आज के समय मे भारतीय कृषि अपना परचम अब चारों तरफ फैला रही है बात करे लेमन ग्रास क खेती यानि नींबू घास के खेती तो अपने ओषधीय गुनो से प्रषिद्ध है | भारत सरकार के एरोमा मिशन के तहत कृषि क्षेत्र मे किसानों के लिए ओषधीय और सुगंधित पोधों का रकबा बढ़ा रही है |
सरकार के एरोमा मिशन मे लेमन घास भी एक ओषधीय घास आती है जो किसानों को लाभ की द्रष्टि से भा रही है | Leman Ghas Ki Kheti वर्तमान मे जागरूकता के हिसाब से अभी झारखंड ,बिहार,मध्यप्रदेश ,उतरप्रदेश मे बड़े जोर-शोर से की जा रही है |
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लेमन घास /नींबू घास का उपयोग कहा-कहा होता है ?
यह एक प्रकार की ओषधीय घास है जिससे तेल निकाल कर कई तरीकों से काम मे लिया जाता है | इसके तेल से ओषधीय निर्माण ,दवाईया ,घरेलू उपयोग ,साबुन और तेल,सौन्दर्य निखार जैसे आदि कई प्रकार से काम मे लिया जाता है |
इस तेल का मुख्य घटक सिट्राल है जो लगभग 60-80% तक पाया जाता है | सिट्रोल विटामिन “ए” का मुख्य स्त्रोत है | लेमन ग्रास चाय के फायदे के कारण भी देश के हर क्षेत्र मे अपनी पहचान बनाई हुई है |
कैसे की जाती है लेमन ग्रास की खेती ?
लेमन ग्रास की खेती भी धान(चावल) की तरह की जाती है बल्कि धान के विपरीत जलवाऊ मे की जाती है –
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जलवाऊ एव मिट्टी –
- नींबू घास की खेती के लिए गर्म एव आर्द्ध जलवाऊ उपउक्त है |
- उच्च तापमान और धूप की उपस्थिति मे घास मे तेल की मात्रा बढ़ती जाती है |
- लगभग सभी प्रकार की मिट्टी मे खेती की जा सकती है, भूमि मे पानी का भराव नहीं होना चाहिए |
- कम वर्षा वाले क्षेत्रों मे इस घास की खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है |
- दोमट मर्दा इस खेती मे सर्वोधिक उपयुक्त है |
रोपाई का समय एव रोपाई का तरीका –
- इस घास को लगाने का उत्तम समय वर्षा ऋतु से ठीक पहले सही रहता है | लेकिन यदि किसान के पास सिचाई की सुविधा है तो फरवरी से लेकर जुलाई के बीच कभी भी कर सकता है |
- रोपाई की दूरी कतार से कतार मे 45 सेन्टी मीटर –
- लेमन घास के पौधे से पौधे की दूरी – 30 सेन्टी मीटर –
- पौधे की रोपाई मे गहरा 7-10 सेन्टीमीटर –
- 1 हेक्टेयर के लिए लगभग 6000-7500 सूत/स्लिप की आवश्यकता होती है |
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लेमन ग्रास की खेती मे उर्वरक और सिचाई –
- इसकी खेती बिना खाद /उर्वरक के भी की जा सकती है |
- लेकिन किसान यदि इसको और अधिक लाभ की द्रष्टि से लगता है तो भूमि मे जिप्सम /पोटास डालकर भूमि तैयार कर सकता है |
- लेमन घास के लिए जैविक उर्वरक बहुत ही अधिक लाभदायक होता है हो सके तो यही प्रयोग करे |
- सिचाई की भी ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है लगभग पूर्ति केवल बारिश से हो जाती है |
- अधिक उत्पादन के लिए घास की कटाई के बाद एक बार सिचाई करना जरूरी है |
- किसान सिचाई करके साल मे 4 बार नींबू घास की कटाई कर सकता है |
- यदि किसान का खेत काफी शुष्क क्षेत्र मे है तो ग्रीष्म काल मे 20 दिन के अंतराल मे सिचाई करे |
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लेमन ग्रास की कटाई और शोधन कैसे करे ?
- घास की कटाई की बात करे तो एक वर्ष मे 3 से 4 बार हो जाती है |
- कटाई भूमि से 10 सेन्टीमीटर ऊपर से करनी होती है |
- एक हेक्टेयर मे लगभग 10 टन पत्तिया निकल जाती है जिनमे लगभग 50 से 60 लीटर तेल निकल जाता है |
- नींबू घास की कटाई के बाद 12 से 24 घंटों तक सुखाना पड़ता है जिससे इसकी अनावश्यक नमी हट/दूर हो सके |
- नजदीकी सयन्त्र या डिस्टेलेसन विधि से इसका तेल निकला सकते है या राज्य बागवानी मिशन संस्था से बात करे |
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लेमन ग्रास की खेती और तेल की बाजार मे मांग ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही मे झारखंड और बिहार मे मिशन के द्वारा यहा के किसानों को आत्म निरभर्ता का संदेश दिया था | लेमन ग्रास से निकलने वाले तेल की बाजार में बहुत मांग है।
यह औषधीय किसानों को बढ़ती मांग के साथ बहुत मुनाफा दे रही है | किसान को लेमन ग्रास का बीज कहां मिलेगा इसके लिए अपने क्षेत्र से जुटा सकते है या फिट अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से प्राप्त कर सकते है |
क्या है बाजार मे लेमन ग्रास के तेल का भाव ?
- लेनम ग्रास अपने औषधीय गुणों से जाना जाता है और इसके बढ़ती बाजार मांग के कारण किसानों को इसके अच्छे भाव मिल रहे है |
- वर्तमान मे लेमन ग्रास का तेल समान्यतः 1100 से 1500 रुपये पर किलो बिक जाता है |
- ओषधीय निर्माण ,दवाईया ,घरेलू उपयोग ,साबुन और तेल,सौन्दर्य निखार जैसे जुड़े उधयोगों मे भारी मांग है |
नोट;-लेमन ग्रास /नींबू घास से संबधित और अधिक जानकारी पाने के लिए विभाग की सरकारी साइट पर जाए- बागवानी मिशन
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