[ रजनीगंधा की खेती कैसे करें 2023 ] Rajnigandha Farming in Hindi – जानिए उन्नत खेती, किस्में, देखभाल एवं पैदावार, फूलों की कीमत –

Last Updated on February 5, 2023 by krishi sahara

रजनीगंधा की खेती कैसे करें | रजनीगंधा फूल की खेती | Tuberose Farming in Hindi | रजनीगंधा की खेती कैसे की जाती है | Rajnigandha ki kheti | रजनीगंधा का पौधा कब लगाएं | रजनीगंधा का फूल कब खिलता है | रजनीगंधा की उन्नत खेती, किस्में, देखभाल एवं पैदावार

देश में सबसे महगी और मुनाफेदार खेतियों में मानी जाती है – रजनीगंधा फूल की खेती देश का किसान उपयुक्त क्षेत्र और जलवायु-मिट्टी में इसकी खेती कर अच्छी आय कमा सकता है और कई किसान कमा भी रहे है| साल भर बाजार और विदेशों में रजनीगंधा कृषि उत्पाद की मांग अच्छे भावों में बनी रहती है| रजनीगंधा फूल का उपयोग – महिलाओ द्वारा श्रृंगार, इत्र, खुशबूदार तेल, पान-मसाला, आयुर्वेदिक दवाइयों, खुशबूदार और आकर्षक फूलो के रूप में किया जाता है|

रजनीगंधा-की-खेती

आइये आज सम्पूर्ण रूप से जानते है – रजनीगंधा की उन्नत खेती, किस्में, देखभाल एवं पैदावार और कमाई के बारे में –

रजनीगंधा की खेती कैसे की जाती है ?

इसके पौधे घास प्रकार के होते है, जिनके पौधे कंद या बीज द्वारा लगाये जाते है| मैदानी क्षेत्रों में खेती फरवरी-मार्च महीनों में और पहाड़ी क्षेत्रों में अप्रैल-मई में की जाती है| पौधे उचाई में 60 से 120 सें.मी. लम्बे होते हैं| प्रशिक्ष्ण प्राप्त किसान इसकी खेती करें तो काफी मुनाफादार मानी जाएगी| खेत की तैयारी से लेकर निराई-गुड़ाई, फूलों की तुडाई समय, बाजार आदि सभी फसलों की तरह समान ही होता है|

Rajnigandha की खेती के लिए मिट्टी ओर जलवाऊ ?

रजनीगंधा फुल की खेती के लिए बलुई दोमट जो अच्छे जल निकासी वाली भूमि में कर सकते है| जैविक खाद से तैयारी/पक्की हुई गोबर खाद जैसी भूमि में अच्छी मात्रा में फूल प्राप्त होते है| खेत की मिट्टी का P.H. मान 6.5 से 7.5 तक चलेगा |

Rajnigandha-Farming-in-Hindi

उपयुक्त मौसम – उपयुक्त मौसम की बात करें तो पौधे गर्म और आद्र जलवायु (15 से 35 C) में ज्यादा खिलते, जिससे पैदावार भी अच्छी प्राप्त होती है| यानी की समशीतोष्ण जलवायु सबसे उत्तम मानी जाती है| ध्यान रखे – छायादार जगह पर इसकी खेती बिल्कुल न करे|

रजनीगंधा की उन्नत किस्में ?

शाही मांग होने के कारण रजनीगंधा की कई देशी और विदेशी किस्में बाज़ारो में देखने को मिल जाती है| वैसे भारतीय रजनीगंधा की क्वालिटी और मांग भी सर्वश्रेष्ट मानी गई है, जिनमे कई प्रमुख किस्मे बुवाई में देखने को मिलती है –

स्‍वर्ण रेखाइसकी पत्तियों के किनारे पर पीली रेखाएं होती है जो काफी सुंदर दिखाई देती है| इसकी मांग और खेती श्रृंगार/गजरा/सजावट के लिए अधिक उपयोग में लाया जाता है| इस वैराईटी को गामा किरणों की तकनीक से तैयार किया गया है|
शृंगाररजनीगंधा की किस्म को बैंगलोर की NBRI द्वारा मैक्सिकन सिंगल और डबल का संकरण कर बनाया गया है| शृंगार किस्म के फूलो का आकार बड़ा और कलिया हल्का गुलाबी रंग लिए हुए होती है| इसका उत्पादन अच्छा होने के कारण किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा लेते है |
प्रज्‍जवल-रजनीगंधाबैंगलोर की NBRI द्वारा मैक्सिकन एकल संकरण द्वारा तैयार किया गया है| इसके फूलो का वज़न एनी किस्मों की तुलना में थोड़ा ज्यादा होता है, इसलिए अधिक पैदावार के लिए पहली पसंद बीज किस्म मानी जाती है|
रजत रेखाइस वैराईटी के फूलो में सिल्वर और सफ़ेद रंग की धारियां और पत्तियां सुरमई रंग की होती है, जो बाजार में अच्छी मांग की पूर्ति करती है|
सुवासिनी और वैभव रजनीगंधा बीजयह दोनों ही किस्मे अधिक पैदावार के लिए जानी जाती है, जो इत्र, तेल और कट फ्लावर फूलो में ज्यादा काम में ली जाती है|

