[ टिंडे की खेती कैसे करे 2024 ] जानिए हाइब्रिड किस्में, कमाई, कौन से महीने में लगाया जाता है | Tinda Farming

Last Updated on March 13, 2024 by krishisahara

टिंडे की खेती कौन से महीने में होती है | टिंडा बीज कैसे लगाए | टिंडा बढ़ने में कितना समय लगता है | टिंडे की खेती कैसे करे | Tinda farming In Hindi | हाइब्रिड टिंडा सब्जी खेती

टिंडा एक बेल/लता प्रकार का पौधा है, जो गर्मी और खरीफ़ के मौसम में लगाया जाता है | इसकी खेती किसानों के लिए मुनाफेदार फसलों में मानी जाती है | यह एक महंगी सब्जी फसल है, जो बहुत स्वादिष्ट एव गुणकारी होती है | इसकी खेती करने से किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं |

टिंडे-की-खेती-कैसे-करें

आज की खेती और बाजार में टिंडे की खेती का महत्व बढ़ चुका है, क्योंकि इसका उपयोग खासतौर पर भारतीय रसोईघरों में सब्जी के रूप में किया जाता है | इसके सेवन से हमारे शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं जो हमें स्वस्थ और फिट रखने में मदद करते हैं|

टिंडे की खेती कैसे करें?

टिंडे की उन्नत तकनीक से खेती एक लाभकारी व्यवसाय है, जो किसानों को अच्छा लाभ प्रदान कर सकता है | इसके लिए उचित तकनीकी ज्ञान और सहायता का होना महत्वपूर्ण है | आइये जानते है टिंडे की खेती कब और कैसे करे –

टिंडे की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु –

इसकी खेती के लिए उपयुक्त जलनिकास वाली होनी चाहिए | बीज बुवाई से पहले खेत की मिट्टी को अच्छे से तैयार किया जाना चाहिए और उसमें उच्च मात्रा में जिवाणुओं और पोषक तत्वों  की मौजूदगी मिट्टी होनी चाहिए | पौधे के अच्छे विकास के लिए मिट्टी का pH मान 6 से 7 के मध्य होनी चाहिए |

टिंडा की फसल के लिए गर्म एवं शुष्क जलवायु (20-30°C) सबसे उपयुक्त रहती है। ठंडी के मौसम में इसकी खेती करना किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है |

टिंडे की खेती का समय –

भारत में टिंडे की खेती वर्ष में दो बार की जा सकती है, फरवरी से मार्च और जून से जुलाई महीने तक इसकी बुवाई कर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं |

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बीज बुवाई –

टिंडे की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता / हाइब्रिड बीजों का चयन करना महत्वपूर्ण है | अच्छे बीज का चयन करने से पौधों का अच्छा विकास होता है और उत्पादकता बढ़ती है | बीजों की बुवाई क्यारियों या बेड, मिल्चिंग पेपर में की जा सकती है | बीजों को  2-3 cm की गहराई में बोयें | बीज से बीज की दुरी 60 से.मी. की होनी चाहिए | – टिंडा के हाइब्रिड बीज

पोषण और सिंचाई –

टिंडे के पौधों को पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी में उगाना चाहिए, ताकि वे अच्छे से विकसित हो सकें | जायद की फसल को सप्ताह में 3 बार सिंचाई और खरीफ़ फसल में सप्ताह में एक बार सिंचाई करनी उपयुक्त रहती है |

रोग नियंत्रण और प्रबंधन –

यह फसल जड़ गलन, पत्ती धब्बा, फफूंदी पाउडर, सफेद मक्खी, फल गलन आदि कीट और रोग प्रभावित हो सकती हैं | बाजार या व्यापार की दृष्टि से खेती करने वाले किसानों को इस खेती में लगने वाले रोग-किट, पौधे के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में ज्ञान/प्रशिक्षण लेना बहुत जरुरी है | रोगग्रस्त समय पर पौधों का परीक्षण करना और उन्हें उपचार करना आवश्यक होता है |

प्रशिक्षण और सहायता –

टिंडे की खेती के लिए कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाए प्रशिक्षण कार्यक्रम और सहायता प्रदान करते हैं। किसानों को इन सुविधाओं और योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए |

फसल कटाई-तुडाई ?

अच्छे हाइब्रिड वाली फसल 45 से 50 दिन में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है | नियमित अन्तराल पर फल तुडाई करना फसल की गुणवता और अधिक उत्पादकता को बढ़ाती है | बाजार की मांग के अनुसार ग्रेडिंग करके किसान अधिकतम लाभ कमा सकते है |

टिंडे की खेती से आमदनी ?

यदि आप अच्छे किस्म के बीज की बुवाई करते हो तो 45-50 दिनों बाद से ही इस टिंडे की फसल की तुड़ाई शुरू हो जाती है | इसके बाद हर 4 से 5 दिनों के अंतराल में इसकी तुड़ाई की जा सकती है | इसके पैदावार प्रति हेक्टेयर में 75 से लेकर 110 क्विंटल तक मिल जाता है और टिंडे के बाजार भाव देखे तो 25 से 30 रूपए प्रति किलो मिल जाते है, जिससे किसान भाई प्रति हेक्टेयर से 225000 से 330000 रुपये तक अच्छी आमदनी कम सकता है |

टिंडे का पेड़ कैसा होता है?

टिंडे का पेड़ नही होता है, इसकी बेल/लता प्रकार का पौधा होता है | यह सब्जी फसल है, जिसकी उम्र 90 से 120 दिन तक होती है |

टिंडा कौन से महीने में लगाया जाता है?

टिंडाकी फसल/खेती मुख्यत जायद, खरीफ़ के सीजन में लगाई जाती है | जायद( फरवरी-मार्च ) में लगाई जाने वाली फसल की बाजार में खूब मांग एव अच्छी कीमत होती है |

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