Last Updated on February 21, 2024 by krishisahara
खीरे में पोषक तत्व | खीरे की फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप | खीरे में लगने वाले कीट | ग्रीन हाउस में खीरे के रोग | खीरा के फसल में रोग नियंत्रण | खीरे में कड़वापन क्यों होता है | खीरा में झुलसा रोग | खीरा में कौन सी दवा डालें
नमस्कार किसान भाइयों देश के बाजारों में ग्रीष्मकाल में खीरे की मांग जोरदार बनी रहती है| कई प्रगतिशील किसान इस समय में खीरे की अगेती और पछेती खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है| ग्रीन हाउस में खेती करने से कई किसान सामान्य खेती से तीन गुना तक ज्यादा मुनाफा कमा सकता है, लेकिन ग्रीन हाउस में खीरे के कई प्रकार के रोग-कीटों का सामना करना पड़ता है, जिनकी आज हम विस्तृत से रोग की पहचान और नियंत्रण के बारें में बात करेंगे –
ग्रीन हाउस में खीरे के रोग सम्पूर्ण जानकारी –
किसान भाइयो बात करेंगे, ग्रीन हाउस में खीरा के फसल में प्रमुख रोग और नियंत्रण- खीरा ककड़ी में कब कौनसी Fertilizer & कीटनाशक देनी चाहिए –
1. खीरा की पौध नर्सरी में जड़ गलन रोग –
यह रोग मुख्यतः जमीनी फफूंद के प्रभाव से फैलता है| इस रोग से प्रभावित फसल के छोटे-छोटे पौधे की जड़ें गलने लगती है और केवल ऊपरी सतह से जड़ का थोड़ा सा हिस्सा बना रहता है, जो धीरे-धीरे पूरे पौधे को सुखा देता है| खीरे की फसल में जड़ गलन रोग को रोकने हेतु रोकथाम के लिए कार्बेंडाजिम 50% WP 600 ग्राम/एकड़ खाद में मिलाकर छिड़काव करें और सिंचाई करके दूर किया जा सकता है |
2. खीरा के पत्तो पर सफेद मच्छर रस चूसक किट का प्रकोप –
यह रोग मुख्यत: छोटे पौधों और फल फूल आने की समय देखने को मिलता है| यह रोग रस चूसक कीटों के फेलने के कारण फैलता है, जिसमें सफेद बारीकी मच्छर देखने को मिलते है| फसल को इस रोग से बचाने के लिए थियामेथाक्सम 25% WG 80 ग्राम मात्रा या फिर इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL 80 मिलीलीटर + N.P.K 19.19.19 को 800 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते है |
3. खीरा फसल के पौधे सूखना –
इस रोग में सबसे बड़ी बीमारी यह होती है, कि खीरे की फसल के पौधे सूखने लगते है| हरे पौधों से सीधा सूखने की और बढ़ना जमीनी कीट प्रकोप के कारण फैलता है| इस रोग के निवारण के लिए क्लोरोपायरिफॉस दवा 20% EC 2 ml मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर पौधों की जड़ों के क्षेत्र में छिड़काव करना चाहिए |
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4. खीरा फसल के पत्तो पर दाग धब्बे का होना –
इस रोग में शुरुआती दिनों में खीरे फसल के पत्तों पर हल्के दाग धब्बे दिखाई देते है| यह रोग फैलने के बाद पतियों का गिरना शुरू हो जाता है और पूरी फसल रोग हो जाती है, यह रोग मुख्यत फफूंद जनित रोग से फैलता है |
निवारण ओर रोकथाम – फसल को इस बीमारी से बचाने के लिए क्लोरोथलोनील 75% डब्ल्यूपी 30 ग्राम + ऐमिडा क्लोरोप्रिड़ 17.8 % SL15 मिली ग्राम 15 लीटर पानी के साथ घोलकर छिड़काव करने से रोग को दूर किया जा सकता है |
5. खीरा के फूल गिरने से रोकने के लिए –
इस रोग को शुरुआती अवस्था में देखा जाता है, कि जब फूल आने लगते है | तो इस समय में पोषक तत्वों की कमी के कारण फूलों का गिरना शुरू हो जाता है, और आधे फूल ही फल देने के लिए तैयार बनते है| इस बीमारी के निवारण के लिए प्लानोफिक्स 4.5% SL, 3.5 15 लीटर पानी के साथ घोलकर छिड़काव करने से खीरा फसल में फूल गिरने से रोका जा सकता है |
6. खीरा ककड़ी का साइज़ बढ़ाना – खीरा को फूलने वाली दवा –
किसान खीरे की फसल से मुनाफा और उत्पादन बढ़ाने के लिए फसल की अच्छी देखरेख के साथ खीरे का आकार बनाना भी जरूरी होता है| आकार का ना बनना मुख्य पोषक तत्वों की कमी को माना जाता है, इन पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए या खीरे का आकार बढ़ाने के लिए NPK 0.52.34 उर्वरक का 800 ग्राम प्रति एकड़ पानी में घोलकर छिड़काव करना उचित माना गया है |
7. ब्लाईट रोग का लगना –
यह रोग भी खीरे की फसल को बहुत प्रभावित करता है, इस रोग का लगने का कारण फल पर फफूंदी का फेलने से होता है| इस रोग से फसल को बचाने के लिए कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 45% WP 300 ग्राम प्रति एकड़ स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 20 ग्राम प्रति एकड़ + प्रोफ़ेनोफास 50% EC 250 ML एकड़ पानी के साथ घोलकर छिड़काव करने से फसल को ब्राइट के रोग से बचाया जा सकता है |
8. खीरा के फल और पत्तो पर इल्ली किट का प्रभाव –
इल्ली कीट के कारण खीरा की फसल और पत्ते पूरी रूप से सिकुड़ना और खराब होना शुरू हो जाते है| इस रोग से बचाने के लिए किसान को समय पर निवारण करना जरूरी हो जाता है| निवारण और रोकथाम के लिए इमामेकटिन बैंजोएंट 5% SG 100 ग्राम प्रति एकड़ पानी के साथ घोलकर छिड़काव करने से फसल को बचाया जा सकता है |
खीरा में कौन सी खाद डालें?
खीरे की खेती में जरूरी खाद में सबसे महत्वपूर्ण – पक्की हुई गोबर की खाद 15-25 टन/हेक्टेयर की दर से जैविक खाद के रूप में देनी चाहिए| बाकि फसल में पोषक तत्वों की कमी-लक्षण के अनुसार डालना चाहिए- ग्रीन हाउस में हर एक खाद-उर्वरक के लिए वर्तमान में सहरणीय NPK की ग्रेड अनुसार खाद डालनी चाहिए |
खीरा ककड़ी का फटना?
ककड़ी के फलों का फटना यह रोग मुख्यतः फसल में बोरॉन की कमी के कारण देखा जाता है| इस कमी दूर करने के लिए बोरॉन-बी 20% 15 ग्राम 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल फटने की बीमारी से फसल को बचाया जा सकता है |
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