रजनीगंधा के बीज की रोपाई का तरीका और समय –

देश के मैदानी क्षेत्रों में फ़रवरी से मार्च के बीच होती है और दक्षिणी भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में रोपाई मई से जून महीने के मध्य की जाती है|

मुख्य रूप से रजनीगंधा फसल की बुवाई बीज के रूप में की जाती है, लेकिन कई बार कंद या जड़ से भी कम क्षेत्र के लिए बुवाई कर सकते है| खेती के उद्देश्य के आधार पर बीज बुवाई का मापदंड लिया जाता है, जो निम्न प्रकार से है –

रजनीगंधा तेलपौध से पौध की रोपाई 15 CM की दूरी
रजनीगंधा फूल के रूप में पैदावारकतारों में पौधों को 20 CM की दूरी
अधिक पैदावार के उद्देश्य में10 से 15 CM की दूरी

रजनीगंधा फूल खेती में खाद-उवर्रक?

खेत तैयारी के समय पुरानी पक्की हुई गोबर की खाद डाली जाती है| पूर्ण रूप से बीज अकुरित होने के 3-5 दिन बाद 50 KG/ हेक्टेयर यूरिया का छिड़काव करे| फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए, पौधों पर फूल खिलने के समय ऑर्थोफॉस्फोरिक अम्ल, पोटेशियम साइट्रेट और यूरिया का पौधों पर छिड़काव करे| सिचाई और खरपतवार निराई-गुड़ाई सामान्य प्रकार से ही की जाती है, जैसे अन्य फूलों की खेती में की जाती है|

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रजनीगंधा पौध के रोग व उपचार ?

फसल कीमती और नाजुक तरीको से पैदावार ली जाती है इसलिए किसान को रजनीगंधा की खेती के हर एक रोग लक्षण के प्रति सतर्क और सचेत रहना होता है – इस पौधे में प्रमुख लगने वाले रोग और उनके निवारण –

रोग का नामलक्ष्णदवा / निवारण
सक्लेरोशिअम रोगतना सड़न / फफूंदी रोग पोधों की जड़ो परमैलाथियान या रोगर का छिड़काव करे|
ग्रास हॉपरकीट रोगपौधों पर मैलाथियान की उचित मात्रा का छिड़काव|
माहू और थ्रिप्स कीट रोगमोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव
इरबीनी स्पेसिडाकली सड़न पौधों पर स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 500 पी.पी.एम की उचित मात्रा का छिड़काव
तंबाकू मोज़ेक वायरसपत्तिया पिली होकर पौधा सूखनारोग पौधों पर फिप्रोनिल का छिड़काव
निमेटोड कीट रोगनारियल का पेड़ –पौधों की जड़ो पर कार्बोफ्यूरान या थाइमेट का छिड़काव

रजनीगंधा के फूलों की तुड़ाई ?

रजनीगंधा के पौधों पर फुल पूरी तरह से खिल चुके हो, तब उसकी तुड़ाई कर सकते है| कट फ्लॉवर तुडाई में एक डंठल पर दो से तीन फूल आ जाने पर उसे डंठल के साथ ही तोड़े| फूलो की तुड़ाई के बाद उन्हें नमीयुक्त सूती कपड़े से बांधकर छायादार जगह या जल्द से जल्द बाजार में पहुंचा दे |

रजनीगंधा के फूलो कीमत, उत्पादन और लाभ ?

एक हेक्टेयर में लगभग 80 क्विंटल रजनीगंधा के फूलो की पैदावार ले सकते है| रजनीगंधा के एक फूल की कीमत 2 रूपये से लेकर 10 रु/फुल तक बिकता है | किसान बड़े शहरो या मंदिरों और उधोग बाजार से सम्पर्क में रहकर एक एकड़ खेती से 5 माह में 2 से 6 लाख रु/एकड़ तक की कमाई कर सकते है |

रजनीगंधा का पौधा कब लगाएं?

घर में सजावट-शोक तौर से लगाने के लिए कोई समय नही होता है, लेकिन खेती के तौर से फरवरी-मार्च और मई-जून का महिना उत्तम माना गया है | नोट – ध्यान रखे छायादार स्थान का चयन ना करें |

रजनीगंधा का फूल कब खिलता है?

बता दे की रजनीगंधा के फुल, बीज लगाने के 3 से 5 महीने बाद फुल खिलने लगते है, जिसमे भारत के मैदानी क्षेत्रों में की जाने वाली खेती में जून-जुलाई और पर्वतीय क्षेत्रों में सितम्बर-अक्तूबर माह में फुल खिलते है |

भारत में रजनीगंधा की खेती कहाँ होती है ?

भारत में रजनीगंधा की खेती सर्वोधिक तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में विशेष रूप से की जाती है | देश में कुल 20000 हेक्टेयर क्षेत्र पर इसकी खेती की जाती है |

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