Last Updated on February 7, 2023 by krishi sahara
Chukandar ka beej | चुकंदर कितने रुपए किलो है | चुकंदर खाने के फायदे | चुकंदर की कीमत | चुकंदर का बीज कैसे होता है | चुकंदर की खेती से लाभ | एकड़ भारत प्रति चुकंदर उपज | Chukandar ki kheti se labh
चुकंदर की खेती भी मुनाफे वाली फसलों में से एक है और बात करें चुकंदर की खेती की तो इसे बीटरूट/Beetroot भी कहा जाता है| chukandar ki kheti भारत में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग उद्देश्य से उगाई जाती है जैसे कि फल, रस, चीनी, सब्जी, औषधि, दवाई, चारा, सलाद, आचार, मानव रोग निवारण मे इसका उपयोग किया जाता है| गाजर, मूली, शकरकंद, शलगम जैसे यह गहरे लाल रंग का वाला कंद फल है |
![[ चुकंदर की खेती कैसे होती है 2023 ] जानिए बीज किस्में, पैदावार, बुवाई समय, खेती कब और कैसे करें - Chukandar ki kheti 1 चुकंदर-की-खेती](https://krishisahara.com/wp-content/uploads/2021/04/WhatsApp-Image-2021-04-09-at-23_opt.jpg)
चुकंदर में चीनी 9-10%, प्रोटीन 1-2.5% होते हैं साथ मे मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयोडीन, पोटेशियम, आयरन, विटामिन-सी, और विटामिन-B की मात्रा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है Beetroot अपने गुणों के कारण इसकी हर वर्ष पूरी मांग रहती है तथा अच्छे भाव भी मिल जाते हैं, इसलिए किसान भाईयो को chukandar ki kheti करना चाहिए |
सही समय, उन्नत जानकारी के साथ खेती करते है तो अच्छी कमाई प्राप्त कर सकते हैं आइए जानते है- chukandar ki kheti कब और कैसे करें, चुकंदर कितने रुपए किलो है, चुकंदर के फायदे, चुकंदर के मंडी भाव, भारत में चुकंदर की खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी –
शलजम की खेती का वैज्ञानिक नाम – Beetroot/बीटरूट
चुकंदर की खेती कब और कैसे करें ?
यदि चुकंदर की खेती सही समय तथा सही देखरेख के साथ की जाए तो लाखों रुपए कमा सकते हैं चुकंदर की फसल अगेती खेती और पछेती खेती में की गई खेती जोरदार मुनाफे का सौदा बन जाती है |
उपयुक्त जलवायु और मिट्टी –
चुकंदर मुख्यतः ठंडी जलवायु के लिए उपयुक्त मानी जाने वाली फसल है खेत में बीज की बुवाई के समय सम जलवायु यानी कि ना तो ज्यादा गर्मी हो और ना ही ज्यादा सर्दी हो, इसलिए देश के पहाड़ी और सम जलवायु वाले राज्य क्षेत्रों में इसकी खेती सफल और उन्नत रूप से की जाती है तथा उत्पादन भी भारी होता है |
मिट्टी की बात करें तो चुकंदर की खेती किसी भी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है, परंतु विशेष फलने फूलने की बात करें तो रेतीली दोमट, बलुई दोमट उपयुक्त मानी जाती है साथ ही पानी की निकासी उत्तम होनी चाहिए मिट्टी का पीएच (pH) मान 6 से 7 होना चाहिए |
बीट्स को हल्की छाया में लगाया जा सकता है शुगर/शकर के लिए गहरी, अच्छी तरह से सूखा मिट्टी में सबसे अच्छा उत्पादन होता है | बीट में जड़ें गहरी होती हैं जो 36 से 48 इंच की गहराई तक पहुंच सकती हैं, इसलिए उन्हें वहां न लगाएं जहां पेड़ की जड़ें फेली हुई हो या साथ मे कोई दूसरी फसल लगी हो |
चुकंदर की खेती कौन से महीने में की जाती है?
