[ ग्वार की खेती 2023 ] ग्वार की खेती कैसे करें, उन्नत किस्में, कमाई, पैदावार – Guar Cultivation

Last Updated on December 27, 2022 by krishi sahara

Gwar ki kheti | ग्वार की खेती | gawar ki kheti | gwar ki kheti kaise ki jaati hai | ग्वार की उन्नत किस्में | ग्वार में खरपतवार नाशक दवा | सब्जी वाली ग्वार की खेती

देश मे बहूपयोगी और गुणकारी फसलों के रूप मे Gwar ki kheti की जाती है कम सिंचाई पानी और अच्छे भावों मे बिकने वाली मानी जाती है, ग्वार का उपयोग कृषि उद्धोग और पशु खल उद्धोग, औषधि दवा, कृषि भूमि मे हरी खाद, पशुओ के गुणकारी चारे, प्रोटीन आटे, गोद के पाउडर, तेल उद्धोग आदि मे किया जाता है| देश मे मुख्य: रूप से मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब-हरियाणा और उतरप्रदेश के अलावा गर्म जलवायु वाले प्रदेशों मे काफी क्षेत्र मे की जा रही है |

ग्वार-की-खेती

ग्वार की खेती कब और कैसे करें ?

ग्वार मुख्य रूप से खरीफ की फसल है, लेकिन उन्नत तकनीक के बीजों से इसे सब्जियों की खेती के लिए आजकल ग्वार को कभी भी लगाया जा सकता है| देश मे ग्वार कम वर्षा और विपरीत परिस्थिति मे उगाई जाने वाली बहुउपयोगी फसल है| ग्वार फली की भरपूर पैदावार के लिए खेत का चयन और फसल तैयारी पर विशेष ध्यान देना जरूरी है- आइए जानते है ग्वार की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी के बारे मे –

ग्वार का वानस्पतिक नाम ?

ग्वार का वानस्पतिक नाम – “Cyamopsis Tetragonoloba” है |

ग्वार की उन्नत किस्में ?

ज्यादा और कम लागत मे अच्छा उत्पादन लेने के लिए अपने क्षेत्र मे प्रचलित वैराइटियों का ही चयन करें |

सब्जी वाले ग्वार की प्रमुख उन्नत किस्मेचारे वाले ग्वार की प्रमुख उन्नत किस्मे
पुसा नव बहार, पुसा मौषमी, दुर्गा बहार आदि |HFG-119, HFG-258, HFG-156 आदि |
ग्वार की उन्नत किस्में

ये भी ग्वार की उन्नत किस्मे है जो देश के कई क्षेत्रों मे लगाई जाती है –

आर जी सी 936
आर जी एम- 112 (सूर्या ग्वार
आर जी सी 1002
आर जी सी 1003
आर जी सी 1017
आर जी सी- 1031
ग्वार क्रांति
एचजी 365
एचजी 563
ग्वार की उन्नत किस्में

ग्वार की नयी किस्म –

ग्वार X 6 इसकी पैदावार लगभग 10 क्विंटल तक प्रति एकड़ के हिसाब से होता है मध्यम और भारी भूमि पर ही इसे उगाया जाना चाहिए |

Star 610 ग्वार – यह एक उन्नत किस्में हैं | इसे 2 किलो बीच प्रति एकड़ के हिसाब से गाना चाहिए इसकी पैदावार भी 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाती है |

ग्वार Super X-7 – इसका फैलाव बहुत ज्यादा होता है और यह सबसे अच्छी मानी गई है |

ग्वार HG 20-20 – इसकी भी पैदावार 6 से 7 क्विंटल तक हो जाती है 2 किलो बीज प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करना है |

HG 365 व HG 363 – यह दोनों ही बहुत अच्छी है खासकर हरियाणा क्षेत्र के लिए इसकी पैदावार 6 से 7 क्विंटल तक हो जाती हैं इसमें एक या दो सिंचाई दे देनी चाहिए |

बीज का उपचार ?

ग्वार पौधों की जड़ों में अधिकतम जड़ों के बनने में अधिकतम वातावरणीय नाइट्रोजन भूमि में स्थापित करने के लिए उचित प्रकार की राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना आवश्यक है | इसके लिए बीजों को सर्वप्रथम 2 ग्राम के बेवास्टिन नामक दवा से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें| इसके बाद बुवाई के पहले बीजों को 2 से 3 ग्राम राइजोबियम कल्चर प्रति किलो की दर से उपचारित करें |

ग्वार की बिजाई का समय ?

ग्वार की खेती कब की जाती है- ग्वार फली और दानों के उत्पादन के लिए जायद फसल की बुवाई फरवरी से मार्च और वर्षा ऋतु की फसल के लिए बुवाई जून से जुलाई माह में करने पर उत्तम मानी जाती है |

भूमि मिट्टी का चयन –

ग्वार की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है लेकिन उचित जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त मानी जाती है |

उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र की रेतीली मिट्टी भी ग्वार फली की फसल के लिए उपयुक्त है इसकी खेती हल्की मिट्टी एव लवणीय भूमि में जिसका PH मान 7.5 से 8 तक हो |

मौसम जलवायु –

ग्वार गर्म जलवायु का पौधा है सूखे और गर्म मौसम के लिए यह उपयुक्त फसल है| ज्यादा वर्षा और ठंडी को यह सहन नहीं कर सकता है| अर्ध शुष्क क्षेत्रों में जहां बरसात कम परंतु एक नियमित अंतराल पर हो तो ग्वार की फसल से अत्यधिक उत्पादन किया जा सकता है |

ग्वार बुवाई मे बीज की मात्रा ?

