Last Updated on May 17, 2023 by krishi sahara
वर्तमान समय की भागदौड़ मे अच्छे गेहूं को उपजाना और आम लोगों तक पहुंचना, बहुत मुश्किल हो गया है, लेकिन आज भी कई जागरूक और शुद्धता मे विश्वास रखने वाले किसान इसकी खेती कर रहे है| आज हम बार करेंगे गेहूं की प्राकृतिक खेती कैसें की जाती है, बाजार में मांग-भाव, लाभ/फ़ायदे आदि के बारे में –
खेती के प्राकृतिक तरीकों से फसलों की पैदावार, उन्नत तरीकों से काफी कम होती है, लेकिन फिर भी मांग/ बाजार मे भाव अच्छे होने के कारण इसकी भरपूर खेती की जा रही है |
![[ गेहूं की प्राकृतिक खेती 2023 ] जानिए गेहूं की जैविक खेती से फसल कैसे तैयार होती है, सिंचाई, पैदावार/एकड़ | Organic Wheat Farming In India 1 गेहूं-की-प्राकृतिक-खेती](http://krishisahara.com/wp-content/uploads/2022/10/%E0%A4%97%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A5%82%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%80.jpeg)
इस लेख का मुख्य उद्देश्य – प्राकृतिक खेती लाभों को उजागर करना, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और किसानों को प्राकृतिक खेती की जानकारी देना है जैसे – गेहूं की प्राकृतिक खेती करने की विधि? गेहूं की प्राकृतिक खेती क्या है? गेहूं की जैविक फसल मे सिंचाई कितनी करें? प्राकृतिक गेहूं की खेती करने के फ़ायदे? गेहूं की जैविक खेती के नुकसान क्या है –
गेहूं की प्राकृतिक खेती क्या है ?
हमारे भारत देश में गेहूं की जैविक खेती, उत्पादन की वह पद्धति है, जिसमे गेहूं की फसल के उत्पादन हेतु प्राकृतिक संसाधनों जैसे की सड़ी गोबर, हरी खाद, जैव उर्वरक आदि का उपयोग गेहूं की फसल में उपयोग किया जाता है |
प्राकृतिक खेती करने की प्रमुख दशाएं ?
प्राकृतिक खेती करने के लिए सभी प्रकार की भूमि उपयुक्त रहती है, इस खेती के लिए भूमि सदा जीवाश्मयुक्त रखें, गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी मे हरी खाद, खरपतवार मुक्त, नियमित सिंचाई और सूर्य प्रकाश का होना जरूरी माना गया है भूमि का उपजाऊपन और सिंचाई, धूप से पौधे और जड़ों का भी विकास अच्छी तरह से होता है |
- गेहूं की प्राकृतिक खेती करने के लिए आपको सबसे पहले अपने क्षेत्र के अनुसार बीजों का चयन करना होगा |
- गेहूं बीज की बुवाई सही समय पर करें |
- बुआई के 15 दिन पूर्व आपको खेत में 30 से 40 टन प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद डालना है |
ऑर्गेनिक गेहूं की खेती हेतु बीज उपचार ?
ऑर्गेनिक तरीकों से बीज उपचार हेतु आपको बुवाई के 24 घंटे पहले बीजों उपचारित करना है इसके लिए देसी गाय का गोमूत्र, बुझा चूना, उर्वरा मिट्टी, पानी, गोबर के साथ मिला कर घोल तैयार करते है| बिजाई से पहले बीजों को उपचारित, 200 मिली घोल को 1 किग्रा बीज की दर से मिलाते बीज उपचार से बीजामृत फफूंद, बीज एवं मृदा से जुड़े रोगों से बचाव करता है |
ऑर्गेनिक गेहूं बीज की बुवाई कैसें करें ?
ध्यान रखें खेत तैयारी अच्छे से करें, बिजाई के समय मिट्टी मे अच्छी नमी होना चाहिए बुवाई छिड़काव या सीड ड्रिल विधि से कर सकते है| समय पर बीज बुवाई करते समय 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर रख सकते है, गेहूं की पछेती बुवाई में 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर रखें |
गेहूं की प्राकृतिक खेती में उर्वरक प्रबंधन क्या करें ?
