[ आंवला की खेती 2023 ] यहाँ जानिए आंवला की खेती कैसे करे, प्रमुख किस्में, रोग, फल लगने की दवा – Amla Cultivation in Hindi

Last Updated on February 15, 2023 by krishi sahara

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बात करें आंवला की खेती की तो आंवला अपने बाजार मे बढ़ती मांग और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है आंवले में एंटी ऑक्सीडेंट और पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं| आंवले का धार्मिक महत्व भी है भारत में आंवले के पेड़ की और फल की पूजा की जाती है |

आंवला-की-खेती
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आंवले का वैज्ञानिक नाम (amla ka vaigyanik naam kya hai) – 

इसका वैज्ञानिक नाम फाइथैलस ऐम्बिका (Phyllasthus Emblica) है, सामान्य भाषा में इसे भारत मे गुज-वेरी, आमलकी के नाम से भी जाना जाता है |

आंवला की खेती के बारे में (amla ki kheti in hindi) ?

यह एक प्रकार का औषधीय और गुणवान पौधा है जिसे एक बार लगाने के बाद यह 70 से 80 वर्ष तक लगातार फल फूल देता रहता है| इसकी खेती जल की कमी वाले क्षेत्रो मे और जल्दी फल-फूलने वाली बागवानी फसलों का पौधा है| आंवले की भारी मांग के कारण किसानों और बाजारों में इसका काफी मांग है किसान इसकी खेती कर हर साल अच्छी खासी आमदनी या अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं तो आइए जानते हैं आंवले की खेती के बारे में पूरी जानकारी

आंवले का उपयोग और महत्व ?

  • आंवले का उपयोग औषधि दवाइयों के रूप में किया जाता है |
  • इस प्रकार के फल का उपयोग विभिन्न प्रकार की लघु उद्धोग का कच्चा माल के रूप मे भी किया जाता है |
  • आंवले का अचार, कैंडी, मुरबा जैसे कई पदार्थ, जूस इत्याद खाद्य प्रोडक्ट बना बनाने में विशेष तौर से किया जाता है |
  •  इसके साथ-साथ कई प्रकार के सौंदर्य प्रोडक्ट भी बनाए जाते हैं |

आंवले की खेती कब और कैसे करें ?

किसान भाइयों को आंवले की खेती करने से पहले आंवले और खेती के बारे में कुछ जानकारी होना जरूरी है जैसे- भूमि का चयन, जलवायु, मृदा, सिंचाई, खाद-उर्वरक, मार्केट भाव, आदि का ज्ञान होना जरूरी है |

जलवायु और मिट्टी 

बता दे की आंवला की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय,शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है, amla ki kheti सूखे क्षेत्रों में अच्छा ग्रोथ करता है| गरम वनस्पति, नम-वन क्षेत्रों में मुख्य रूप से होता है| भारत में मुख्यतः समुंद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई वाले स्थानों पर इसकी खेती संपन्न होती है |

आंवले की प्रमुख किस्में/आंवला की प्रजाति

आंवला की उन्नत किस्में निम्न है जो भारत में प्रचलित है-

  • कृष्णा – NA-5
  • कंचन – NA-4
  • बलवंत
  • बनारसी 
  • चकनियां 
  • नरेंद्र – 9 
  • भूमि आंवला की खेती
  • बीएसआर -1 
  • नरेंद्र -07
  • नीलम 
  • नरेंद्र -10
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आंवले की पौधे कहाँ से लाए/आंवले की कलम कैसे लगाएं ?

यदि किसान आंवले की बागवानी या बाग लगाता है तो आंवले की पौध की रोपाई का समय फरवरी मार्च का महीना अच्छा रहता है| आंवले की खेती के लिए अच्छी किस्म पौध की नजदीकी नर्सरी से सहजता से प्राप्त कर सकता है| किसान भाई अपने स्तर पर भी बीज लगाकर या कलम विधि द्वारा आंवले की नर्सरी तैयार कर सकता है |

आवले की बिजाई/आंवले की रोपाई –

किसान भाई आंवले की बिजाई तथा रोपाई से पहले जमीन को अच्छी तरह से तैयार कर लें, इसके पश्चात आंवले की रोपाई के लिए 2 फिट या 2.5 फिट के आकार के गहरे गड्ढे को तैयार करें और और उचित दूरी पर आवले के पौधे लगाएं |

आंवला की खेती मे सिंचाई – 

आंवले की खेती में सिंचाई का मुख्य भूमिका होती है सिंचाई से किसान की फसल का उत्पादन की सीमा तय होती है| मुख्यतः आंवले की खेती पानी की कमी वाले क्षेत्रों में की जाती है सामान्यतः 20 से 25 दिनों के अंतराल में सिंचाई करते रहना चाहिए| सिंचाई के दौरान खास बात यह रखनी चाहिए कि फ्लोरिंग (फूल आने) के समय सिंचाई करना बंद देना चाहिए जिससे की फूल न झड़े |

आंवला लगभग आधा पक जाने के बाद सिंचाई को समय-समय पर करते रहना चाहिए आंवले का पौधा या पेड़ जैसे-जैसे बड़ा होता है वैसे-वैसे इसकी सिंचाई बड़ा देनी चाहिए 5 वर्ष से अधिक आयु वाले आंवले के पेड़ में प्रतिवर्ष 25 से 35 बार सिंचाई होनी चाहिए |

आंवला की खेती

आंवले के पेड़ में फ्लोरिंग कब होती है ?

