[ सरसों की फसल में लगने वाले रोग 2023 ] जानिए सरसों में चैपा /मोयला, पाउडर मिल्ड्यू, झुलसा रोग | Mustard Disease and Pests

Last Updated on August 8, 2023 by krishi sahara

देश में तिलहन फसलों की खेती और भाव को लेकर किसान भाई काफी जागरूक रहते है, सरसों फसल की उन्नत खेती से किसान भाई कर सकते है, अपने मुनाफे को दोगुना | किसी भी फसल की खेती खेती से अच्छी आय कमाने के लिए अच्छी देखरेख और कीट-रोग के प्रति सावधानियों की जरूरत होती है| आज हम बात करेंगे – सरसों की फसल में लगने वाले रोग को लेकर विस्तृत चर्चा –

सरसों-की-फसल-में-लगने-वाले-रोग

इस लेख के माध्यम से आप जानोगे – सरसों में झुलसा रोग ? सरसों का माहूं (चैपा /मोयला /एफिडा) कीट ? सरसों की फसल में चितकबरा कीट ? सरसों की फसल की बढ़वार का नहीं होना ? सरसों के बीजों को उपचारित करने के फायदे –

सरसों की फसल में लगने वाले रोग 2023 –

रबी सीजन की तिलहनी फसलों में कई प्रकार के रोंग समस्याओ का प्रभाव देखने को मिलता है, बात करेंगे सरसों की फसल में सर्वोधिक लगने वाले रोगों के लक्षण, उपाय प्रबंधन –

सरसों में झुलसा रोग –

इस रोग के शुरुआती लक्षणों में सरसो की पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बनने लगते है| अधिक प्रभावित फसल की पत्तियों के बीच में छेद बनने लग जाते है| इस रोग का सीधा प्रभाव पैदावार पर देखने को मिलता है | फलियों के दाने में तेल की मात्रा का कम होना आदि प्रभाव देखने को मिलते है |

रोकथाम – बुआई के समय उपचारित बीजों का प्रयोग करें, फसल में इस रोग का प्रभाव दिखाई दे तो, मेटालेक्सल 4% + मेंकोजेब 64% WP @600 ग्राम, या मेटालेक्सल 8%+ मेंकोजेब 64% WP @ 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए |

सरसों का सफेद रोली या सफ़ेद गेरुआ रोग –

यह रोग एल्बुगो कैंडिडा नामक फफूंद के कारण फैलता है | सरसों फसल में सफेद रोली या सफ़ेद गेरुआ रोग से तना और फलियों पर फफोले बन जाते है, जिसके कारण बीज दाना नही बन पाते है|

रोकथाम – यदि आपको अपनी फसल पर यह लक्षण दिखाई दे, तो आपको रीडोमिल एमजेड 72 डब्ल्यू पी फफुंदीनाशक के 0.25% घोल का छिड़काव कर सकते है |

सरसों का माहूं (चैपा /मोयला /एफिडा) कीट –

यह रोग सरसों फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा सकता है | यह रोग देरी से बुआई होने वाली फसलों में सर्वाधिक देखने को मिलता है | पाले के समय अधिक आद्र मौसम परिवर्तन के कारण भी हो सकता है|

रोकथाम – इस रोग को रोकथाम के लिए किसान भाई बायोएंजेंट वर्टीसिलियम लिकनाई एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या मिथाइल डिमेटोन 25 ईसी या फिर दाईमिथोएट 500 ml/हेक्टेयर की दर से सप्ताह के अंतराल में छिड़काव कर सकते है |

सरसों की फसल में लगने वाले रोग

सरसों फसल का तना गलन रोग या स्टेम रोट रोग –

सरसो की पत्तियों और फलियों पर तना गलन रोग या स्टेम रोट रोग सर्वाधिक देखने को मिलता है| शुरुआत में पौधे के तने की सतह से थोड़ा उर जलासिक्त धब्बों के रूप में होता है| फिर यह तने को अधिक रोग ग्रसित करके पूरे पौधे को मुरझा कर देते है | इस रोग से अधिक प्रभावित फसल के पौधे सूखने लगते है |

