Last Updated on December 27, 2022 by krishi sahara
गरीबों का काजू के नाम से मशहूर मूंगफली, काजू से ज्यादा पोस्टिक है | खरीफ के फसलों मे कम लागत के साथ तैयार होने वाली फसल मानी जाती है – मूंगफली की खेती | किसान भाइयों बता दे की मूंगफली का देश मे अच्छा-खासा व्यापार एव मांग फेला हुआ है, जिससे इसकी मांग और कीमतें अच्छी बनी हुई रहती है |
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देश के किसान भाई अनुकूल क्षेत्रों मे इसकी खेती कर कमा सकते है मोटा मुनाफा, तो आइए जनते है- मूंगफली की किस्में, मूंगफली की जैविक खेती, मूंगफली की खेती कैसे करें, खेती करने की विधि, मूंगफली की पैदावार आदि के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी-
मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु एव मिट्टी ?
देश के विभिन्न भागों में मूंगफली की खेती बलुवर , बलुवर दोमट, दोमट और काली मिट्टी पर सफलता पूर्वक कि जाती है| परन्तु बलूवर दोमट भूमी मूंगफली के लिए सबसे उत्तम होती है | अधिक पैदावार 5.0 PH से ऊपर वाली भूमी में प्राप्त होती है |
मूंगफली की फसल उष्ण कटिबंधीय की मानी जाती है, उन स्थानों पर जहां गर्मी का मौसम पर्याप्त लंबा हो, वहा अच्छे से की जा सकती है | फसल को थोड़ा पानी, पर्याप्त धूप तथा सामान्यतः कुछ अधिक तापमान, यही इस फसल की आवश्यकताएं है |
खेत की तैयारी-
खेती करने से 1-2 महीने पहले एक बार खेत की कल्टीवेटर या पलाऊ से जुताई करना सबसे उत्तम मानी जाती है | खेत की 10-15 से. मी. गहरी जुताई करना सबसे उत्तम है | खेत की अधिक गहरी जुताई करने पर भूमि में मूंगफली का बनना अथवा ज्यादा अधिक गहराई पर फलियों का बनना खुदाई के समय कठिनाई उत्पन करता है |
मूंगफली की प्रमुख उन्नत किस्मे और विशेषताएं –
मूंगफली की पुरानी किस्मों की अपेक्षा नई उन्नत किस्मों की उपज क्षमता अधिक होती है और उन पर कीटो तथा रोगों का प्रकोप भी कम होता है |
अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आपके क्षेत्र की जलवायु एवं मृदा के अनुसार अनुमोदित किस्मों का उपयोग करना चाहिए-
वैराइटी के नाम | प्रमुख उन्नत किस्मे और विशेषताएं |
एके-12-24 | मूंगफली की सीधे बढ़ने वाली यह किस्म 100-105 दिन में तेयार होती है | फलियों की उपज 1250 किग्रा प्रति हेक्टेयर आती है | |
कोंशल (जी-201) | यह एक मध्यम फैलने वाली क़िस्म है जो कि 108-112 दिन में पककर तैयार होती है | 1700 किग्रा प्रति हैक्टेयर फलिया पैदा करने की क्षमता रखती है | |
जे-11 | यह एक झुमका वाले वैराइटी है जो कि 100-105 दिन में पूर्ण रूप से पकती है | 1300 किग्रा प्रति हैक्टेयर के आस-पास उत्पादन ले सकते है | |
ज्योति | गुच्छे दार किस्म है जो कि 105-110 दिन में यह वैराइटी तैयार होती है | उत्पादन 1600 किग्रा प्रति हैक्टेयर फलिया पैदा करने की क्षमता रखती हैं | |
मूंगफली की बुआई का समय ?
