[ ज्वार की वैरायटी 2024 ] जानिए ज्वार की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है | Sorghum / Jowar Crop Farming

Last Updated on December 24, 2023 by krishisahara

ज्वार की संकर प्रजाति | ज्वार की वैरायटी | ज्वार की उन्नत किस्में | ज्वार की संकर बीज | jwar ka bij | ज्वार की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है | ज्वार की प्रजाति | एम पी चरी | पुसा चरी – 23 | एस. एस. जी.-59-3- मीठी सूडान

देश में ज्वार की खेती को खरीफ की फसल मानी जाती है, मुख्य रूप से यह फसल पशुओं के चारे और मानव खाद्यान्न के रूप में उगाई जाती है | खरीफ की इस फसल के लिए 15 जून के बाद या फिर मानसून के पूर्ण आगमन पर इसकी बुवाई की जाती है | देश के असिंचित क्षेत्रों में खाने और पशुओ के मीठे चारे के रूप में खूब खेती की जाती है |

ज्वार-की-वैरायटी

पशु चारे के रूप में ज्वार की बहुत सारी वैरायटी हैं, जो सिंचाई के सहारे फलती फूलती है और इनको वर्ष में कभी भी लगा सकते हैं |

ज्वार की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र एवं दक्षिणी भारत के कई राज्यों में इसकी खेती ज्यादा होती है | तो आइए जानते हैं, ज्वार की उन्नत किस्मों/वैराइटियों के बारे में संपूर्ण जानकारी –

राज्यवार ज्वार की उन्नत किस्में ?

देश की कृषि संस्थाओ, विभाग, कृषि विश्वविधालयों आदि द्वारा मानक और विकसित बहुत सारी ज्वार की प्रजातिया है, जो हर क्षेत्र के अनुसार फलती-फूलती है | कृषि आवश्यकताओ, जलवायु, मिट्टी क्षेत्र आदि के अनुसार प्रमुख ज्वार की संकर प्रजातियाँ –

राज्यों के हिसाब से विकसित ज्वार की वैरायटीज्वार की वैरायटीयों के नाम
मध्यप्रदेश में ज्वार की किस्मेंसीएसएच-5
एएसआर-1
सीएसएच-9
MP Chari
विदिशा 60-1
HC 260
HC 171
MFSH 3
सीएसएच-14
सीएसएच-18
जवाहर ज्वार- 741
जवाहर ज्वार- 938
उज्जैन 3 और 6
पीला आंवला
लवकुश
जवाहर ज्वार- 1041
एसपीवी- 1022
राजस्थान में ज्वार की किस्मेंएस. एस. जी.-59-3 (मीठी सूडान)
जवाहर चरी 69 (जे सी-69)
एम. पी. चरी
पूसा चरी-23
लिलड़ी ज्वार
पुस चरी-6
सी एच वी-15
राज चरी-1
राज चरी -2
सुंदिया
धीमी-देशी चरी
उतर प्रदेश में ज्वार की वैरायटीसीएमएच-9
सीएसबी-15
सीएसबी-13
सीएसएच-16
सीएसएच-14
ज्वार वृषा
र्मऊ टी-1
मऊ टी-2
हरियाणा-पंजाब में ज्वार की किस्में SL44
Punjab Sudax
SSG 59-3
Pusa Chari
HC 136
हरा सोना ज्वार
Pusa Chari 9
Pusa Chari 23
महाराष्ट्र में ज्वार की किस्मेंसीएमएच-9
सीएसबी-15
सीएसबी-18
पी वी- 699
Harasona 855 F
सीएसएच-16
सीएसएच-14
दक्षिणी भारत में ज्वार की किस्मेंमोती
सी एस एच -1
Harasona 855 F
MFSH 3
सीएमएच-9
सीएसबी-15
सीएसबी-18
HC 260
HC 171
एस पी वी-462
पी वी- 699
सीएसएच-16
सीएसएच-14
ज्वार की वैरायटी

