हरा चारा की प्रमुख किस्में कौन कौन है | hara chara ki kheti | गाय पशुओं के लिए हरा चारा | हरा चारा रेट | हरा चारा की खेती
भारतीय कृषि में पशुपालन और पशुओं को रीड की हड्डी माना जाता है | आज के समय पूरे भारतवर्ष में कुल कृषि क्षेत्र में लगभग 5% पर ही हरे चारे का उत्पादन किया जाता है, जो पशुओं की संख्या के अनुपात में काफी कम आंकड़ा है| सामान्य तौर पर एक स्वस्थ पशु को प्रतिदिन 5 से लेकर 10 किलो हरे चारे की आवश्यकता होती है, लेकिन अनु उपलब्धता के आधार पर किसान सूखा और अन्य चारा खिलाने पर निर्भर है |
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पशुओ को अप्रेल से लेकर जुलाई महीने तक हरे चारे की ज्यादा जरूरत होती है, इसलिए आज के समय दुग्ध उत्पादन और पशुपालन की और ध्यान देते हुए हरा चारा उत्पादन की तकनीक और ज्ञान की आवश्यकता है –
सबसे अच्छा हरा चारा क्या है ?
डेयरी उद्योग दुधारू जानवरों के अलावा सभी प्रकार के पशुओं को पौष्टिक और संतुलित आहार के रूप में माना जाता है | हरा चारा हरे चारे का महत्व मुख्य रूप से गर्मियों के रूप में माना जाता है, जो पशुओं को कई रूप में लाभदायक साबित होता है |
हरे चारों को उगाने के लिए बड़ी चुनौती साबित होती है – किसान चारे की व्यवस्था मौषमी चारे फसलो के आलावा बहुवर्षीय चारे की भी खेती कर सकता है | सिचाई साधनों के साथ बहु वर्षीय चारे की अच्छी पैदावार ले सकते है |
हरा चारा की प्रमुख किस्में कौन कौनसी है ?
सभी राज्य और केंद्र की सरकार के प्रमुख कृषि संस्थान पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए कई हरा चारा किस्मों/वैरायटी को विकसित और डवलप कर रही है | अब तक के शोध के आधार पर कई प्रकार के हरा चारा बीज विकसित किए गए हैं, जो सालों-साल बहु कटाई के साथ हरा चारा देती रहती है | इन किस्मों को विभिन्न क्षेत्र और मौसम के अनुरूप लगा सकते हैं –
हरा चारा बीज नाम | चरी/ज्वार की फसल बरसीम नेपियर घास रिजका लोबिया हाइब्रिड/शंकर नेपियर चरी बाजरा मकचरी मक्का गिनी घास त्रिशंकर घास |
हरा चारा की खेती कब और कौनसी करें ?
खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख चारा फसलें | जवाहर/चेरी मक्का बाजरा लोबिया ग्वार | जून- जुलाई-अगस्त में इनकी बुवाई की जाती है | |
रवि के मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख चार आपस में | बरसीम जई मक्खन घास | इन की बुवाई का समय सितंबर के अंतिम सप्ताह से दिसंबर तक का महीना होता है |
बसंत मौसम/जायद मौसम/गर्मी के समय उगाई जाने वाली फसल | लोबिया समर कालीन बाजरा जवाहर मक्का मैथ/राइसबीन हरिद्वार | इस चारा फसल का बुवाई का समय फरवरी-मार्च से लेकर मई तक होता है |
बहु वर्षीय चारा फसलें | शंकर नेपियर पारा ग्रास | – |
हरा चारा की खेती कैसे करें ?
किसी भी प्रकार की चारा फसल हो, उसके लिए खेत की तैयारी और अच्छी खाद-बीज की आवश्यकता होती है| खेत की तैयारी में हल/रोटावेटर से 3 से 4 बार गहरी जुताई करा देनी चाहिए, पहली जुताई में ही 15 से 20 टन पक्की हुई गोबर खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालनी चाहिए| अब चारा बीज बुवाई के लिए खेत तैयार है, चारे के बीज की बवाई विधि के अनुसार खेत में क्यारी विधि, बेड विधि, समतल, धोरा/मेड तरिका आदि से बीज बुवाई कर सकते है |
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हरा चारा उत्पादन तकनीक/विधि ?
क्यारी विधि | इस विधि में किसान तैयार खेत में क्यारिया बनाकर बीजों को छिडकाव तरीको से बुवाई कर सकता है | यह तरीका सिंचित भूमि और सिचाई साधनों के द्वारा सम्भव है | |
बेड विधि | इस तरीके में सिचाई साधनों के आधार पर हरे चारे का उत्पादन लिया जाता है | इस विधि में तैयार भूमि में 1 फिट से लेकर 6 फिट चोड़ाई के मेड बनाकर, उपर बीजों की बुवाई कर सकते है| उदाहण – गन्ने की खेती ज्यादातर इस विधि से की जाती है | |
समतल | समतल विधि के तरीकों का ज्यादातर असिंचित भूमियों में किया जाता है, इस तरीके से तैयार ओने वाली चारा फसलें बरसात/बारिश के समय बोई जाती है | |
धोरा/मेड | इस तरीके में दूसरी मुख्य फसलो के साथ-साथ सिचाई मेड पर बीज/चारे को लगाया जाता है| यह बेड विधि के समान ही उसका छोटा रूप है | |
हरा चारा खिलाने के फायदे ?
- पशुओ में तंदुर्स्थी, आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होती रही है |
- हरा चारा पशुओ के लिए उच्च स्वादिष्ट और पौष्टिक चारा माना जाता है |
- दुधारू जानवरों में आयरन की कमी दूर एव दुग्ध में बढोतरी और बछड़ा स्वस्थ रहता है |
- हर चारा पशुओ के लिए सुपाच्य आहार माना जाता है, जिसके पचने में पशु को किसी भी प्रकार की दिक्कत नही होती इसीलिए कई किसान सूखे चारे में हरा चारा मिलाकर खिलते है |
- ऐसे चारे में विटामिन ए पाया जाता है, जो गर्भ धारण पशुओ में कई गुना लाभदायक होता है |
गर्मी में हरा चारा ?
पशुओ को अप्रेल से लेकर जुलाई महीने तक हरे चारे की ज्यादा जरूरत होती है | इस समय हरे चारे की व्यवस्था के लिए फरवरी मार्च के महीने में बोई जानी वाली चारा फसलो की बुवाई कर सकते है, जो गर्मीं में हरा चारा की पूर्ति कर सकता है| सरकार भी हरे चारे को लेकर चारा विकास कार्यक्रम शुरु कर रखा है |
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हरा चारा की प्रमुख किस्में कौन-कौन है?
हरे चारे की उन्नत किस्में – चरी/ज्वार की फसल, बरसीम, नेपियर घास, रिजका, लोबिया, हाइब्रिड/शंकर नेपियर, चरी बाजरा, मकचरी, मक्का, गिनी, घास, त्रिशंकर घास इत्यादि है |
स्वस्थ पशु को रोजाना कितना हरा चारा खिलाना चाहिए?
सामान्य तौर पर एक स्वस्थ पशु को प्रतिदिन 5 से लेकर 10 किलो हरे चारे की आवश्यकता होती है|
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