[ कपास की खेती कब और कैसे करें 2024 ] जानिए उन्नत किस्में, उत्पादन तकनीक, रोगों से बचानें के उपाय | Cotton Farming

Last Updated on February 21, 2024 by krishisahara

कपास की बुवाई कब करते हैं | कपास में कौन सा राज्य नंबर 1 है | कपास कहाँ उगाया जाता है | कपास की खेती में खाद | कपास की खेती किस मिट्टी में होती है | कपास की दवा | kapas ki kheti in india | कपास में लगने वाले रोग –

कपास एक महत्वपूर्ण नकदी फसल जानी जाती है, जिसे किसान का सफेद सोना/स्वेत स्वर्ण भी कहते है | आज भी देश में व्यापक स्तर पर कपास उत्पादन की आवश्यकता है, क्योंकि देश में वस्त्र उद्धोग, पशुआहार, खली/खल व तेल, औषधीय क्षेत्र में कपास का व्यापक उपयोग और मांग है | वर्तमान में देश में 9.4 मिलियन हेक्टेयर की भूमि पर कपास की खेती की जा रही है|

कपास-की-खेती

आधुनिक तकनीकी अपनाकर अधिक से अधिक उपज और किसान आय प्राप्त की जा सकती है| आज के समय देश का प्रगतिशील किसान कपास की फसल से अच्छी कमाई ले रहा है | तो आइए जानते है कपास की उन्नत खेती के बारे में, कपास की खेती कैसे करें, कपास की खेती की जानकारी –

कपास की किस्में ?

कपास की खेती के बारे में उन उन्नतशील प्रजातियों के बारे में जिसका इस्तेमाल खेती कर करके अच्छा लाभ कमा सके | कपास की खेती के लिए दो प्रकार कपास का बीज/किस्म पाई जाती है जो निम्न है –

कपास की देशी किस्मेंकपास की अमेरिकन किस्में
लोहित,
आर. जी. 8
सी. ए. डी. 4
एच. एस. 6
विकाश
एच 777
एफ 846
आर. एस. 810
आर. एस. 2013
कपास की किस्में

कपास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु ?

कपास की उन्नत खेती हेतु न्यूनतम 14-16 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान, फसल बढ़वार के समय 21 से 28 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उत्तम माना जाता है|

कपास के गूलरो के पकते समय चमकीली धूप के साथ पाला रहित मौषम की आवश्यकता होती है | kapas ki kheti लगभग सभी मिट्टी में सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है| लेकिन बलुई, क्षारीय एवं जल भराव वाली भूमि में कपास की खेती के लिए सही नहीं है, काली दोमट, दोमट-मटियार भूमि सर्वोत्तम होती है|

कपास की खेती का सही समय ?

कपास की बुवाई का सही समय वैराइटियों के आधार पर अलग-अलग होता है | देशी वैराइटियों की बुवाई अप्रैल के प्रथम पखवारे से दुसरे पखवारे तक कर सकते है, जबकि अमेरिकन वैराइटियों की बुवाई 15 अप्रैल से मई के प्रथम सप्ताह तक की जाती है|

यह भी पढ़ें –

कपास की खेती में कौन सा खाद डालें ?

कपास की फसल में खाद एवं उर्वरको का प्रयोग जरूरी है नहीं तो उत्पादन में कमी आ सकती है | खाद एवं उर्वरको का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए | यदि मृदा में कार्बनिक तत्वों की कमी हो तो उनकी पूर्ति करें, खेत तैयारी के समय आखिरी जुताई में कुछ मात्रा गोबर की खाद सड़ी खाद में मिलाकर प्रयोग करना है |

रासायनिक खाद में 60 किलो ग्राम नाइट्रोजन तथा 30 किलो ग्राम फास्फोरस तत्व का प्रयोग कर सकते है |

कपास-की-खेती

कपास का खेत की तैयारी ?

खेत में नमी का होना जरूरी है इसके लिए सिंचाई पानी/पलेवा करके पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से 15-20 सेंटीमीटर गहरी करनी है|

देशी हल या कल्टीवेटर से 2-3 जुताई करके खेत को अच्छी तरह भुरभुरा बना ले, खेत को समतल करने के बाद ही बुवाई करनी चाहिए|

कपास की बुवाई में बीज की मात्रा ?

