Last Updated on February 6, 2024 by krishisahara
लौकी की दवा | हाइब्रिड लौकी का बीज | लौकी बढ़ाने की दवा | लौकी की फसल के रोग | लौकी के पौधे की देखभाल | हाइब्रिड लौकी की खेती | लौकी की नर्सरी कैसे तैयार करें
लोकी मंडियों में सबसे ज्यादा बिकने और स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रमुख सब्जियों में से एक है| lauki ki kheti देश में मौसमी फसल के रूप में कम समय और अच्छे भाव लेने के उद्देश्य से भारी मात्रा में की जाती है | प्रगतिशील किसान बाजार, शहरों के नजदीक/यातायात सुविधा के अनुरूप लौकी की खेती भारी मात्रा में कर रहे है |
लोकी यह एक संकर से कन्ददु जाति/वर्ग का का बेल वाला पौधा है | लौकी से देश में हरी सब्जी, मिठाईया, रायता, कोफ्ते, जूस आदि के साथ कई औषधीय कामों में इसका प्रयोग किया जाता है |
आज के समय देश का किसान लौकी की खेती की जानकारी, हाइब्रिड लौकी का बीज/पौधे की देखभाल कर कम लागत के साथ कम समय में अच्छा लाभ कमा सकते है, इस लेख के साथ बने रहे लोकी की खेती की सम्पूर्ण जानकारी –
लौकी का वानस्पतिक नाम क्या है – Lagenaria siceraria है |
लौकी कौन से महीने में लगाई जाती है?
लौकी भारत के हर क्षेत्र में उगाई जाने वाली फसल है, लौकी जायद एवं खरीफ दोनों ही मौसम में उगाई जाती है |
जायद में लौकी की बुवाई | जायद के मौसम लौकी की बुवाई जनवरी से फरवरी के अंत तक की जाती है | |
खरीफ सीजन में लौकी की बुवाई | खरीफ की फसल के लिए जून से जुलाई में बुआई कर दी जाती है | |
बाजार से अच्छे भाव लेने के लिए लौकी की अगेती और पछेती खेती करना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है |
लौकी की प्रमुख उन्नत किस्में ?
लोकी की बहुत सारी प्रजातियों है, जो 100 से लेकर 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है | लौकी की खेती में प्रचलित हाइब्रिड लौकी का बीज जो निम्न है –
लौकी की उन्नत किस्में |
कोयम्बटूर‐1 अर्का बहार पूसा समर प्रोलिफिक राउन्ड पंजाब गोल /कोमल पूसा संदेश कल्यानपुर लम्बी हरी आजाद हरित आजाद नूतन पूसा नवीन पूसा हाईब्रिड‐3 पुसा समर प्रोलेफिक लाग नरेंद्र रश्मि |
लौकी की नर्सरी कैसे तैयार करें ?
आज देश का किसान इतना जागरूक हो चुका है, की लगभग सभी प्रकार की सब्जियों की खेती करने से पहले उसकी नर्सरी तैयार करता है क्योंकि इसके फायदे काफी ज्यादा है| नर्सरी से तैयार पौधे में लगभग सभी प्रकार के पौषक तत्व देकर एक अच्छा हाइब्रिड लौकी का बीज का पौधा तैयार कर सकते है |
- लौकी की नर्सरी की तैयारी में पहले किसान को अच्छी किस्म का बीज का चुनाव करना है |
- नर्सरी पौध तैयार करने के लिए छोटे पॉली बेग या प्लांट ट्रे का प्रयोग कर सकते है |
- मिट्टी की तैयारी के समय अच्छी जैविक खाद तथा जीवाश्म वाली मिट्टी को काम में लेवे |
- छोटे पॉली बेग या प्लांट ट्रे में मिट्टी को भरकर प्रत्येक बेग में एक-एक बीज हल्का गहरा लगा देना है |
- बीज लगा देने के बाद छायादार और हल्की धूप आने वाले स्थान पर रखकर हल्का पानी जिससे बीज भीग जाए |
- इस प्रकार से तैयार की गई नर्सरी का पौधा 20-25 दिन में 4-5 पत्तिया के साथ तैयार हो जाता है |
- नर्सरी का पौधे के 4 पत्तिया आने पर खेत में लगा देना चाहिए |
लौकी की खेती में उपयुक्त मिट्टी और जलवायु ?
