[ Angoor ki kheti 2024 ] अंगूर की खेती कब और कैसे करें, उन्नत किस्में, कमाई | Grapes Farming in India

Last Updated on February 10, 2024 by krishisahara

अंगूर की खेती कैसे होती है | अंगूर की प्रजाति | अंगूर की फसल | Grapes farming in hindi | Angoor ki kheti kaha hoti hai | अंगूर का पेड़ कितने साल में फल देता है | अंगूर की खेती कौन से महीने में की जाती है | अंगूर का पौधा कब लगाना चाहिए |

अंगूर की बागवानी लगभग पूरे भारत वर्ष में सभी क्षेत्रों में की जा सकती है| आज के समय फलों की मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, अंगूर को फलों में सबसे ज्यादा बिकने वाले फल-फ्रूट की श्रेणी में गिना जाता है| अंगूर का फल स्वादिष्ट तथा स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होने के कारण बाजार में मांग के साथ किसानों के खेतों में Angoor ki kheti दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है| पिछले दो से तीन वर्षो में इसके बुआई क्षेत्रफल में काफी तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई है|

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आइए जानते है, अंगूर की खेती कैसे होती है, अंगूर की खेती कहाँ होती है, Grapes farming in hindi, अंगूर की फसल, अंगूर की प्रजाति आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी –

Contents

अंगूर की खेती कब और कैसे होती है (Angoor ki Kheti Kaha Hoti Hai)?

किसानों से निवेदन है, की ज्यादा मुनाफे वाली खेती फसलों को नई तकनीक, अच्छी जानकारी के साथ ही करें| अंगूर की फसल साल में एक बार ही आती है और फूल आने से लेकर फल-फसल तैयार होने में करीब 110 दिन लगते है| Angur farm / Organic grapes farming में खेत की तैयारी से लेकर बीज चुनाव, रोग किट दवा, देखरेख-सावधानी आदि को ध्यान मे रखकर करें |

उपयुक्त जलवायु और भूमि का चयन?

अंगूर की खेती के लिए जलवायु – Angoor ki fasal गर्म, अर्धशुष्क तथा दीर्घ ग्रीष्म ऋतु वाला मौसम अनुकूल रहती है| लेकिन बहुत अधिक तापमान हानि पहुंचा सकता है| 25 से 30 डिग्री तक की रेंज का तापमान उत्तम माना जाता है|

मिट्टी की बात करें तो- अंगूर की खेती या बागवानी लगभग प्रकार की मृदा में कि जा सकती है| अंगूर की जड़ की सरंचना लंबी और जमाव मजबूत होता है इसलिए कंकरीली, रेतीली से चिकनी तथा उथली के अलावा गहरी मिट्टियों में अच्छा पनपता है|

बता दे की जल निकासी अच्छा हो तो रेतीली, दोमट मिट्टी, अंगूर की खेती हो सकती है|

अंगूर की खेती

अंगूर की प्रजाति / उन्नत किस्में?

देश में अंगूर की किस्मों/वैराइटियों के विकास व विस्तार में भारतीय कृषि अनुसंधान संसथान, नई दिल्ली का विशेष योगदान रहा है| नीचे दी गई अंगूर की प्रजातीया निम्न है –

अंगूर की प्रमुख वैराइटिया / उन्नत किस्में
अरका श्याम
बंगलौर ब्लू
गुलाबी
अरका नील मणि
पूसा उर्वशी
यूरोपी अंगूर
ब्यूटी सीडलेस
परलेट
पुसा सीडलेस
पूसा उर्वेशी
पूसा नवरंग
फ्लेट सीडलेस
अरका कृष्णा
ताजगणेश्वर
अरका राजसी
अंगूर की खेती

पूसा उर्वशी अंगूर की एक शीघ्र पकने वाली हाइब्रिड किस्म है, जिसके फल तने के शुरुआत से लगने शुरू हो जाते है|

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अंगूर की बेल की कटाई कैसे करें?

अंगूर की बेल की कटिंग – अंगूर की खेती हेतु प्रवर्धन मुख्यत कटिंग कलम द्वारा होता है| जनवरी माह में काट छांट से निकली टहनीयो से कलमें ली जाती है| कलमें सदैव परिपक्व टहनीयो से ही ली जानी चाहिए|

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अंगूर की खेती

अंगूर का पौधा कैसे लगाएं- गड्ढे की तैयारी?