पुसा चरी-23 –

  • पुसा संस्था का यह बीज मुख्य रूप से अनाज लेने के उद्देश्य से बोई जाती है, असिंचित क्षेत्रों में खरीफ की फसल में यह किस्म ज्यादातर लगाई/उगाई जाती है |
  • इस किस्म का चारा उत्पादन 500 क्विंटल के आस-पास और सुखा चारा 150 क्विंटल के आस-पास हो जाता है |
  • असिंचित क्षेत्रों की यह किस्म 90 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं |
  • बीजों में मिठास और पोषक गुणवत्ता अच्छे होने के कारण खाने में लाभदायक बताया जाता है |
  • उच्च तापमान और सूखा सहन करने में सक्षम होने के कारण यह फसल बारानी क्षेत्रों में आसानी से उगायी जा सकती है |

एस. एस. जी.-59-3 (मीठी सूडान) –

  • ज्वार की यह वैराइटी इस समय देश में हरे चारे और सूखे चारे के लिए प्रसिद्ध है |
  • मल्टीकट होने के कारण, लंबे समय तक हरा चारा लेने के लिए सक्षम है और रोग कीटों से रोगमुक्त है |
  • इस किस्म के बीज का उत्पादन लेने थोड़ा बहुत कठिन होता है, क्योंकि इसमें बीज उत्पादन क्षमता बहुत ही कम होती है |
  • हरा चारा इसमें 700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सूखा चारा 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से ले सकते है |
  • एस. एस. जी.-59-3 को लगाने के हिसाब से देखें तो पूरे भारत में कहीं पर भी लगा सकते हैं |

MP Chari (एम-पी चरी) –

  • MP चरी ज्वार बीज गर्मियों में पशु चारे के लिए लंबा तना, रसदार, कोमल और चारे का अधिक उत्पादन के रूप में जानी जाती है |
  • प्रति हेक्टर हरा चारा 500 क्विंटल तक और सूखे चारे की बात करें, तो 90 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिल जाता है | देश की जलवायु के अनुसार क्षेत्र में यह किस्में लगाई जा सकती है |
ज्वार की वैरायटी

Punjab Sudax (पंजाब सूडेक्स ज्वार की वैरायटी) –

यह भी जानी-मानी ज्वार की संकर प्रजाति है, जो हरे और सूखे चारे के लिए प्रसिद्ध है |

  • यह जल्दी तैयार होने वाली ज्वार की वैरायटी है |
  • Punjab Sudax की इस वैरायटी में से नीचे से ऐसे साथ कल्ले निकलते हैं, इस किस्म के लगभग 4 से 5 कटाई आसानी से कर सकते हैं |
  • यह किस में ज्यादातर पंजाब हरियाणा क्षेत्रों में लगाई जाती हैं, जो 600 क्विंटल हरे चारे के रूप में और 150 क्विंटल सूखा चारा के रूप में उत्पादन दे सकती है |
ज्वार-की-वैरायटी
ज्वार की वैरायटी

ज्वार की CSV 35 MF किस्म –

CSV 35 MF variety तीव्र वृद्धि से बढ़ने वाली ज्वार किस्म है, इसके कल्लों की संख्या प्रत्येक कटाई के साथ बढ़ती जाती है |

  • इसमें पहली फसल में 6-7 कल्ले तथा अगली कटाई पर 10-20 कल्ले, और हर कल्ले पर 14-15 पत्तियाँ होती हैं |
  • ज्वार की CSV 35 के कल्ले पतले, हरे तथा रसीले होते हैं |
  • अच्छे लाभ के लिए 35-40 दिनों के अंतराल में चारे की कटाई करें |

ज्वार की खेती कब करें?

यह मुख्य रूप से खरीफ की फसल है, जो मानसून के आगमन पर यानि 15 जून से लेकर 15 जुलाई तक बुआई कर सकते है |

भारत में ज्वार की सबसे अधिक खेती कहाँ होती है?

भारत में ज्वार उत्पादक राज्य मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र एवं दक्षिणी भारत के कई राज्य शामिल है |

ज्वार की खेती कैसे की जाती है?

यह खेती भी अन्य फसलों की तरह, कम लागत और कम देखरेख से अच्छा उत्पादन देने वाली खेती की फसलों में मानी जाती है | इसकी विस्तृत जानकारी – ज्वार की खेती कैसे करें

ज्वार का समर्थन मूल्य क्या है?

हाल ही में खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 के लिए ज्वार का MSP 3225 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है |

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