फ्लोरिंग सामान्यतः मार्च के अंतिम तथा अप्रैल के शुरुआती दिनों में आंवले के पुष्पन प्रक्रिया अर्थाथ फ्लोरिंग आरंभ हो जाती है |

आंवला तुड़ाई का समय ?

दिसंबर के अंत तक आंवले की फसल पककर तैयार हो जाती है और लगभग आंवला पकने के बाद इसका रंग पीला-हरा या हरा-पीला हो जाता है, इस अवस्था में पूर्ण रूप से पक जाती है अब जनवरी के महीने में आंवले की तुड़ाई शुरू कर देनी चाहिए |

आंवला के पौधे में कौन सी खाद डालें ?

इसके पेड़ों में रोग लगने का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए, फलों के झड़ने पर क्लोनॉफिट डालकर 4 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें | 

आंवले के पेड़ का अच्छे विकास और मजबूत तंदुरुस्त रखने के लिए निराई-गुड़ाई के समय 40 किलोग्राम गोबर खाद मे 100 ग्राम यूरिया, 100 ग्राम DAP, 100 gm M.A.P. मिलाकर पौधों की जड़ों में डालें | देखरेख से पौधे को दीमक तथा दूसरे कीटों से बचे रहेंगे और पौधे का विकास अच्छा होगा | 

आंवले के लाभ फायदे और गुण ? 

  • आंवला पेट के रोगों के लिए लाभदायक है |
  • शरीर में डाइजेशन को बढ़ाता है |
  • शरीर में खून की कमी को दूर करता है तथा बालों को लंबा और चमकदार बनाता है |
  • बालों को चमकदार और स्वस्थ बनाता है |
  • शरीर में इम्यूनिटी पावर (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बढ़ाता है |
  • आंवला आंखों की रोशनी को तेज करता है |
  • आंवला मोटापा कम तथा शरीर को स्वस्थ एवं तंदुरुस्त बनाए रखता है | 
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आंवला की खेती

आंवला का मंडी भाव ?

आंवला अपने उत्पादन की दृष्टि से भारत के बजारों में अलग-अलग भावों में बिकता है| लेकिन औसतन बाजार भाव ₹100 से लेकर ₹200 के बीच में प्रति किलो हिसाब से बिक रहा है| बता दे की भावों का अनुमान बाजार की मांग और आवले के उत्पादन पर निर्भर करती है |

भारत में आंवला की खेती कहां कहां होता है

भारत में आंवले की खेती मुख्यतः उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्यों में मुख्य इनकी खेती होती है| आंवले का कुल वार्षिक उत्पादन की बात करें तो 2 लाख टन होता है 2017-18 के आकड़ों की बात करे तो भारत मे 50 हजार हेक्टेयर पर आवला खेती की जाती है |

विश्व में आंवले की खेती की बात करें तो मुख्य रूप से थाईलैंड, श्रीलंका, यूरोपीय दीप, चीन, ताइवान, इंडोनेशिया, मलेशिया, जैसे देशों में अधिक मात्रा में उत्पादन होता है |

वर्तमान समय मे किसानों को आवले की खेती पर सब्सिडी भी दे रही है अधिक जानकारी के लिए – राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड

भारत का आंवला उत्पादन सबसे ज्यादा कहाँ होता है?

भारत मे आंवला का उत्पादन सबसे ज्यादा “उत्तरप्रदेश” मे होता है |

आंवला का पेड़ कब लगाना चाहिए ?

किसान आंवले की बागवानी या बाग लगाता है तो आंवले की पौध की रोपाई का समय फरवरी मार्च का महीना अच्छा रहता है |

आंवले के पौधे की देखभाल कैसे करें ?

1. आंवले के पेड़ का अच्छे विकास और मजबूत तंदुरुस्त हेतु समय-समय पर निराई-गुड़ाई |
2. हर वर्ष जरूरी खाद-उर्वरक आदि मिलाकर पौधों की जड़ों में डालें |
3. पौधे को दीमक तथा दूसरे कीटों से बचे रहेंगे और पौधे का विकास अच्छा होगा | 

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