मूंगफली का बीज कहां मिलेगा | mungfali ki variety | mungfali ke bij | mungfali ka bij | mungfali bij | मूंगफली बीज भाव | मूंगफली बीज | मूंगफली की प्रजाति | मूंगफली के बीज | मूंगफली का बीज | मूंगफली बीज का भाव 2022
देश मे तिलहनी फसलो के प्रमुख स्थानों मे शामिल मूंगफली की फसल | यह एक प्रकार से खरीफ की फसल है लेकिन आज की उच्च तकनीक के बीजों के आगमन पर साल के किसी भी मॉसम मे की जा सकती है मूंगफली की खेती | लेकिन अभी भी 75% यह खरीफ के समय फसल ली जाती है |
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वर्तमान मे बहुत सी उन्नत किस्मे विकसित हुई है जो समान और आसमान परिस्थतियों मे भी अच्छा उपज-उत्पादन दे रही है | आइए जानते है प्रमुख मूंगफली की किस्में, मूंगफली की प्रजाति, mungfali ki variety के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी –
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राज्यवार मूंगफली की किस्में ?
नीचे दी गई सारणी मे इन राज्यो के मिट्टी जलवायु आदि कारकों के हिसाब से विकसित प्रमुख किस्मे है –
राज्यवार मूंगफली की वैरायटीया | प्रमुख प्रचलित वैरायटी |
मध्यप्रदेश में मूंगफली की प्रमुख किस्में | ए. के. 12-24 चित्रा टी. जी. 26 ज्योति जूनागढ़ सावंत जे. जी. एन.-3 जे.एम.-2 जे.एम.-24 जे.एम.-3 जे.मूंगफली-1 आदि | |
उत्तर प्रदेश में मूंगफली की किस्में | चंद्रा-एच 11 प्रकार-28 टाइप-28 जूनागढ़ कौशल प्रकाश (CSMG-884) अम्बर टी जी -37 A दिव्या -एम उत्कर्ष -एम आदि | |
राजस्थान में मूंगफली की किस्में | चित्रा सोमनाथ आर. एस. समराला जूनागढ़ राज मूंगफली -3 आर जी 559-3 टी बी जी – 39 टि ए जी -24 प्रताप राज मूंगफली(यू जी 5) आदि | |
हरियाणा में मूंगफली की प्रमुख किस्में | चित्रा एम. एच. टी बी जी – 39 जी जी -7 ( जे-38) आदि | |
महाराष्ट्र के प्रमुख मूंगफली की किस्में | ए. के. 8-10 स्मॉल करंड 4-11 कोणकन गौरा स्पेनिश इमपरो कोपर गाँव सोमनाथ फुले प्रगति-24 आदि | |
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक तमिलनाडु | सी. ओ.- 1 डी. एच. 330 कदिरी-ए कदिरी कावेरी-1 टी बी जी – 39 आदि | |
बिहार मूंगफली की किस्में | चित्रा टी बी जी – 39 टी जी -37 ए आदि | |
पंजाब की प्रमुख मूंगफली की किस्में | चित्रा मूंगफली-एन पी.जी. -1 स्परिंग ग्राउंड पंजाब आदि | |
गिरनार-2 मूंगफली बीज –
- यह एक प्रकार से अर्द्धविस्तारित किस्म है, यह वैराइटी बारानी और दोमट मृदा वाले क्षेत्रों में ज्यादातर लगाई जाती है |
- फसल के पकने का समय 120 से लेकर 130 दिनों के बीच में पक कर तैयार हो जाती हैं |
- प्रति हेक्टेयर उपज की बात करें तो 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन ले सकते हैं |
- गिरनार मूंगफली बीच में तेल की मात्रा 51 से 55% होगी जाती है |
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राज मूंगफली -3 (आर. जी. 559-3) –
यह किस में मूंगफली के अच्छे किस्मों में मानी जाती है –
- यह के समय रेतीली और दोमट मिट्टी क्षेत्रों में उपयुक्त वैरायटी है |
- इसके पकने की अवधि 125 से लेकर 130 से 30 दिन तक होती है |
- इसका औसत उपज की बात करें तो 28 से 35 मीटर प्रति हेक्टेयर होता है |
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राज दुर्गा (RG – 425 ) मूंगफली बीज-
- 125 से 130 दिनों में पक कर तैयार होने वाली है |
- यह वैराइटी असिंचित और बरानी क्षेत्रों में उपयुक्त मानी जाती है |
- उपज की बात करें तो बारानी क्षेत्रों में 15 से 20 प्रति हेक्टेयर और सिंचित क्षेत्रों में उपज की बात ने तो 30 से लेकर 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त कर सकते हैं |
- इसके किस्म में कॉलर राउट रोग/ गलकट रोग के प्रति सहनशील होती है |
- किस्म के बीजों में तेल की मात्रा 53 से 55% होती है |
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टी. जी.- 37 ए मूंगफली की प्रजाति –
- मूंगफली की यह किस्म कम समय में तैयार यानी कि 90 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है |
- अच्छी बारिश और काली दोमट मिट्टी के लिए उपयुक्त किस्मे है |
- मूंगफली की यह किस में झुमका वैराइटी है, उपज की बात करें तो 20 से 28 क्विंटल के बीच प्रति हेक्टर उत्पादन दे सकती है |