खरीफ की यह फसल मुख्य रूप से बरसात-मानसून पर निभर होती है | लेकिन वर्तमान मे सिचाई साधनों के चलते किसान इसकी अगेती और पछेती खेती कर भी अच्छा उत्पादन/लाभ कमा रहे है –
मूंगफली की अगेती बुआई (खरीफ ) | मूंगफली की बुआई का सही समय | मूंगफली की पछेती बिजाई |
15 जून से पहले की जाने वाली मूंगफली की अगेती बुआई मानी जाती है | | सही समय मे 15 जून से जून के अंतिम दिनों तक | जुलाई मे की जाने वाली मूंगफली बीज की बुवाई पछेती खेती कहलाती है | इस तरह की बुआई अंतिम मे 1-2 सिंचाई की जरूरत होती है | |
- बुआई के समय का मूंगफली की उपज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है |
- बुवाई के साथ खेत में पर्याप्त नमी होना चाहिए ओर ध्यान रखे अधिक नमी में भी बीज सड़ने की संभावना रहती है |
- पलेवा देकर अगती बोआई करने से फसल की बढ़वार तेजी से होती है |
Mungfali बीज की मात्रा एवं बुवाई-
बीज किसान भाई घर से भी तैयार कर सकते है इसके लिए बुआई से पहले बीजों को उपचारित करके ही बोए | मूंगफली का वेरायटी वाले बीज के लिए समय पर किसान सेवा केंद्र से प्राप्त कर सकते है –
- बीज के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली मूंगफली पूर्ण रूप से विकसित, पकी हुई मोटी, स्वस्थ्य तथा बिना कटी- फटी होनी चाहिए |
- बोआई के 2-3 दिन पूर्व मूंगफली का छिलका सावधानीपूर्वक उतारना चाहिए जिससे दाने के लाल भीतरी आवरण को क्षति न पहुंचे नहीं तो बीज अंकुरण शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है |
- बीज बुआई की मात्रा की बात करें तो औसत 60 से 70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज लगता है |
- वेरायटी का बीज की मात्रा के लिए उस पर दिए गए माप-दंड अनुसार प्रयोग करें |
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मूंगफली की खेती करने की विधि ?
सीड ड्रिल मशीन से बुआई | डिबलर विधि |
बुआई की इस विधि में सीड ड्रिल मशीन से बुवाई 7-8 सेमी के बीज से बीज की दूरी पर तथा 5-6 से मी गहरी बुआई की जाती है | | इस तरीके मे डिबलर मशीन से बुआई होती है | यह हस्त चलित मशीन है, जिसका उपयोग मूंगफली की बुवाई हेतु किया जाता है| डिबलर विधि बीज की बचत होती है, यानि पूरे बीजों का उगाव होता है | |
अधिक क्षेत्र पर बुवाई करने के लिए यह विधि सफल नहीं है कम क्षेत्र की बुवाई के लिए बीज की खुरपी या डिबलर की सहायता से बुवाई करते हैं समय और दिबलर की सहायता से बुवाई करते हैं कि आवश्यकता इस विधि से अधिक पड़ती है |
मूंगफली पोधो मे अंतराल ?
- पौधो के अंतराल का फसल कि उपज पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है |
- गुछेदार/ झुमका वैराइटियों मे 45*10 सेमी की दूरी रखे |
- फैलकर चलने वाली वैराइटियों मे 60*10 सेमी |
मूंगफली में कौन सा खाद डालें?
खाद एवं उर्वरक- मूंगफली की अच्छी उपज लेने के लिए भूमी में कम से कम 35-40 क्विंटल गोबर की अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद को मिलाकर खेत में बुवाई से पहले इस मिश्रण को समान मात्रा में बिखेर ले, इसके बाद खेत में अच्छी तरह से जुताई कर खेत को तैयार करें इसके उपरांत बुवाई करें |
सिंचाई –
उत्तरी भारत में मूंगफली की बुवाई वर्षा प्रारम्भ होने पर करते हैं: अतः सिंचाई की विशेष आवश्कता नहीं होती है | दक्षिण भारत में ग्रीष्म कालीन फसल में 10-15 दिन के अंतर पर सिंचाई की आवश्यकता होती है |
मूंगफली में खरपतवार नाशक ?
- निराई गुड़ाई का मूंगफली की खेती में बहुत अधिक महत्व है, जो मुख्य रूप से मूंगफली में खरपतवार रोकने का काम करती है |
- पूरी फसल मे 15 दिन के अंतर पर 2-3 गुड़ाई निराई करना लाभदायक माना गया है |
- जब पौधो में फलियों के बनने का की क्रिया प्रारम्भ हो जाय तो कभी भी निराई गुड़ाई या मिट्टी चडाने की क्रिया नहीं करनी चाहिए |
- रसायनिक दवा से खरपतवार को हटाने के लिए बीज अंकुरण से पहले पेंडीमेथालिन 1-1.5 किलो प्रति हैक्टेयर की दर से या ऑक्सीफ्लूरोफेन 250 ग्राम से 500 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं |
मूंगफली फसल मे कीट रोंग ?