ग्वार फली के बीज की प्रति हेक्टेयर मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि उसे किस मौसम में उगाया जा रहा है तथा किस तरह से बुवाई करते है |

सामान्यतः बीज की लागत की बात करें तो प्रति हेक्टेयर 18-20 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है यदि इसे पंक्तियों में उगाया जाता हो तो 14 से 16 किलोग्राम बीज पर्याप्त मात्रा होती है |

ग्वार का सिंचाई प्रबंधन –

यदि खरीफ यानि वर्षा में उगाई जाने वाली ग्वार फली की फसल में सही समय पर अंतराल पर उचित वर्षा होती रहे तो अतिरिक्त सिंचाई जल की आवश्यकता नहीं पड़ती है | आमतौर पर ग्वार फली को वर्षा कालीन फसल के रूप में उगाया जाता है समय पर वर्षा ना हो तो आवश्यकता के अनुरूप दो से तीन सिंचाई करनी चाहिए |

सब्जी वाली फसल मे सिचाई का विशेष ध्यान रखे| फूल आने के समय और फलिया बनने के समय में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए, नहीं तो पैदावार तथा फलों की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है |

जिन क्षेत्रों में वर्षा में अंतराल अनिश्चित है ऐसी स्थिति में ग्वार फली की फसल में 15 से 20 दिन तक बरसात नहीं होती है तो एक से दो जीवनदाई सिंचाई पर अधिक उत्पादन लिया जा सकता है | बरसात मे ग्वार की खेती में अच्छी गुणवत्ता युक्त फसल पैदावार के लिए सिंचाई जल प्रबंधन जरूरी है |

ग्वार-की-खेती

खाद एवं उर्वरक –

आमतौर पर किसान ग्वार फली की फसल में संतुलित और सही तरीके से खाद तथा उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करते हैं और मिट्टी में उर्वरा शक्ति कम होने के कारण पैदावार कम मिलती हैं| कम उपजाऊ वाली भूमि मे ग्वार फली की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर कम से कम 200 से 250 क्विंटल गोबर की खाद, 70 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 से 50 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग किया जा सकता है |

ग्वार की फसल से पैदावार ?

गवार फली को सब्जी के लिए उगाया गया है तो फलों को पूरी तरह से तैयार होने पर मुलायम अवस्था में ही तोड़ लेना चाहिए| नरम कच्ची फलीयो की तोड़ाई नियमित 4 से 6 दिन के अंतराल पर करें अच्छी फसल पैदावार व्यवस्था अपनाकर 1 हेक्टेयर क्षेत्र से 80 से 130 क्विंटल ग्वार फलियों की उपज ली जा सकती है |

ग्वार फली यदि भी दाना/बीज के लिए उगाई गई है तो फसल तैयार होने में लगभग 120 दिन लग सकते हैं| जब फलिया पूरी तरह से पक जाती है तभी तुड़ाई/कटाई होती है| फसल को धूप में सुखाकर कृषि मशीनों से निकालकर, एक हेक्टेयर फसल क्षेत्र से 10 से 17 क्विंटल दाना और इतना ही चारा प्राप्त हो सकता है |

ग्वार की खेती कौन से महीने में होती है?

जायद फसल की बुवाई फरवरी से मार्च और वर्षा ऋतु की फसल के लिए बुवाई जून से जुलाई माह में करने पर उत्तम मानी जाती है |

ग्वार क्या काम आता है?

सब के मन मे सवाल होता होगा की ग्वार से क्या बनता है, क्या काम मे आता है – ग्वार की फसल का अनेक क्षेत्रों मे इसका उपयोग किया जाता है- कृषि आधारित उद्धोग मे, पशु आहार खल, औषधि दवाइयों, कृषि भूमि मे हरी खाद, पशुओ के गुणकारी चारे, प्रोटीन आटे, गोद के पाउडर, तेल उद्धोग आदि कामों मे ग्वार का भरपूर उपयोग के साथ बाजरों मे अच्छी मांग रहती है |

ग्वार में खरपतवार नाशक दवा ?

ग्वार की खड़ी फसल में किसी भी प्रकार की खरपतवार रसायनिक दवा का प्रयोग नही करना चाहिए, जहाँ तक हो सके निराई-गुड़ाई करके फसल से खरपतवार को दूर कर सकते है| इस फसल में रसायनिक दवा का स्प्रे पत्तियों को पिला कर सकते है, और फसल की बढवार पर इसका फर्क सीधा पड़ सकता है |

ग्वार की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

हल ही मे ये ग्वार की नयी किस्मे बाजार मे छाई हुई है जो अपने उत्पादन और रोग कीटों से रहित मशहूर है –
ग्वार X 6
Star 610 ग्वार
ग्वार Super X-7
ग्वार HG 20-20
HG 365 व HG 363

यह भी जरूर पढ़ें…

Leave a Comment

error: Alert: Content is protected !!