Last Updated on April 23, 2023 by krishi sahara
ज्वार की खेती | jwar kaisa hota hai | ज्वार की उन्नत किस्में | ज्वार की खेती कितने दिन की होती है | ज्वार की बुवाई का उपयुक्त समय क्या है | ज्वार की खेती कैसे करते हैं
मोटे अनाजों में गिनी जाने वाली फसलों में ज्वार भी प्रमुख फसल है, जो देश में किसान खाद्यान्न और पशुधन के लिए मीठे-हरे चारे के रूप में खेती करते हैं | Jwar ki Kheti इस प्रकार की खेती है, की किसान को इस खेती का ज्यादा ज्ञान और खाद बीज की आवश्यकता नहीं होती है | कम लागत के साथ अच्छी पैदावार देने वाली फसलों में मानी जाती है – ज्वार की फसल |
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किसान यदि खरीफ के सीजन में ज्वार की खेती करना चाहते हैं तो ज्वार की उन्नत खेती कैसे होती है, बीज दर क्या है, जलवायु-मिट्टी, उन्नत किस्में, बाजार-भाव आदि के बारे में पूरी जानकारी का ज्ञान होना चाहिए –
ज्वार की खेती कब और कैसे करें ?
खेती मे अच्छा उत्पादन लेने के लिए अच्छे ज्ञान की भी आवश्यकता पड़ती है, इसलिए ज्वार की वैरायटी से लेकर खेत की तैयारी, बुआई, रोग नियंत्रण, बाजार भाव आदि पर सक्रिय रहना है आइए जानते है एक-एक करके-
ज्वार किस मौसम में उगाया जाता है/बुवाई का समय ?
बरसात/खरीफ के मौसम में ज्वार की खेती की जाती है शुरू की एक बारिश होने के पश्चात जून के मध्य से जुलाई के प्रथम सप्ताह में ज्वार फसल की बुवाई करने का उत्तम समय माना जाता है |
देश के अधिकतर Jwar ki Kheti बरसात की पहले आगमन पर ही बुआई कर दी जाती है |
ज्वार के लिए जलवायु एव मिट्टी –
देश के ज्यादातर शुष्क क्षेत्रों में Jwar ki Kheti की जाती है इसके साथ ही जहाँ पर औसतन कम वर्षा होती है वहां पर ज्वार की खेती कर अच्छा उत्पादन ले सकते है |
मिट्टी की बात करे हो हल्की लाल, बलुई, रेतीली, भूरी भुरभुरी दोमट, हल्की काली जैसी मृदा मे अच्छे से की जा सकती है ज्वार की फसल जल भराव वाली भूमि मे कम सफल है |
ज्वार की उन्नत किस्में/ज्वार की प्रजाति –
ज्वार की अच्छी वैराइटियों की बात करें तो किसान अपने क्षेत्र में प्रचलित किस्म का ही चुनाव करें अधिक उत्पादन और तकनीकी के साथ खेती करना है, तो किसान अपनी कृषि कार्यालय से संपर्क कर अच्छी उन्नत किस्मों का चयन कर सकता है |
देश में प्रचलित ज्वार की प्रजातियां –
संकुल/देशी प्रजातियाँ-बीज | संकर प्रजातियाँ-बीज |
वर्षा, बी. एस. बी. 13, बी. एस. बी. 15 , एस. पी. बी. 1388 बुन्देला, विजेता आदि | | सी. एस. एच. 9, सी. एस. एच. 13, सी. एस. एच. 14, सी. एस. एच. 16, सी. एस. एच. 18, सी. एस. एच. 23 | |
एक बीघा में ज्वार का बीज कितना लगता है?
बुआई के समय ज्वार का बीज दर की बात करें, तो देसी ज्वार बीज 7-9 किलोग्राम प्रति एकड़ और संकर वैराइटी मे 5 से 7 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से किसान बीज का प्रयोग कर सकता है| वैसे ज्वार बीज की वैरायटी के अनुसार प्रति एकड़ बीज का प्रयोग करना चाहिए, इसलिए बीज-किस्म के दिशा-निर्देश के अनुसार ही बीज दर का चयन करें |
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ज्वार की फसल में सिंचाई ?