रोकथाम – इस रोग को नियंत्रण करने के लिए आपको बेनोमिल 0.2% या बाविस्टिन 0.05% कवकनाशक दवाई के घोल का छिड़काव पौधे पर कर देना है|

सरसों की फसल में चितकबरा कीट –

यह कीट पौधे से रस चूसकर वृद्धि दर और अंत में पौधे को नष्ट कर देती है| यह किट फसल को बुआई के समय और कटाई के समय ज्यादा नुकसान करती है| फसल के बचाव के लिए मिट्टी में लट-कीट का समय पर उपाय करना चाहिए |

रोकथाम – इन कीटों की रोकथाम के लिए मेलाथियान 50 ईसी दवा की 500 ml मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से इसका छिड़काव कर सकते है|

छाछिया रोग या पाउडर मिल्ड्यू –

सरसों फसल में यह एक कवक जनित रोग है, जो की शुरुआत में पौधे की पत्तियां और टहनियों पर मटमेले सफेद चूर्ण के रूप में दिखाई देती है| यह समस्या कुछ समय के बाद में संपूर्ण पौधे पर फेल जाती है| इसके कारण पत्तियां पीली होकर, कुछ समय के बाद नीचे जमीन पर गिरने लग जाती है|

रोकथाम – नियंत्रण के लिए आपको 0.2% घुलनशील गंधक का छिड़काव करना होगा या फिर केराथीयान एलसी का 0.1% घोल का छिड़काव 15 दिनों के अंतराल में करना है|

सरसों की पत्ती धब्बा या लीप स्पोट बीमारी –

इस रोग से ग्रसित सरसो की पत्तियां पर छोटे-छोटे गहरे भूरे गोल धब्बे बनने लगते है| फिर कुछ समय के बाद में इन धब्बे का आकार बड़ा हो जाता है| इस धब्बों में गोल छल्ले साफ दिखाई देते है| कुछ समय के बाद इस रोग के कारण सरसो की पत्तियां पौधे से अलग हो जाती है|

सरसों की फसल की बढ़वार नहीं होना ?

कई बार ऐसा होता है की हमारी सरसो की फसल समय के अनुसार विकास नही कर पाती है, इसका मुख्य कारण है की – आपकी फसल में शायद कोई रोग लगा है | इसके लिए रोग की समय पर पहचान करके उपचार करना चाहिए |

सरसों फसल की बढ़वार को प्रभावित करने वाले कारक – खेत का उपजाऊपन नहीं होना, बिना उपचारित बीज बोना, देरी या जल्दी बुवाई करना, सिंचाई अंतराल, मौसम परिवर्तन, अधिक पाला/सर्दी, अधिक रासायनिक खाद का होने से भी सरसों फसल की बढ़वार को रोक सकती है |

सरसों की फसल में लगने वाले रोग

सरसों के बीजों को उपचारित करने के फायदे ?

यदि आप सरसो की बुआई से पूर्व, एक बार बीजोपचार कर लेते है, तो इससे आपके 100% बीज का उगाव होगा | पूरी फसल के समय रोग और कीटो लगने की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है | उन्नत ओर उपचारित बीजों वाली फसल की पैदावार में अच्छा असर देखने को मिलता है |

सरसों फसल के फूल गिरना ?

अधिक पाला/सर्दी के समय या अधिक बारिश के समय फूलों का झड़ना शुरू हो जाता है| कई परिस्थतियों में किट लग जाए या फिर सिंचाई में कमी हो तब सरसो के फुल गिराना शुरू हो जाता है|

सरसों में सफेद जंग लगने का क्या कारण है?

सरसों में सफेद जंग एक फफूंद जनित रोग है| नम जलवायु के समय इस रोग के बढ़ने के कारण ज्यादा बन जाते है, इसके प्रभाव से फसल की पैदावार घट जाती है | – सरसों फसल रोग pdf

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