- तेल की मात्रा इसमें 48 से 50% के बीच पाई जाती है |
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जी. जी. -20
- वर्षा आधारित और असिंचित क्षेत्रों में इस किस्म को बुआई करना उचित माना जाता है |
- 110 से 115 दिन में यह फसल पककर तैयार हो जाती है |
- उपज की बात करें तो 22 से 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त कर सकते हैं |
- तेल की मात्रा की बात करें तो अन्य की तुलना में थोड़ा कम होता है जो 45 से 48% है |
राज. मूंगफली-1
- मूंगफली के यह वैराइटी छोटी और गहरे पत्तों के साथ कम फैलाव वाली है जिसका पकने का समय 125 से 130 दिन का होता है |
- राज. मूंगफली-1 वैराइटी मे उपज के बात करें तो 25 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त सकते हैं |
- इस किस्म की खास बात यह है कि गलकट, टिक्का रोंग, विषाणु रोग के प्रति सहनशील किस्म है|
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गिरनार-4 और गिरनार-5 मुगफली किस्म –
हाल ही में मूंगफली की नई उन्नत किस्मों में गिरनार 4 और 5 को शामिल किया गया है, यह दोनों ही अधिक तेल वाली मूंगफली की किस्में है |गिरनार-4 और गिरनार-5 मुगफली किस्म मे तेल की मात्रा 80% तक होती है |
- देश में यह वैराइटियों के विकसित होने पर खाद्य तेलों की मांग की पूर्ति की जाएगी, जिससे किसानों और दुनिया भर में तेल की मांग में पूर्ति होगी |
- देश की खेती में इन किस्मो के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग से भारत का मूंगफली निर्यात बढ़ने की संभावना है |
- उचित तेल उत्पादक राज्यों की सूची में भारत जल्द शामिल होने वाला है |
- इन किस्मों का तेल गुणवत्तापूर्ण और स्वाद, स्वास्थ्यवर्धक होता है |
- हाल ही में मूंगफली की इन दोनों किस्मों को विकसित होने से इन किस्मों की खेती कर किसान अच्छा फायदा कमा सकते हैं |
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देश मे मूंगफली का उत्पादन ?
तिलहनी फसलों मे मूंगफली का देश मे उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है | 2021-21 के आकड़ों के अनुसार गुजरात और राजस्थान से विदेशी-निर्यात शीर्ष पर रहा है |
2020-21 के दौरान भारत ने 6.38 लाख टन मूंगफली का निर्यात किया है, जिससे 5381 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई |मूंगफली की उन्नत खेती
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इसकी खेती को लेकर अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल –
मूंगफली का बीज कहां मिलेगा ?
किसानों को सही बीज का चुनाव और कहाँ से लेना, यह थोड़ा कठिन महसूस होता है क्योंकि बीज महगा आता है | Mungfali ke bij नजदीकी कृषि विभाग या विश्वासपूर्ण खाद-बीज केंद्र से खरीद सकते है |
मूंगफली की प्रजाति कौन सी है?
मूंगफली की खेती खरीफ और रबी के मौसमों में होती है- हर राज्य के क्षेत्र मिट्टी, जलवायु के आधार पर वेरायटी विकसित की जाती है, जिनकी विस्तृत जानकारी ऊपर दी गई है |
मूंगफली का भाव / न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022 ?
देश की प्रमुख अनाज मंडियों मे मूंगफली दाना का भाव औसत 5800 से 6800 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है | जबकि बार करें MSP की तो खरीफ 2021-22 के लिए 5550 रुपये प्रति क्विंटल रखी गई है |
मूंगफली की बीज दर ?
बीज दर की बात करें तो वैराइटी के अनुसार बीज दर रखे वैसे घरेलू या अन्य बीजों की एवरेज बीज दर 60 से 70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखनी चाहिए |
मूंगफली बीज उपचार कैसे करें ?
घर से काम मे लेने वाले Mungfali bij उपचारित करके ही खेत मे बोए, बीज उपचार के लिए बुआई के 1-2 घण्टे पहले 2 ग्राम मेन्कोजेब या कार्बेण्डिजिम या 3 ग्राम थाइरम दवा को प्रति किलो बीज के हिसाब से प्रयोग कर सकते है |
मूंगफली की खेती सबसे ज्यादा कहां होती है
भारत मे सबसे ज्यादा मूंगफली खेती और उत्पादन गुजरात राज्य मे होता है | गुजरात के अलावा उसके बाद राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यो मे प्रमुख रूप से की जाती है |
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