किसान को बीज की किस्म के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही बीज की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए | उचित मात्रा से कपास का पौधा का फैलाव और विकास अच्छा हो, औसत बीज लागत की बात करें तो –

कपास की किस्मों के आधार पर बीज दर अलग-अलग मात्रा में लगती है –

  1. देशी प्रजातियों में 12-15 किग्रा प्रति हेक्टेयर (रेशा रहित)
  2. अमेरिकन प्रजातियों में 18-20 किग्रा प्रति हेक्टेयर (रेशा रहित) है|

कपास की फसल में निराई गुड़ाई ?

हल्की निराई गुड़ाई पहली सिंचाई अर्थात 35 से 40 दिन से पहले करनी चाहिए, इसके पश्चात फसल बढ़वार के समय गुड़ाई करनी चाहिए | कपास का फूल व गूलर बनने पर खुर्पी द्वारा खरपतवार गुड़ाई करते हुए निकलना चाहिए जिससे की फूलो व गुलारो को गिरने से बचाया जा सके|

कपास की छटाई/प्रुनिग ?

अधिक वर्षा/बरसात के कारण सामान्यत पौधों की ऊंचाई 1.5 मीटर से भी ज्यादा हो जाती है, जिससे उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है | इसलिए 1.5 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले कपास का पौधा की ऊपर वाली सभी शाखाओ की छटाई, केची/सिकेटियर से कर देना है|

कपास के रोग और दवा ?

कपास की फसल में मुख्य रूप से शाकाणु झुलसा रोग (बैक्टीरियल ब्लाइट) तथा फफूंदी जनित रोग लगते है | इन रोंगों के बचाव हेतु खड़ी फसल में वर्षा प्रारम्भ होने पर 600-800 लीटर पानी में घोलकर- 1.25 ग्राम कापर-आक्सीक्लोराईड 50% घुलनशील चूर्ण व 50 ग्राम एग्रीमाईसीन या 7.5 ग्राम स्ट्रेपटो-साइक्लीन प्रति हेक्टर की दर से यह कपास की दवा देना है|

कपास की फसल में ये दो छिड़काव 20 से 25 दिन के अन्तराल पर करना चाहिए | सामान्य रोंगों से बचने के लिए उपचारित बीजों का ही बुवाई हेतु प्रयोग करें |

कपास-की-खेती

कपास की चुनाई ?

कपास की चुनाई किस्मों के हिसाब से की जाती है | चुनाई सुबह की हल्की ठंड में पूर्ण खिले हुए गुलारो से करनी चाहिए | देशी कपास की चुनाई 10-12 दिन के अन्तराल पर तथा अमेरिकन कपास की चुनाई 18 से 20 दिन के अन्तराल पर होती है|

जहां तक हो सके कपास साफ सुथरी रखनी चाहिए | कपास का भंडारण करने से पहले चुनी गई कपास को अच्छी तरह से सुखा लेनी है, अच्छी तरह सुखी कपास को भण्डार में रखें|

कपास की पैदावार कितनी होती है?

कपास की उपज खेती की देखरेख, मौसम, कीट रोंग, कपास की किस्म/प्रजातियों आदि पर निर्भर करती है | औसत पैदावार देखे तो देशी कपास में 15-18 क्विंटल/हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है|

तथा अमेरिकन कपास में 25-30 क्विंटल/हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है – कपास फसल समाचार

भारत में कपास की खेती कहां होती है?

भारत देश में सबसे ज्यादा कपास की खेती महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, राज्य में होती है|

कपास की खेती कौन से महीने में की जाती है?

देशी वैराइटियों की बुवाई अप्रैल के प्रथम पखवारे से दुसरे पखवारे तक कर सकते है, जबकि अमेरिकन वैराइटियों की बुवाई मध्य अप्रैल से मई के प्रथम सप्ताह तक की जाती है – कपास की खेती pdf

कपास सबसे अधिक कहाँ होता है?

कपास की खेती सर्वोधिक देश में महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, राज्य में होती है|

कपास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी?

kapas ki kheti लगभग सभी मिट्टी में सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है लेकिन बलुई, क्षारीय एवं जल भराव वाली भूमि में kapas ki kheti के लिए सही नहीं है काली दोमट, दोमट-मटियार भूमि सर्वोत्तम होती है|

यह भी जरूर पढ़ें…

दुसरो को भेजे - link share

Leave a Comment

error: Content is protected !!