[ सिंघाड़े की खेती कब की जाती है 2024 ] जानिए सिंघाड़ा का बीज, उन्नत खेती | Water Chestnut Farming

Last Updated on March 1, 2024 by krishisahara

Water Chestnut Farming | सिंघारा कहां उगाया जाता है | सिंघाड़े की बेल कैसे लगाई जाती है | सिंघाड़े का क्या भाव है | सिंघाड़े की खेती कैसे करें | सिंघाड़ा कौन सी बीमारी में काम आता है | सिंघाड़ा में लगने वाले रोग | सिंघाड़ा का बीज | singhara ki kheti

सिंघाड़े-की-खेती-कैसे-करें

देशभर में सिंघाड़ा को नकदी फसल के रूप में माना जाता है, जो शहरी और जलाशयों के निकट बसे किसान की आय का श्रोत बनती जा रही है | यह एक जलीय पौधा है, जिसकी जड़ पानी के अंदर और पत्तिया पानी की सतह के ऊपर तैरती रहती है | कम लागत और अच्छी कमाई देने वाली इस खेती से किसान सीजन में अच्छी कमाई कर रहे है | सिंघाड़े का उपयोग सब्जी, फल या सूप, व्रत आहार, औषधि दवा आदि के रूप में काम लिया जाता है |

सिंघाड़े की खेती कैसे करें ?

इसकी खेती मुख्यतः जलाशयों (स्थिर जल वाले) या खेतों में पानी भरकर दो तरीकों में की जाती है| सिंघाड़े की बेल कैसे लगाई जाती है – इसके लिए सर्वप्रथम बीज से पौध नर्सरी तैयार करते है, जो जनवरी-फरवरी का माह उपयुक्त है | नर्सरी पौध रोपण के लायक हो जाए तो जून-जुलाई के महीने में इनमें से 1-1 मीटर लंबी बेल तोड़ कर, उन्हें तालाब में रोप कर देना चाहिए |

सिंघाड़े की उन्नत बीज किस्में ?

लाल छिलका वाले सिंघाड़ा बीज – यह किस्म हाल ही के कुछ वर्षो की नई और उन्नत VRWC 1 और VRWC 2 किस्म है| उपज और लाभ इस वैराईटी में कम देखने को मिलता है, इसलिए लाल छिलके वाली किस्म को बहुत कम उगाया जाता है| इस किस्म से शूरुआती दिनों में ताज़ा उपज देखने को मिलती है, बाद में इसके सिंघाड़े काले पड़ने लग जाते है |
हरे छिलके वाले सिंघाड़ा बीज –बाजार में मांग और अच्छे भावों में बिकने वाली यह सदाबहार किस्म व्यापारिक तौर काफी प्रचलित है | हरे छिलके वाले सिंघाड़ा बीजों में VRWC 3 मानी जाती है, जो लंबे समय तक ताज़ी रहती है |
सिंघाड़े की जल्द पकने वाली किस्मों में –कटीला
लाल चिकनी
गुलरी
हरीरा गठुआ
लाल गठुआ है, इस किस्म की तुड़ाई 120 से 130 दिन में होती है | 
सिंघाड़े की देर से पकने वाली किस्में – गुलरा हरीरा
करिया हरीरा
गपाचा
इन किस्मों की पहली तुड़ाई 150 से 160 दिनों में होती है |

यह भी पढ़े –

जलवायु और जगह का चयन –

इस फसल की व्यापारिक खेती की जलवायु की बात करें, तो उष्णकटिबन्धीय वाली फसल है| स्थान का चयन में कम से कम 2 फीट गहरे स्थिर या बहुत ही कम बहाव वाले जलभराव की स्थति चाहिए |

सिंघाड़े की खेती कब की जाती है?

आज के समय कई प्रगतिशील किसान इसकी खेती नर्सरी द्वारा और कई किसान सीधे मानसून के समय बीज बुवाई करते है| मानसून की बारिश के समय बीज द्वारा सिघाड़े की बुआई जून, जुलाई में शुरू हो जाती है| जबकि नर्सरी में जनवरी-फरवरी में तैयार कर मानसून के समय जलाशयों में बेल को 1-1 मीटर लम्बाई में बोया जाता है |

सिंघाड़े का बीज कैसा होता है, कहाँ मिलेगा ?

अच्छी कमाई के लिए सिंघाड़े का उन्नत बीज होना बहुत आवश्यक माना जाता है | इसके लिए बीज उद्यान विभाग या अपने नजदीकी कृषि सेवा केंद्र से संपर्क कर सकते है | यदि किसान अपनी फसल से बीज तैयार करना चाहते है, तो सफल की दूसरी तुडाई वाली सिंघाडा बीज हेतु काफी उत्तम माने जाते है, जो अगले साल के लिए तैयार कर सकते है |

सिंघाड़ा कहां उगाया जाता है ?

देश में सर्वोधिक इसकी खेती उतर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, आध्रप्रदेश जैसे राज्यों में अधिक की जाती है |

सिंघाड़ा में लगने वाले रोग ?

यह खेती रोग-कीटों से सर्वोधिक प्रभावित रहती है, बचने के लिए उन्नत बीजों का चयन करें, फसल की नियमित देखभाल करें |

सिंघाड़े की खेती में ज्यादातर लगने वाले रोगों में –

  • सिंघाड़ा भृंग
  • नीला भृंग
  • लाल खजूरा
  • माहू
  • घुन
  • लोहिया
  • दहिया रोग

सिंघाड़े की खेती से कमाई लाभ ?

सामान्य भाषा में बात करें तो, एक एकड़ तालाब में लगभग चार हजार रुपए कीमत की पौध लग जाती है| एक एकड़ में करीब बुवाई से लेकर तुडाई तक का खर्चा में 40 हजार रुपए तक की लागत आती है| एक एकड़ सिंघाड़े की खेती से कुल आय 1 से 1.5 लाख रुपए तक में बिक जाता है, शुद्ध मुनाफा 70-80 हजार का हो सकता है |

कई किसान भाई बाजार में हरे सिंघाड़े को भाव नही मिलने पर सिंघाड़े को सुखाकर बेचते है, जिससे उनकी फसल का मुनाफा बना रहता है |

सिंघाड़ा कौन सी बीमारी में काम आता है?

  • सिंघाड़ा विभिन पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ मैगनीज, आयोडीन, कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है – इसके खाने से शारीर की हड्ड‍ियां और दांत दोनों ही मजबूत रहते है |
  • अस्थमा और घेंगा रोगियों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है |
  • इसके सेवन से जीवाणु और विषाणु जनित रोगों से बचाव मिलता है, जैसे – कैंसर, कुष्ट रोग, मूत्र विकार, आंखों के लिए भी फायदेमंद, रक्त जैसी बीमारियों से बचाता है |
  • चेचक रोगी को सिंघाड़े के बीजों का पाउडर काफी फायदेमंद होता है |

सूखे सिंघाड़े का भाव?

बाजार/मंडी में सूखे सिंघाड़े की कीमत 100 रु/किलो से लेकर 150 रुपए किलो तक देखी जाती है |

सिंघाड़े का आटा कितने रुपए किलो मिलता है?

इसका आटा कई प्रकार से उपयोगी होने के कारण बाजार में मांग में रहता है | वर्तमान में सिंघाड़े का आटा 150 से 200 रुपये/किलो के आस-पास के भावों में बिक रहा है |

यह भी जरुर पढ़े…

दुसरो को भेजे - link share

Leave a Comment

error: Content is protected !!