चुकंदर की खेती के लिए बुवाई का समय सम जलवायु में माना जाता है यानी कि ना तो ज्यादा गर्मी हो और ना ही ज्यादा सर्दी हो इसलिए सबसे अच्छा और लाभदायक समय अक्टूबर का महीना रहता है |
बुवाई देश में जलवायु के हिसाब से अक्टूबर के पहले सप्ताह से लेकर जनवरी-फरवरी तक होती हैं| खेत की मिट्टी को 8 से 10 इंच की गहराई तक भुरभुरा करें जिसके लिए पलाऊ या रोटोटिलर का उपयोग करें |
चुकंदर की बीज की किस्मे एव प्रजातिया –
बुवाई मे बीज का चयन करते समय ध्यान रखें कि आपके क्षेत्र में प्रचलित चुकंदर की उन्नत किस्में या मंडी में किस प्रकार के चुकंदर की मांग रहती है, उसी अनुसार प्रजातियों का चयन करें तथा बुआई करो अच्छा लाभ कमाएं –
- मेगना पॉली
- रोमांस काया
- MSH-102
- यू एस-9
- चोगिया
- डेट्रोइट डार्क रेड
- पेसमेकर-2
- यू एच 35
- लाल ऐस
- रूबी रानी इत्यादि चुकंदर की बीज हाइब्रिड है, जिनसें उत्पादन आपको अच्छा मिलेगा |
नोट :- बीट/चुकंदर को जड़ और शीर्ष दोनों के लिए अलग-अलग उगाया जाता है जड़े अधिकतर शुगर उद्धोग के लिए की जाती है सही तरीके से तैयार होने पर घरेलू आचार, सब्जी, सलाद, जूस आदि के लिए किसी भी किस्म के टॉप का इस्तेमाल किया जा सकता है |
![[ चुकंदर की खेती कैसे होती है 2023 ] जानिए बीज किस्में, पैदावार, बुवाई समय, खेती कब और कैसे करें - Chukandar ki kheti 2 चुकंदर-की-खेती](https://krishisahara.com/wp-content/uploads/2021/04/WhatsApp-Image-2021-04-09-at-23_opt-2.jpg)
चुकंदर की खेती मे सिंचाई एव निराई-गुड़ाई ?
सिंचाई की बात करें तो यह निर्भर करती है कि मौसम पर, मौसम कैसा रहता है यदि बारिश नहीं होती है, तो 10 से 12 दिन के अंतराल में सिंचाई कर देनी चाहिए वह भी आवश्यकता के अनुसार फसल में सिंचाई की मांग के अनुसार |
बारिश न होने पर पौधों को साप्ताहिक रूप से पानी दें, मिट्टी की पर्याप्त नमी उपलब्ध होने पर बीट रूट सिस्टम 36 इंच या उससे अधिक तक पहुंच सकता है |
चुकंदर की खेती में खरपतवार नियंत्रण और निराई गुड़ाई में तो पहली निराई गुड़ाई बुवाई के 30 दिन बाद कर देनी चाहिए बाद में निराई गुड़ाई 15 से 20 दिन के अंतराल में देखरेख के साथ करते रहना चाहिए |
शलजम की खेती मे किट और रोंग ?
चुकंदर की फसल में सबसे ज्यादा लगने वाले 2 रोंग हैं जिसमें पहला पत्ती छेदक रोग, दूसरा तना या जड़ गलन रोंग |
चुकंदर में पत्ती छेदक रोंग और गलन की समस्या से बचने या समाधान के लिए रोगी पौधों को उखाड़कर खेत से बाहर जमीन में दबा देना चाहिए |
इन रोंग के बचाव मे डाइथेन-M 45 / हेक्टेयर 1 लिटर का 650 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर 15-15 दिन के अन्तराल में दो बार छिडकाव करना चाहिए |
![[ चुकंदर की खेती कैसे होती है 2023 ] जानिए बीज किस्में, पैदावार, बुवाई समय, खेती कब और कैसे करें - Chukandar ki kheti 3 चुकंदर-की-खेती](https://krishisahara.com/wp-content/uploads/2021/04/WhatsApp-Image-2021-04-09-at-23_opt-1.jpg)
चुकंदर की खेती से लाभ और कमाई ?
चुकंदर की खेती करने से 2 महीने बाद बाजार से अच्छा दाम/भाव मिल जाते हैं |
देश में अधिकतर जनवरी-फरवरी में ज्यादा चकुंदर की खपत/मांग होती है, इसलिए अक्टूबर में खेती वाले किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं |
चुकंदर का बीज कैसे होता है ?
