[ कपास में लगने वाले रोग 2023 ] जानिये कपास में झुलसा रोग की दवा, जड़ गलन रोग, कपास में कीट एवं रोग नियंत्रण के टॉप उपाय | Cotton Crop Disease Management

Last Updated on May 14, 2023 by krishi sahara

कपास में लगने वाले रोग, कपास में झुलसा रोग की दवा | कपास बढ़ाने के लिए दवा | कपास में जड़ गलन रोग | Kapas badhane ki dava | जड़ गलन रोग क्या है – मकड़ी का प्रकोप, गुलाबी सुंडी, रस चूसने वाले कीड़ों, हरा तैला, थ्रिप्स का प्रकोप, पोटाश और सल्फर तत्व की कमी

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आज के समय उर्वरको के सहारे खड़ी खराब हो रही – किसानों की कपास फसलें | माना जाता है, एक बार कपास की खड़ी फसल किट रोग हो जाता है, तो वह पूरी फसल की क्वालिटी और खेती में अच्छा नुकशान पहुंचा सकती है | सावधानी के तौर पर किसान को खेत की जुताई से लेकर मिट्टी जाँच, कपास बीज चुनाव जैसे कई सावधानियां बतरनी चाहिए | आज हम बात करेंगे कपास की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनका उपचार –

कपास में लगने वाले रोग और प्रमुख किट ?

कपास को सामान्यतः किसान का सफेद सोना कहाँ जाता है, लेकिन रोगग्रस्त फसल किसान को अधिक नुकशान पहुंचा सकती है | किसान को फसल की अच्छी देखरेख और फसल में हल्के लक्षणों को समय पर पहचान कर उनका उपचार करना चाहिए |

कपास के पत्तो पर मकड़ी का प्रकोप –

फसल में यह रोग रस चूसक किट के प्रभाव के कारण देखने को मिलता है, फसल में मकड़ी के जाले बनने लगते है | इस रोगग्रस्त बीमारी से फसल की पैदावार क्षमता कम होती है |

निवारण / रोकथाम – फेनाजेक्लिन 10 % EC 2 ML / लिटर की दर से पानी में घोलकर दे सकते है |

कपास में गुलाबी सुंडी रोंग ?

कपास में गुलाबी सुंडी या गुलाबी इल्ली कपास फसल का सबसे बड़ा दुश्मन कीट है, जो कपास के पौधे से लेकर कली, फूल तक को खाकर पूरी फसल को नष्ट करने तक पहुंचा देता है |

निवारण / रोकथाम – कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार साइपरमेथ्रिन 10 ईसी 10 मिली या डेल्टामेथ्रिन 2.8 ईसी 10 मिली 10 लीटर पानी की दर से छिड़काव कर सकते है |

कपास में रस चूसने वाले कीड़ों ?

यह बीमारी पौधों में सबसे ज्यादा पत्तियों पर देखने को मिलती है, इसमें किट पत्तियों और पौधे की शाखा को नुकशान पहुचाते है | इस बीमारी में पौध की बढवार रुक जाती है, पौधा धीरे-धीरे मृत हो जाता है |

निवारण – डाइमेथोएट 30 % EC 400 ML / एकड़ और साथ में NPK में 19.19.19 उर्वरक को 850 ग्राम / एकड़ की दर से 150 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव कर सकते है |

हरा तैला और थ्रिप्स प्रकोप रोंग ?

खरीफ के जुलाई-अगस्त के समय कपास की खड़ी फसल हरा तेला व थ्रिप्स का प्रकोप काफी देखने को मिलता है|

रोकथाम /नियंत्रण – फ्लोनाकामिड 50 डब्ल्यूजी, डायनेटूफोरान 20 डब्ल्यूजी, पायरीप्रोक्सिफेन 10 ईसी, थायोमेथोग्जाम 25 डब्ल्यूजी का छिड़काव इस प्रकोप से निवारण के लिए उचित माना गया है |

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कपास फसल में पोटाश और सल्फर तत्व की कमी ?

कपास फसल के इस रोग में पौधे कमजोर और पीले का प्रभाव देखने को मिलता है | फसल में यह प्रभाव पोषक तत्वों की कमी के कारण फैलता है |

निवारण – कपास फसल में सल्फर और पोटास की पूर्ति के लिए सल्फर 80 % WDG 4 kg / एकड़ और साथ में DAP 30 kg / एकड़ की दर से उपयोग करें |

फवारा विधि से छिडकाव में सल्फर 20 % EC 50 ML और प्रोफेनोफोस 50 % ec 40 ML 15 लिटर पानी में घोलकर छिडकाव कर सकते है |

कपास के पौधे में फूलों का झड़न रोंग ?

ज्यादातर यह प्रभाव फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण देखने को मिलता है | इसके लिए खेत की सिंचाई और खाद उर्वरक का विशेष ध्यान रखना चाहिए |

निवारण / रोकथाम – फ़्लानोफिक्स 4.5 % SL 4 ML + N.P.K 0:52:32 का प्रयोग 75 ग्राम 15 लीटर पानी की मात्रा में घोलकर छिडकाव कर सकते है |

कपास में जड़ गलन रोग ?

मोषम के अचानक परिवर्तन यानि तापमान मे कमी ओर अधिकता के कारण फसल मे जड़ शुरू हो जाता है, जो बहुत नुकशन दाई माना जाता है | जलभराव की स्थति मे भी जड़ गलन की समस्या देखने को मिलती है |

रोकथाम / निवारण – जड़ गलन के लिए 200 ग्राम बाविस्टिन को 100 लीटर पानी में मिलाकर पौधे की जड़ के पास छिड़काव या NPK 1 किलो मात्रा को 100 लीटर पानी में मिलाकर भी छिड़काव कर सकते है |

कपास फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप ?

पत्तियों पर सफेद मक्खी का प्रकोप भी देखने को मिल जाता है, इस प्रभाव में कपास फसल की बढवार को रोक देती है,

रोकथाम/ निवारण – फ्लोनीकेमिड 50 % WG, 60 ग्राम / एकड़ की दर से छिडकाव कर सकते है |

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कपास में लगने वाले रोग

कपास में कीट एवं रोग नियंत्रण के टॉप उपाय?

किसान को सबसे अच्छी सलाह यही रहेगी की अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञ द्वारा अनुमोदित, नीम आधारित कीटनाशक, ऊपर दिए गए कीट एवं रोग नियंत्रण के टॉप उपाय को अपना सकते है |

कपास में ज्यादा पैदावार लेने के लिए प्रमुख सावधानियां ?

– खेती की तैयारी के लिए 2 माह पहले अच्छी जुताई कराए |
– मिट्टी की जाँच कराए, फसल के लिए मिट्टी मे आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करें |
हर वर्ष फसल चक्र को अपनाए |
बुवाई के समय कपास के उन्नत बीज वैराटियों का उपयोग करें |
– अधिक बारिश ओर ज्यादा मोषम परिवर्तन के समय फसल की अच्छी देखरेख रखे |
किसी भी प्रकार के रोगों की शुरुआती लक्षणों/प्रभावों मे ही रोकथाम के उपाय करें |

कपास में लगने वाले रोग 2023

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