प्रमुख रोंग | नुकसान और लक्षण |
तम्बाकू की सुंडी रोंग | यह सुंडी लगभग 4 से मी लंबी होती हैं यह सुंडी काली और कुछ हरे काले रंग की होती है इसका मौथ मध्यम आकार का काले भूरे रंग का होता है इसकी सुंडी हरी पत्तियों को खाती है और इस कारण से उत्पादन में बहुत हानि होती है | |
मूंगफली सफेद सुंडी रोंग | यह भूमी के अंदर जुलाई से सितंबर तक क्रिया शील रहती है ये प्रारम्भिक अवस्था में पौधो की जड़ों को हानि पहुंचानते है जिसके फलस्वरुप पौधे सुख जाते है | |
मूंगफली दीमक | यह मूंगफली का बहुत भयंकर कीट है, यह भूमी के अंदर रहती है | निरंतर पौधो की जड़ों को खाती है, जिससे पूरी फसल खराब हो सकती है | |
मूंगफली की कटाई कब होती है ?
अधिक उपज और तेल की मात्रा प्राप्त करने के लिए फसल की उचित समय पर कटाई करना लाभदायक है |समय से पहले फसल को काटने पर उपज एवं तेल के गुणों में कमी आ जाती है |
- मूंगफली के पौधों में फूल एक साथ न आकर धीरे धीरे बहुत समय तक आते हैं |
- गुच्छे दार जातियों में दो महीने तक व फैलने वाली जातियों में फलियों के विकास के लिए दो माह का समय आवश्यक है |
- समान्य परिस्थितियों में अगेती जातीय 105 दिन पछेती जातीय 135 दिन तक कटाई पर आ जाती है |
मूंगफली की खेती से पैदावार ?
मूंगफली में फसल की उपज विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार 10-12 कुंटल प्रति हैक्टेयर(असिंचित ) तक पाई जाती है |
झुमकेदार वैराइटियों मे 8-10 कुंटल प्रति हैक्टेयर (असिंचित ) तक व फैलाने वाली वैराइटियों मे 12 कुंटल प्रति हैक्टेयर (असिंचित ) तक उपज देती हैं |
सिंचित क्षेत्रों में सभी मृदा व जलवायु की परिस्थितिया अनुकूल होने पर 30 कुंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज होती हैं | और 70% मूंगफली से बीज और तेल 40% तक प्राप्त होता है |
मूंगफली की खेती से मुनाफा ?
तिलहनी फसल होने के कारण बाजार मे मांग और भाव अच्छे मिल जाते है | खेती से मुनाफे या कमाई की बात करें तो असिंचित क्षेत्रों मे 30-35 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और सिंचित क्षेत्रों मे 45 से 50 हजार प्रति हेक्टेयर तक का लाभ कमा लेते है |
मूंगफली की जैविक खेती ?
वर्तमान मे कृषि की स्थति को देखते हुए माने तो खेती मे बीज-बुआई से लेकर कटाई मड़ाई तक सब तौर तरीके बदल चुके है | इस खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिए अच्छे बीज, खाद-उर्वरक, दवा-कीटनाशक आदि का समय-समय पर देना जरूरी है |
मूंगफली एक बीघा में कितनी होती है?
यदि किसान भाई सही देखरेख के साथ खेती को सम्पन्न करता है तो प्रति बीघा 2 से 2.5 क्विंटल उपज ले सकता है यानि हेक्टेयर के हिसाब से 10 क्विंटल के आस-पास उत्पादन हो जाता है | सिचाई सुविधा है तो इसकी दुगनी उपज ले सकते है |
देश मे मूंगफली का उत्पादन ?
दुनिया मे भारत दूसरे नंबर पर है जो हर साल 6,857,000 टन मूंगफली का उत्पादन करता है | बता दे मूंगफली उत्पादन में अग्रणी राज्य- गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल राज्य शामिल है |
मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य कितना है ?
सरकारी खरीद 2022-23 के लिए खरीफ फसलों का मूंगफली का समर्थन मूल्य 5850 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित हुआ है |
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