![[ चुकंदर की खेती कैसे होती है 2023 ] जानिए बीज किस्में, पैदावार, बुवाई समय, खेती कब और कैसे करें - Chukandar ki kheti 4 चुकंदर-की-खेती](https://krishisahara.com/wp-content/uploads/2021/04/Screenshot-381_opt-1.png)
चुकंदर के बीज का भाव जानने के लिए लिंक में जाए – चुकंदर का बीज का भाव
चुकंदर की कीमत एव बाजार भाव ?
बीटरूट के बाजार और मंडी भावों की बात करें तो किसानों के मंडी मे 1500-4,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव मिल जाते है वही यदि किसान लोकल बाजार मे किसान को चुकंदर की किस्म के हिसाब से मंडी भाव से अच्छे दाम मिल जाते है चुकंदर के बीज का भाव लगभग 500 रुपये किलोग्राम से लेकर 1500 रुपये किलो मे मिल जाते है |
चुकंदर कितने रुपए किलो है – बाजार मे 40 से लेकर 120 रुपये प्रति किलोग्राम, निर्भर करता है आपके आस पास चुकंदर का कितना उत्पादन है |
भारत मे चुकंदर की खेती और प्रति एकड़ चुकंदर उपज ?
देश मे चुकंदर का उत्पादन बहुत बड़े कृषि क्षेत्र मे होता है, प्रति एकड़ उत्पादन खेती की देखरेख, बीज किस्म,प्रजाति, रोग, उत्पादन क्षमता आदि पर निर्भर करता है| चुकंदर का औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल से 380 क्विंटल है |
बीट बोरोन में मिट्टी की कमी के प्रति संवेदनशील हैं इसलिए उत्पादन पर फर्क पड़ सकता है अपने क्षेत्र में बोरान की कमियों के बारे में अपनी मिट्टी का परीक्षण/जाँच करवाए |
चुकंदर खाने के फायदे ?
चुकंदर का फल दुनिया के सबसे हेल्थी फ्रूट्स में से एक है न्यूट्रीशन से भरपूर हमारे शरीर के लिए अनेक प्रकार से लाभदायक और फायदेमंद है –
- बहुत सारे विटामिन जैसे विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आदि की पूर्ति करता है |
- शरीर के लीवर को मजबूत तथा हेल्थ को बढ़ाता है |
- बीटरूट में एक विशेष प्रकार का पदार्थ होता है जो शरीर में ब्लड कैंसर जैसी बीमारियों को होने से रोकता है |
- चुकंदर का जूस पीने से कब्ज जैसी समस्याओं के होने से भी बचाता है |
- बीटरूट शरीर में चिड़चिड़ापन और थकान जैसी समस्याओं को भी दूर करता है |
- चुकंदर शरीर की मांसपेशियों को स्ट्रांग बनाता है तथा इम्यूनिटी पावर को भी बढ़ाता है |
- बीटरूट शरीर के ग्लूकोस लेवल को भी बनाए रखता है तथा स्वास जैसी बीमारियों से बचाता है |
- शरीर के ब्लड प्रेशर को बनाए रखने के लिए बहुत सहायता मिलती है |
चुकंदर की खेती मे विशेष देखभाल करें –
- बीट पौधों को खरपतवारों से मुक्त रखें जो पोषक तत्वों और नमी का उपयोग करते है |
- क्रस्टिंग को रोकने के लिए रेक या हैंड टूल के साथ पौधों के बगल में मिट्टी को पलटे |
- कंद फसल के लिए कटाई बीट्स को रोपने के 7 से 8 सप्ताह बाद शुरू कर देनी चाहिए।
- कीट रोग के लिए कई कीटनाशक कृषि केंद्रों पर उपलब्ध हैं| एक सिंथेटिक कीटनाशक है, जबकि बीटी आधारित कीटनाशक और सल्फर कार्बनिक विकल्प हैं |
- सल्फर में कवकनाशी गुण भी होते हैं, और कई बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद करता है |
- कीटनाशक का उपयोग करने से पहले, लेबल पढ़ें और हमेशा सावधानी, चेतावनी और निर्देशों का पालन करें |
यह भी जरूर पढ़ें –