इसके लिए समशीतोष्ण/गर्म एव आर्द्र जलवायु उत्तम है | लौकी की खेती करने ले लिए विभिन प्रकार की भूमियों में इसकी सफल खेती की जा सकती है |
अच्छे उत्पादन लेने हेतु जीवाश्म युक्त उत्तम जल निकास युक्त दोमट, बलुई दोमट और हल्की दोमट भूमि में ही कर सकतें हैं |
खेत की तैयारी –
louki की fasl के लिए पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करनी चाहिए, बाद में 1-2 बार कल्टीवेटर या हैरो कृषि यंत्र चलाए| समतल और तैयार खेत में फिर किसान अपनी सुविधा के अनुसार लौकी बीज की बुआई कर सकते है- मचान विधि से लौकी की खेती वर्तमान में ज्यादा प्रचलित और फायदेमंद मानी जाती है |
बीज बुवाई की मात्रा –
प्रति हैक्टर 4-5 किलोग्राम लौकी बीज उपयुक्त होता है| बीज उपचार में 2 ग्राम थीरम या बाविस्टीन से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करना है, उपचार करने के लाभ है जिससे कि जमींन या भूमि से पैदा होने वाले रोग न लग सकें |
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मचान विधि से लौकी की खेती ?
बुवाई के लिए 3-4 मीटर की दूरी पर एक मीटर चौंड़ी बनी नाली में दोनों मेंड़ो पर अंदर की और 55-60 सेंटीमीटर के अन्तराल पर बीजों या पौधों को मेंड की 1/2 ऊंचाई पर बुवाई करनी होती है |
बीज बुवाई करने के बाद बेड पर सड़े गोबर की खाद थोड़ी-थोड़ी ऊपर से ढक देनी चाहिए, जिससे गर्मी पाकर बीज जमाव अच्छा हो सके, यह केवल जायद की फसल के लिए क्योंकि इस समय तापमान कम रहता है |
लोकी फसल में सिंचाई कब व कैसे करें –
सिंचाई इसमें थोड़ी भिन्न रूप से होती है शुरू में एक दो सिंचाई नालियों में करनी चाहिए, लेकिन पूरे खेत में नमी रहना अति आवश्यक है |
सिंचाई प्रबंधन के लिए ग्रीष्म कालीन फसल के लिए 4-5 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए | गर्मी के मौसम में सिंचाई की सुविधा कम है, तो किसान भाई ड्रिप सिंचाई का सहारा ले सकते है |
वर्षाकालीन/बरसात के मौसम में सिंचाई की कम आवश्यकता पड़ती है, इसके लिए किसान भाई फसल में सिंचाई फसल में मांग के अनुसार कभी भी कर सकते है |
लौकी के पौधे में कौन सा खाद डालें?
लौकी की खेती में 200-250 कुंतल सड़ी गोबर की कम्पोस्ट या कम्पोस्ट खाद प्रति हेक्टर के हिसाब से खेत की आखिरी जुताई के समय देना चाहिए| भूमि कम उपजाऊ या रासायनिक खाद का प्रयोग करना चाहे तो 120 किलोग्राम नत्रजन, 100 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में दे सकते है |
नत्रजन की 1/2 मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय मिला देना है | नत्रजन की शेष आधी मात्रा खड़ी फसल में दो बार में प्रयोग करते हैं, जिससे की हमें लौकी की फसल पैदावार अच्छी मिल सके |
खरपतवार प्रबंधन –
बात करए निराई-गुड़ाई की तो आम तोर पर खरीफ मौसम या सिंचाई के बात फसल में काफी खरपतवार उग जाती है | इस अनावशक खरपतवार को खुरपी या रासायनिक दवा (ब्यूटा-क्लोरो) की मदद से 20 से 25 दिन के अंतराल में निराई-गुड़ाई करके खेत से निकाल देनी चाहिए| लौकी बढ़ाने के लिए 2 से 3 बार अच्छी निराई-गुड़ाई करके पौधों की जड़ों के निचे मिट्टी को चढ़ा देनी चाहिए |
फसल कटाई कब करें ?
