है शहतूत की खेती ज्यादातर रेशम कीट को खिलाने के लिए की जाती है |

शहतूत का वैज्ञानिक नाम ?

शहतूत का वैज्ञानिक नाम – Mulberry है| देश के कई हिस्सों शहतूत को – हिन्दी मे शहतूत, तुतरी, चिनी, रमाकाष्ट, तूल, तूतिकोली, शहतूर, तमिल मे कामलीपुछ, नेपाली मे कंबु, रेशमी चेटू आदि नामों से जाना जाता है |

shahtoot-ka-ped-kaise-lagaye

शहतूत का पौधा कैसे लगाएं ?

इसका पौधा चाहे घर पर लगना हो या खेत-बागानों मे – रोपण गड्ढे को 50x50x50 सेमी के आकार मे 10-15 दिन पहले ही खोदकर तैयार कर लेना चाहिए शहतूत का पौधा तैयार करने के लिए आप नर्सरी से भी ल सकते है या फिर बीज भी लगा सकते है| शहतूत का पौधा लगते समय मिट्टी मे 5-7 किलो सड़ी हुई जैविक खाद काम मे ली जानी चाहिए |

यदि लगाने वाला पौधा पहले से तैयार है तो उसे गड्ढे मे अच्छी तरह रखकर, मिट्टी भरकर गड्ढे को समतल कर देते है मिट्टी भरने के बाद पौधे मे पानी पिलाकर छोड़ दे, अगला पानी 2 दिन बाद देते है |

शहतूत खाने के फायदे ?

यह एक प्रकार का गुणकारी फल है जिसका सेवन करने से शरीर के कई रोंगों का निदान पा सकते है-

  • शहतूत के फल खाने से पाचन शक्ति बढ़ाने मे बेहद फायदेमंद साबित है |
  • इसका फल खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है |

शहतूत उपयोग कहाँ-कहाँ होता है ?

  • शहतूत को अच्छी सेहत के लिए जाना-माना जाता है इसलिए इन्हे पानी में धोकर खा सकते हैं |
  • अच्छी क्वालिटी के रेशम उत्पादन के मामले में पूरी तरह शहतूत के पेड़ों को उगाया जाता है |
  • प्राकृतिक कच्चे रेशम का उत्पादन शहतूत के बिना संभव नहीं है |
  • इसका जूस बनाकर, फ्रूट चाट में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं |
  • शहतूत के पेड़ उत्पाद से खेल के सामान, फर्नीचर तथा खिडकियों-दरवाजों के अलावा पत्तियों का उपयोग पशु चारे के रूप में भी किया जाता है |
शहतूत-की-खेती

शहतूत पेड़/फल से जुड़ी 5 रोचक बाते-

  1. शहतूत एक स्वादिष्ट मीठा नाजुक-नर्म फल है इसमें अनेक ऐसे लाभदायक गुण हैं जो कई बीमारियों में वरदान साबित हैं |
  2. इसके पत्ते रेशम कीड़े के लिए एकमात्र भोजन है |
  3. शहतूत में पाए जाने वाले रेजवर्टेरोल से मानव शरीर में फैले प्रदूषण को साफ करके संक्रमित चीजों को बाहर निकालता है |
  4. शहतूत के पेड़ की पत्तिया, छिलके/छाल और फूल-फल सभी औषधीय गुणों से भरपूर माने जाते है |
  5. आंखों की बीमारी और मस्तिष्क/दिमाग को स्वस्थ्य करने का बहुत ही लाभकारी फल है |

देश मे शहतूत का उत्पादन ?

देश मे रेशम उद्धोगो और फल बाजार को बढ़ाने के लिए सरकारी प्रयास भी पीछे नहीं है, रेशम विभाग हर साल देश के कई स्थानों के किसानों को शहतूत के पौधों का वितरण करता है| उत्पादन की बात करें तो सरकारी प्रयासों के चलते पिछले कुछ सालों मे शहतूत का उत्पादन बढ़ने लगा है – शहतूत की नर्सरी

भारत मे शहतूत की खेती कहाँ-कहाँ होती है ?

भारत में शहतूत की खेती मुख्य रूप से रेशम का उत्पादन करने वाले क्षेत्रों मे मुख्यत: की जाती है जैसे – कर्नाटक, जम्मू व कश्मीर तथा पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु आदि में की जाती है |

यह भी जरूर पढ़ें…

केसर की खेती – जानिए केसर की खेती कब और कैसे करें

पान की खेती कैसे करे – 2023 पान का बीज कहां मिलता है

सुपारी की खेती – 2023 जानिए ​पैदावार, देखभाल, लाभ-कमाई

दुसरो को भेजे - link share

Leave a Comment

error: Content is protected !!