Last Updated on February 10, 2024 by krishisahara
Contract kheti kaise kare | भारत में अनुबंध खेती कंपनियों की सूची | कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग क्या है | Contract Farming Disadvantages | किसान और कॉन्ट्रैक्टर के लिए जरूरी जानकारी | कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लाभ | कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नुकसान –
देश में कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में बनाया गया है कृषि का एक विशेष मॉडल – कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग जिसे अनुबंध खेती भी कहते है| कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग विदेशो में कई सालों से होती आ रही है, जिसके कई मुनाफेदार परिणाम होते है, लेकिन किसान को जानकारी के अभाव में इसके गलत परिणाम भुगतने पड़ जाते है| किसान को इस खेती में ना तो बीज चुनाव करने की दिक्कत, ना बाजार में बेचने की सब कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने वाली कम्पनी की होगी |
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी –
अनुबंध खेती की फसले अच्छे भावों के लिए कई शहरो राज्यों और विदेशो में भी निर्यात की जाती है जिससे किसान को अच्छा फायदा होता है, यह सब काम कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कम्पनी का होता है| तो आइये जानते है अनुबंध खेती क्या है, कांट्रैक्ट फार्मिंग कैसे करें, भारत में अनुबंध खेती कंपनियों की सूची – नुकसान और फायदे –
खेती को मुनाफे का सोदा बनाने को ध्यान में रखते हुए सरकार और बड़े किसानों नें अनुबंध अर्थात कॉन्ट्रैक्ट खेती को आसान बना रहे है| इसी और सरकार मॉडल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट 2018 के तहत किसानों को आधुनिक तरीके से खेती करने के लिए प्रेरित कर रही है |
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग क्या है ?
खेती के इस प्रकार में किसान, किसान संघठन और खाद प्रसंसकरण इकाइयों के बीच एक समझोता/एग्रीमेंट होता है, जिसमे कम्पनिया अपनी आवश्यकता/निर्यात के अनुसार फसले लगाते है| कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनीयां कृषि विभाग से पंजीकृत होती है | कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग फर्म किसान से खेती करवाती है, जिसमें खेती के लिए कौनसी विधि, बीज, खाद-उर्वरक की मात्रा आदि पहले ही तय किया जाता है |
किसान की फसल तैयार होने से पहले ही फसल का भाव फिक्स कर एग्रीमेंट हो जाता है | फसल का भाव एग्रीमेंट से किसान और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग फर्म दोनों को ही इसका फायदा होता है |
कॉन्ट्रैक्ट खेती कैसे करें?
अनुबंध खेती या फिर ठेका खेती के लिए अपने राज्य या जिला के कृषि विभाग से जानकारी लेकर कॉन्ट्रैक्ट Farming फर्म से सम्पर्क कर सकते है |
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कॉन्ट्रैक्ट खेती ज्यादातर कौनसी फसल की जाती है?
भारत में ज्यादातर अनुबंध खेती आयुर्वेधिक औषधीय फसलें, पपीता, एलोवेरा, तुलसी, तरबूज, आलू, दलहन, खरगोश पालन, मटर, अगेती सब्जी फसलें आदि पर एग्रीमेंट करती है |
मॉडल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट?
भारत में अनुबंध खेती के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा जारी नियम – मॉडल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट 2018
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनी के नम्बर ?
देश में कई किसान उत्पादक किसान संघठन और अनुबंध खेती करने वाली फर्मे है, जिनके बारे में किसान ऑनलाइन या फिर अपने नजदीकी कृषि विज्ञानं केंद्र से प्रमुख पंजकृत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनी के नम्बर लेकर बात कर सकते है |
भारत में अनुबंध खेती कंपनियों की सूची के लिए अपने जिला कृषि विज्ञानं केंद्र से प्राप्त कर सकते है, जो आपके क्षेत्र तक इस प्रकार की खेती एग्रीमेंट करती है – पतंजली कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लाभ ?
- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में फसल या उपज का रेट एग्रीमेंट के समय ही निर्धारित होता है, जो किसान के लिए अच्छा होता है |
- किसान की उपज पैदावार को अनुबंधकर्ता स्वयं खेतों से ले जाते है, इसलिए किसान को बाजारों में घुमने या बेचने की जरूरत नही होती है |
- अनुबंध खेती से फसल की गुणवत्ता और पैदावार में काफी सुधार होता है |
- किसान घर बैठे अपने खेत पर ही खेती करने के नए तरीके सीखने का मौका मिल जाता है |
- किसानों को बीज, फर्टिलाइजर के फैसले में कम्पनी खुद देती है |
- कृषि में निजीकरन होने से कई रोजगार का बढना और तकनीकी का विस्तार होता है |
- फसल का प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन को बढ़ावा देना |
- ग्रामीण समुदायों में खेती को लाभकारी होना इस बारे में जागरूक करना |
- कृषि उत्पाद को विदेशो में निर्यात करना और ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्रों में पलायन को कम करना |
- खेती में उन्नत तरीको को विकसित कर ग्रामीण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना |
- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का उद्देश्य किसान आय बढ़ाना और फसल का प्रसंस्करण करके कृषि उत्पाद में मूल्य में बढ़ोतरी लाना है |
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नुकसान ?
कई विरोध प्रदर्शन भी देखे गए है – किसानों का मानना है की सरकार की इस व्यवस्था को पूर्ण निजीकरण और विपरीत परिस्थति में खेती बेघर भी कर सकती है| आपको बता दें की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों पर बड़े व्यापारियों गलत एग्रीमेंट करा लेते है, किसान कम्पनी की शर्तों को बिना पूर्ण रूप से पढ़कर बाद में नुकसान उठाना पड़ता है, जिस पर सरकार भी कुछ नही कर पाती है| बड़े खरीदारों जानबूझकर भी फसलों के कम भाव देकर भी किसानों का शोषण किया जा सकता है |
आपको यह भी बता दें कि भारत में 60-70% किसानों के पास बहुत छोटे क्षेत्र के खेत है, इसलिए बड़ी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग फर्मो के साथ संतुष्ट नही हो पाते किसान कांट्रैक्ट फार्मिंग का विरोध जता रहे है |
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए जरूरी जानकारी ?
- अनुबंध खेती करने वाली कम्पनी का ऑनलाइन रिकोर्ड और सफल किसानों संतुष्टि की सूची होनी चाहिए |
- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में दोनों पक्षों के बीच ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होना चाहिए |
- दोनों पक्षों में कोई भी जानकारी, नियम या शर्त छिपी नहीं होनी चाहिए और हा एग्रीमेंट भी किसान की भाषा में जिससे हर शर्त को आसानी से समझ सके |
- किसान और कंपनी या व्यक्ति के बीच पारदर्शिता होनी चाहिए |
- किसान और कम्पनी दोनों पक्ष राजी और एग्रीमेंट का काम पूरा होने के बाद ही खाद-बीज, खेत की जुताई, कृषि औजार आदि प्रकार का लेनदेने शुरू करना चाहिए |
- अनुबंध खेती का समय कब से कब तक रहेगा |
- कम्पनी किस रेट पर, किस क्वालिटी में आपकी फसल या माल खरीदेगी |
- पैसों का भुगतान कब होगा- नगद/बेंक में ट्रांसफर आदि का लिखित होना आवश्यक है |
- फसल की देखभाल कौन और कितने समय अन्तराल में होगी |
- धोको से बचने के लिए किसान को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने वाली कम्पनी के बारे में – कम्पनी कब बनी, माल कहाँ भेजती है, कहाँ-कहाँ इसकी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग चल रही है, पिछले संतुष्ट किसान का रिकोड़ हो सके तो उनसे बातचीत, आपने नजदीकी कृषि विभगा में उस कम्पनी के रजिस्टर्ड होने की जानकारी आदि जानकरी लेकर किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के साथ आगे निर्णय ले सकता है |
अनुबंध खेती किस देश में है?
विदेशों में खेती का यह तरीका बहुत प्रचलित है और सफल तरीको अपने देशों की GDP में अच्छा योगदान दे रहा है – चीन, रूस, ब्राजील, अमेरिका जैसे कई बड़े देश अनुबंध खेती को अपना रखे है|
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