अंगूर की बागवानी के लिए गड्ढे की तैयारी करीब 50x50x50 सेमी आकार के गड्ढे खोदकर तैयार करते है एक सप्ताह खुला छोड़े|

अंगूर का पौधा लगते समय गड्ढों में सडी गोबर की खाद (15-18 किलोग्राम), 250 ग्राम नीम की खली, 50 ग्राम सुपर फॉस्फेट व 100 ग्राम पोटेशियेम सल्फेट प्रति गड्ढे मिलाकर भर दें |

अंगूर की कलम खेती कैसे करे? 

बागवानी हेतु पौधे तैयारी में जंगली पौधे के ऊपर अंगूर का कलम लगाकर उसे गराफ्टिंग तकनीक से तैयार करते है| कलम विधि से तैयार पौधों को खेत में लगाया जाता है|

अंगूर की बेल लगाने के 6 महीनों बाद एक-डेढ़ फूट की दूरी पर पौधे को कट कर देते है, जिससे फुटाव अच्छे तरीके से हो जाए, एक साल में पौधा पूरी तरह से तैयार हो जाता है|

अंगूर की खेती में खाद की मात्रा?

अंगूर की फसल को अनेक प्रकार के पोषक तत्वों की जरूरत होती है, इसलिए नियमित और संतुलित मात्रा में खाद-उर्वरक का प्रयोग करें| इस खेती में मुख्य रूप से फसल को खाद जड़ों में गड्ढे बनाकर उर्वरक दिया जाता है और उसे मिट्टी से ढक दिया जाता है| अंगूर की बेल में रोग-कीटों से बचाने के लिए मुख्य रूप से दवाई की स्प्रे करें या कोई जड़ में कोई दवाई डालें|

अंगूर की 4 से 5 वर्ष पुरानी बेलो में अच्छे उत्पादन के हिसाब से 500-500 ग्राम नाइट्रोजन, म्यूरेट ऑफ पोटाश, पोटेशियम सल्फेट समान मात्रा में और जैविक खाद के रूप में 50-60 कि. ग्रा. गोबर की पक्की हुई खाद का प्रयोग कर सकते है|

अंगूर में सिंचाई कैसे करनी है?

Grapes farming देश के अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में की जाती है इसलिए इस खेती में समय-समय से सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है| अंगूर की फसल में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए 7-8 दिनों में एक सिंचाई करें और वैसे किसान भाई मौसम के आवश्यकतानुसार सिंचाई करें | ज्यादातर देश में आजकल अंगूर की फसल में किसान ड्रिप इरीगेशन (बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली) का इस्तेमाल करते हैं, जिसके अनेक प्रकार के फायदे है|

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अंगूर की खेती

अंगूर की बेल की देखभाल कैसे करें?