ज्वार का सिंचाई का सही समय क्या है, कब और किस प्रकार करनी चाहिए इसके लिए वर्षा ऋतू की फसल होने के कारण वर्षा का ही पानी पर्याप्त होता है| लेकिन वर्षा न होने पर फसल में बाली या भुट्टा निकलते समय और दाना भरते समय यदि खेत में नमी कम हो तो सिंचाई करना अति आवश्यक है |
ज्वार की चारे के उधेशय मे खेती करते है तो इसके लिए हर सप्ताह सिंचाई करनी चाहिए या फसल मे मौषम/सिंचाई की मांग के अनुसार पानी देना चाहिए |
ज्वार का प्रति हेक्टेयर उत्पादन ?
पैदावार की बात करें तो देशी ज्वार वैराइटियों से पैदावार 28 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाती है संकर ज्वार वैराइटियों से 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त होती है |
ज्वार का प्रति हेक्टेयर उत्पादन निर्भर करता है कि किसान किस उद्देश्य से खेती करता है किसान चारे के लिए करता है या फिर अनाज के लिए चारे के लिए करता है |
अच्छी किस्म की ज्वार 20 से 25 दिन बाद कटाई के योग्य हो जाती हैं सिंचाई सुविधा के अनुसार ज्वार की कई कटाई हो जाती है |
ज्वार की फसल मे लगने वाले रोग ?
बहुत से किसान भाइयों की यह शिकायत रहती है कि इसमें कीड़े लगते हैं तो इसके लिए किसान भाइयों से निवेदन है कि रासायनिक खाद का प्रयोग कम से कम करें क्योंकि पशुओं के खाने के लिए यह चारा नुकसानदाई हो सकता है |
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जो किसान भाई ज्वार को चारे के रूप में खेती करता है तो वह रसायनिक खादों का प्रयोग ना करें क्योंकि इसका सीधा प्रभाव पड़ सकता है, यदि छोटे-मोटे कीड़े लगते हैं तो 5 ml नीम का एल का स्प्रे/छिड़काव सकते हैं |
ज्वार के रोग से बचने के लिए बीज की बुवाई के समय ही बीजों को उपचारित करके ही बिजाई करें |
भारत में ज्वार की सबसे अधिक खेती कहाँ होती है?
ज्वार भारत में मुख्य रूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्राप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों मे भारी क्षेत्र में उगाई जाती है | देश में महाराष्ट्र राज्य सबसे ज्यादा ज्वार पैदा करता है, जो देश के कुल उत्पादन का हर साल लगभग 54% पैदावार लेता है |
उत्तर प्रदेश में ज्वार की खेती मुख्यतः झांसी, हमीरपुर, जालौन, फतेहपुरा, इलाहाबाद, फरुखबाद, मथुरा, हरदोई क्षेत्रों मे होती है |
हम उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपको काफी लाभदायक/ज्ञानवर्धक होगी | आपने इसमें जाना की ज्वार की खेती कैसे होती है, उन्नत तकनीक के बारे में, ज्वार की उन्नत किस्में,ज्वार बाजार भाव आदि के बारे मे |
ज्वार कितने दिन में होती है?
यह मुख्यतः खरीफ के सीजन की फसल है जो केवल वर्षा जल पर आधारित होती है ज्वार बुवाई से लेकर कटाई तक 90 से 110 दिन का समय लेती है वैसे आजकल फसल पकने का समय खाद-बीज की वैराईटी पर निर्भर करता है |
ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन सा है ?
दुनियाभर में सबसे ज्यादा ज्वार की खेती और उपज उत्पादन की बात करें, तो सयुक्त राज्य अमेरिका ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक देश रहा है |
ज्वार का रेट क्या है?
ज्वार/ज्वारी बाजार भावों की बात करें तो देश के बाजार और मंडियों मे भाव अलग-अलग रहते है ज्वार बाजार भाव 2023 मे सामान्यतः क्वालिटी के अनुसार 1600 रुपये से लेकर 2800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव मे बिक रहा है |
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