[ फसल अवशेष प्रबंधन कैसे करें 2024 ] जानिए पराली/फसल अवशेष क्या हैं, फायदे, फसल प्रबंधन पर निबंध, pdf | Crop Residue Management

Last Updated on February 14, 2024 by krishisahara

फसल अवशेष का प्रबंधन कैसे करें | फसल अवशेष प्रबंधन के फायदे | फसल अवशेष कितने प्रकार के होते हैं | फसल अवशेष प्रबंधन का क्या महत्व है| फसल अवशेष से खाद कैसे बनाएं | फसल अवशेष जलाने के नुकसान

बढ़ती जनसंख्या आबादी के चलते अब किसान को खेती करने के तरीकों में कुछ बदलाव करना जरूरी हो गया – आज के समय खेतों में पराली जलाने से रोकना, जनता और सरकार की भूमिका बन गई है | देश का कृषि विभाग, किसान और आम जनता को ध्यान में रखते हुए – धान पराली को जलाना, फसलों में केमिकल दवाइयों, फसलों के भाव, कृषि यंत्रों, कृषि विकास में समय पर हर संभव प्रयास कर रहा है |

फसल अवशेष प्रबंधन – देश की कई राज्य सरकारे फसल अवशेष के जलाने को लेकर अपने नई तकनीकों द्वारा निवारण में लगी हुई है | रबी एवं खरीफ सीजन की फसलें कटते ही 15-20 दिनों में आसमान में अत्यधिक धुआ, अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में स्वास के लिए दूभर बन जाती है | वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पिछले 4-5 सालों में किसानों के लिए पराली जलाने के प्रति कड़े कानून बनाए है- जिनका सीधा-सीधा बचने का तरीका फसल अवशेष प्रबंधन ही है |

फसल-अवशेष-प्रबंधन

फसल अवशेष क्या हैं?

किसान अपनी फसलों की कटाई के बाद बचे हुए चारा भाग/अवशेष के हिस्से को खेत में जला देते है | खेतों में बचे चारे को आग लगाना, फसल अवशेष जलाना कहते है| नई मशीनों से 4 इंच से लेकर 2 फिट ऊपर तक फसलों की कटाई करी जा रही है, बाकि बचा चारा खेत में ही खड़ा रहता है | दूसरी फसलों की बुवाई की जल्दी में खेतों में खड़ें चारे में आग लगाकर खेतों को समय पर खाली करने का तरीका अपना रहे है |

फसल अवशेष प्रबंधन कैसे करें?

एक जागरूक किसान कभी भी बचे हुई फसल का हिस्से / पराली में इस तरीके से आग नही लगाता है| इस पराली को आप अपने पशु चारे में, रोटावेटर से मिट्टी में दबाना, डेयरी फार्म हाउस या ईट भट्टों में बिक्री के लिए प्रयोग कर सकते है|

फसल अवशेष से खाद कैसे बनाएं?

परली को अपने खेत में जलाने से अच्छा है, की खेत में रोटावेटर जैसें कृषि यंत्रों से मिट्टी की पलटी करा दे| इससे आपकी पराली / फसल का बचा हुआ हिस्सा मिट्टी के नीचे आ जाएगा और वह पराली एक समय बाद सड़ कर कार्बनिक खाद बन जाएगी|

फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए सरकार कई जागरूकता अभियान, कर्मचारी निगरानी, जुर्माना भरने जैसे कानून भी जारी कर दिए है| यदि कोई किसान खेतों में खड़ी पराली में आग लगाता है, तो उससे दंड दिया जाएगा |

एक जागरूक व्यक्ति, इन सभी छोटी-छोटी चीजों को ध्यान में रखता है और एक जागरूक किसान अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति को नुकसान नही पहुंचता है| किसान को खेती करने के लिए जैविक तरीका अपनाना चाहिए, जिससे की प्रकृति को भी कोई नुकसान ना हो|

यह भी पढ़ें –

फसल अवशेष प्रबंधन क्यों आवश्यक है?

  • फसल अवशेष प्रबंधन बहुत ही आवश्यक, क्योंकि इसी की वजह से हमारा पर्यावरण नष्ट हो रहा है|
  • खेतों की उर्वरकता बनाई रखने के लिए पुरानी फसल अवशेष को दूर करना चाहिए |
  • पराली समाधान को लेकर – देश के कृषि मंत्रालय की नीतियों पर चलना, भविष्य के लिए जरूरी है |
  • यदि हमने अभी बिना जलाए, फसल अवशेष प्रबंधन नही किया, तो कई प्रकार की श्वास जैसी समस्याए भयंकर रूप ले लेगी|

फसल अवशेष जलाने के नुकसान ?

  • पराली को अपने खेत में जलाते है, तो इससे खेत की मिट्टी का उपजाउपन नष्ट हो जाता है और फिर किसान उपजाव को बढ़ाने के लिए केमिकल दवाइयों का उपयोग करता है |
  • पराली में आग लगाने से हमारा पर्यावरण भी प्रदूषित होता है, मिट्टी की उरर्वरा शक्ति कम होती है, दूसरे की खड़ी फसलों को नुकसान जैसी कई समस्याओ का सामना करना पड़ता है |
  • मिट्टी के जीवाश्म नष्ट हो के कारण, उपज, पैदावार में कमी आती है, खेती की लागत बढ़ती है |
  • धुओ के गुबारों से वायु प्रदूषण के साथ वायुमंडल भी प्रभावित होता है |
  • किसान पराली जलाते हुए पकड़े जाने पर, कड़ी कार्यवाही हो सकती है |

फसल अवशेष प्रबंधन का क्या महत्व है, फायदें ?

  • पराली को हम पशु चारे में, अधिक रकबा होने पर डेयरी फार्म खोल सकते है |
  • किसान पराली को इकट्टा कर ईट-भट्टों/ निर्यात समान पैकिंग उद्धोगो पर बेच सकता है |
  • धान की पराली दूसरे राज्यों में सस्ती रेट पर बेच सकते है |
  • रोटावेटर से खेत में दबा सकते है, कुछ समय बाद पराली मिट्टी के अंदर सड़ जाएगी, जो जैविक खाद का काम करेगी |

फसल अवशेष प्रबंधन पर सरकार का प्रयास ?

केंद्र सरकार और राज्य सरकार फसल अवशेष प्रबंधन करने का प्रयास कर रही है | सरकार योजनाओं और कानून के मध्यम से किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है, की इस तरीके से पराली जलाना सही नही है |

सीजन के दिनों में किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र/ साधन मुहया कराती है, पराली खरीदने-बेचने के अवसर उपलब्ध करती है |

फसल अवशेष प्रबंधन योजना कहाँ चालू है?

फसल अवशेष प्रबंधन योजना देश के मुख्यत – दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, एमपी, यूपी आदि राज्यों में यह योजना लागू है | – फसल अवशेष प्रबंधन pdf

पराली/फसल अवशेष समस्या से प्रभावित राज्य हैं?

पराली/फसल अवशेष समस्या से प्रभावित राज्य विशेष तौर से – दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, एमपी, यूपी, महाराष्ट्र, राज्य प्रभावित है, सीजन के समय सेटेलाइट सिस्टम द्वारा निगरानी रखकर, कार्यवाही की जाती है |

यह भी जरूर पढ़ें…

दुसरो को भेजे - link share

Leave a Comment

error: Content is protected !!