  • उत्तरी भारत में अधिकतर अंगूर की बेलों पर बरसात के आरम्भ होते ही सफेद-चूर्निल रोग और सरकोस्पोरा पति ध्ब्बा रोग का असर शुरू होता है, इसलिए सचेत रहे उचित दवा का प्रयोग करें| 
  • अंगूर की कलम कटाई के लिए– जनवरी के प्रथम सप्ताह में कटाई-छंटाई का काम पूरा कर देना चाहिए|
  • कटाई-छंटाई का काम पूरा करने तुरंत बाद बेलों पर डॉर्मेक्स या डरब्रेक (30 ए आई) का 1.5% घोला का छिड़काव करें, जिससे फूल आने व पकने में करीब दो सप्ताह तक अगेता हो जाता है|
  • अंगुर की बेल में वृद्धि नही हो रही है, ग्रोथ रुक गई है, पत्ते भी मुड़ने लगे हैं तो – 200 ग्राम सुपर फोस्फेट और 100 ग्राम यूरिया का प्रयोग प्रति बेल के साथ देवे|
  • अंगूर की बेल की कटिंग के समय विशेष ध्यान रखे 15 डिग्री के एंगल में स्टील के चाकू या इलेक्ट्रिक केची से काटे, फसल को हर प्रकार से फायदा होगा|
  • अंगूर के पकते समय बारिश या बादल का होना बहुत हानिकारक है, क्योंकि इस स्थति में अंगूर के फल फट जाते है|
  • काले अंगूर पकाने के लिए कौन सी दवा है– किसान भाइयों को अंगूर पकाने की बहुत ही कम आवश्यकता पड़ती है क्योंकि ये थोड़े कच्चे अवस्था में बाजार-मंडियों में भेजे जाते है| और वैसे अंगूर पकाने के लिए दवा- कार्बाइड, एथलिक, या हवा रहित वातावरण देकर भी अंगूर को पका सकते है|
  • अंगूर के फल बहुत छोटे आकार में है तो इसके लिए iffco की सांगरिका दवाई के इस्तेमाल से इनका आकार बड़ा हो सकता है|
  • एन्छेक्नोज एवं सरकोस्पोरो रोंगों से बचने के लिए ब्लाईटाक्स या फाइटालोन का 0.3% का छिड़काव कर सकते है|
  • अंगूर की बेलों-बगीचों में पानी अधिक समय तक भराव रहना, इसकी बागवानी के लिए बहुत हानिकारक होता है|
  • बरसात जल निकासी की उत्तम व्यवस्था के लिए जून माह में जल निकास नालिया तैयार कर लेनी चाहिए|

अंगूर की खेती से पैदावार?

पैदावार की बात करें, तो देश में अंगूर की औसत पैदावार 30 टन प्रति हैक्टेयर है| वैसे तो पैदावार अंगूर की क़िस्म, मिट्टी और जलवायु, खेती की तकनीकों पर निर्भर होती है|

सामान्य रूप से खेती की विधियों में एक एकड़ में करीब 1200-1300 किलो अंगूर पैदावार हो जाती है |

अंगूर की खेती सबसे ज्यादा कहाँ होती है?

भारत के महाराष्ट्र राज्य में अंगूरों का सबसे ज्यादा उत्पादन लिया जाता है| Angoor ki kheti पिछले दशक में उत्तर भारत में अंगूर के उत्पादन क्षेत्रों में गिरावट देखी गई जिसके कारण कई कारण – प्रदूषण, जलवायु, मिट्टी और फसल में कुपोषण एवं सूक्ष्म तत्वों की कमी, बढ़ते रोंग किट समस्या आदि|

देश में उत्पादन के आधार पर –

दक्षिणी भारत के कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु मुख्य राज्य प्रमुख है|
उत्तर भारत में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर-प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली राज्यो में Angoor ki kheti हो रही रही है|
Angoor ki kheti

अंगूर के मंडी भाव 2024?

अंगूर मंडी भाव रोजाना देश की अलग-अलग मंडियों के फलों के ताजा भावों की जानकारी मिलेगी, अंगूर के मंडी भाव में आप नीचे दी लिंक में देख सकते है – Grapes market

अंगूर की बेल कब लगाई जाती है?

Angoor ki kheti में अंगूर की कलम कटाई के लिए- जनवरी के प्रथम सप्ताह में कटाई-छंटाई का काम पूरा कर देना चाहिए|

अंगूर की बेल में कौन सी खाद डालें?

Angoor ki kheti में बेल में वृद्धि नही हो रही है, ग्रोथ रुक गई है, पत्ते भी मुड़ने लगे हैं तो -200 ग्राम सुपर फोस्फेट और 100 ग्राम यूरिया का प्रयोग प्रति बेल के साथ देवे|

अंगूर की बेल की कटाई कैसे करें?

अंगूर की बेल लगाने के 6 महीनों बाद एक-डेढ़ फूट की दूरी पर पौधे को कट कर देते है, जिससे फुटाव अच्छे तरीके से हो जाए | एक साल में पौधा पूरी तरह से तैयार हो जाता है|

अंगूर कितने दिन में लगते हैं?

अंगूर की फसल में फूल आने से लेकर फल-फसल तैयार होने में करीब 100 से 110 में दिन लगते है|

काले अंगूर पकाने के लिए कौन सी दवा है?

अंगूर पकाने के लिए दवा- कार्बाइड, एथलिक, या हवा रहित वातावरण देकर भी अंगूर को पका सकते है|

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