किसान भाई बीज बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद पहली तुडाई कर सकते है | बाजार में किस प्रकार की मांग या भाव के अनुसार फसल की तुड़ाई कर सकते है| फसल में फल जब खाने योग्य हो जाएँ तो प्रति सप्ताह या 5-6 दिनों के बाद फलों कि तोड़ाई कर देनी चाहिए |
सही समय पर फल तुड़ाई से फल कड़े न हो सकें और फलों कि गुणवत्ता अच्छी बनी रहे और बाजार में भाव आप को अच्छा मिलता रहे |
लौकी की फसल में लगने वाले प्रमुख रोंग कीट ?
इस फसल में मुख्य रूप से उकठा (म्लानि), चुर्णी फफूंदी, फल मक्खी (फ्रूट फ्लाई) और लाल कीडा (रेड पम्पकिन बीटल) जैसे प्रमुख रोंग का ज्यादातर प्रकोप रहता है| उन्नत खेती और उन्नत उत्पादन के लिए किसान को अपनी फसल में लगने वाले रोंगों के प्रति सचेत रहना है तथा उनका जल्द निवारण करें |
लौकी की उपज कैसे बढ़ाएं?
- समय-समय पर लोकी की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे, सिंचाई के साथ खाद जरूरी उर्वरक का प्रयोग भी करते रहना चाहिए |
- फसल में 20 से 25 दिन के अंतरालों में निराई-गुड़ाई करते रहे |
- समय-समय पर खेत में पूरी फसल की देखरेख करते रहे किसी भी प्रकार के रोंग कीटों का प्रभाव है तो जल्द से जल्द उसका उपचार करें |
- लौकी की बेल की जड़ों में ज्यादा समय तक पानी का भराव न होने दे यानि ज्यादा सिंचाई न करे और पानी भराव वाली भूमि में खेती ना करें |
- लौकी की व्यवसायिक खेती करते समय फसल में किसी भी प्रकार की रासायनिक दवा का प्रयोग करने से पहले सही ज्ञान या कृषि विशेषज्ञ से पूछ कर ही प्रयोग करें |
लोकी की पैदावार ?
किसान भाइयों बात करें लोकी की खेती में प्रति हेक्टेयर उत्पादन की तो लोकी की खेती में 200 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक लोकी की पैदावार प्राप्त कर सकते है| लेकिन किसान भाई ध्यान रखे ये पैदावार निर्भर करती है- हाइब्रिड लौकी का बीज, लौकी की फसल के रोग, लौकी के पौधे की देखभाल, मौषम, लौकी की खेती में बुआई की विधि आदि पर |
लौकी में कौन सी खाद डालें?
लौकी की खेती में 200-250 कुंतल सड़ी गोबर की कम्पोस्ट या कम्पोस्ट खाद प्रति हेक्टर के हिसाब से खेत की आखिरी जुताई के समय देना चाहिए | भूमि कम उपजाऊ या रासायनिक खाद का प्रयोग करना चाहे, तो 120 किलोग्राम नत्रजन, 100 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में दे सकते है |
लौकी की बेल की देखभाल कैसे करें ?
समय-समय पर लोकी की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे सिंचाई के साथ खाद जरूरी उर्वरक का प्रयोग भी करते रहना चाहिए| और किसी भी प्रकार के रोंग कीटों का प्रभाव है तो जल्द से जल्द उसका उपचार करें |
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