प्राकृतिक खेतियों में उर्वरक का मूल आधार जैविक खाद को ही माना गया है पुराने समय में किसान पशुपालन करते हुए, पशुओं का ही खाद खेती में डालते थे, प्राकृतिक खेती में उर्वरक प्रबंधन का काम करती थी प्राकृतिक खेती में उर्वरक प्रबंधन के लिए आपको सड़ी गोबर, हरी खाद, जैव उर्वरक, कंपोस्ट खाद आदि का उपयोग कर सकते है |
गेहूं की जैविक फसल मे सिंचाई कितनी करें ?
सभी प्रकार की फसलों में सिंचाई का विशेष योगदान रहता है, प्राकृतिक खेती में जितनी ज्यादा सिंचाई होंगी, उतनी अधिक पैदावार होगी प्राकृतिक तरीकों से तैयार गेहूं की खेती मुख्यतः आपको कम से कम 3 और अधिकतम 5 बार सिंचाई करनी चाहिए |
जैविक गेहूं की खेती की पैदावार/एकड़ ?
सामान्य परिस्थति मे तैयार जैविक गेहूं की औसत उत्पादन 35 से 50 Q/हेक्टेयर के आस-पास ली जा सकती है| ऐसी खेती से उपज की गुणवता और बिना खेती को नुकसान पहुचाए तैयार होती है, इसीलिए सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे है |
प्राकृतिक खेती के लाभ/फ़ायदे ?
- इस प्रकार की खेती में बाहरी खाद-उर्वरक, बीज नहीं लाने होते है, जिससे किसान की लागत कमी आती है |
- खेती के इस प्रकार में से हमारी प्रकृती, जलवायु, खेत की मिट्टी, सिंचाई जल को कोई भी नुकसान नही होता है |
- इससे तैयार फसल सें मनुष्य, पशु, पक्षियों को भी कोई नुकसान नही पहुंचता है |
- इस पद्धति से तैयार फसल की पैदावार भी काफी उच्च क्वालिटी, गुणकारी और स्वादिष्ट होती है |
- आज के समय इस प्रकार से तैयार फसल का बाजार भाव भी अन्य फसल से अधिक मिलता है |
प्राकृतिक कृषि में गेंहू के बम्पर पैदावार की तकनीक/तरीके ?
- प्राकृतिक कृषि में आप उन्नत तकनीक के कृषि यंत्र का भी उपयोग कर सकते है, जिससे समय और लागत मे कमी होती है |
- सही तरीकों से बीजों का उपचार, समय पर बुवाई करके फसल की पैदावार क्षमता बढ़ा सकते है – गेहूं की जैविक ताजा समाचार
- फसल को बुवाई से कटाई तक के समय खरपतवार से मुक्त रखें |
- खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए गेहूं की फसल में 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई करें |
- बुआई के 30 दिनों बाद प्रथम निराई-गुड़ाई और दूसरी बार निराई-गुड़ाई फरवरी माह में कर देनी है |
आज के समय प्राकृतिक गेंहू की भूमिका ?
वर्तमान समय में भारत में प्राकृतिक गेंहू की भूमिका काफी बढ़ गई है, बाजार मे अच्छे भाव और डिमांड के कारण बहुत से किसान आज भी प्राकृतिक खेती ही करते है| क्योंकि इसमें खर्च भी कम और बाजार मे भाव अच्छे के कारण सामान्य पैदावार से भी अच्छा लाभ कमाया जा सकता है |
गेहूं की खेती में जैविक खाद की मात्रा ?
किसान भाई खाद का हर साल खेतों में नियमित रूप से डालना चाहिए, यदि खेत की मिट्टी मे उपजाऊपन काफी कम है, तो जैविक खाद (सड़ी गोबर) की मात्रा आपको 30 से 40 टन प्रति हेक्टर रखनी है |
जैविक गेहूं का भाव और मांग ?
ऑर्गेनिक गेहूं की बाजार मे अधिक मांग है और जैविक गेहूं का भाव की बात करें तो 4000 से लेकर 5,000 प्रति कुंटल से भी अधिक है कई जागरूक आम आदमी ऐसें है, जो किसान से इसकी एडवांस बुकिंग कराकर उपज खरीदते है |
सर्वोधिक गेहूं की प्राकृतिक खेती कहाँ होती है ?
सर्वोधिक प्राकृतिक रूप से गेहूं की खेती उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में होती है इनके अलावा जागरूक किसान भाई रबी सीजन मे अपने खेतों मे कुछ अलग से छोटे क्षेत्र मे जैविक रूप से इस खेती को करते है, जो काफी अच्छी मानी जाती है |
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