[ धान की नर्सरी कैसे तैयार करें 2024 ] जानिए खाद कब डालें, पीलापन, रोपाई, नर्सरी तैयार करने की विधि, रोग | Paddy Nursery Preparation

Last Updated on February 24, 2024 by krishisahara

किसान भाइयों धान की नर्सरी जितनी हरी-भरी और जितनी तेजी से बढ़वार करती है, वह हमारे लिए अच्छी मानी जाती है| अच्छे एवं उन्नत तौर तरीकों से नर्सरी तैयार करना भी धान के अच्छे उत्पादन के परिणाम होते है | जितना जल्दी बिना रोंग-कीट के नर्सरी तैयार हो जाती है, तो अच्छी गुणवता और उपज की आशा बन जाती है |

धान-की-नर्सरी-कैसे-तैयार-करें

आइए जानते है, धान की नर्सरी को लेकर जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी- धान की नर्सरी कैसे तैयार करें, धान की अधिक पैदावार के उपाय, धान की खेती में खाद बीज कौन सा डालें, आदि की सम्पूर्ण जानकारी –

धान की नर्सरी कैसे और कब तैयार करें ?

किसान भाइयों को बता दें कि, ज्यादा उपज और अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए धान की सेहतमंद और सही समय पर नर्सरी तैयार करना बहुत आवश्यक और जरूरी होता है| यदि आपकी धान की नर्सरी से तैयार पौध की गुणवता अच्छी होगी तो धान की उपज भी आपको रिकॉर्ड तोड़ देगी –

  • सबसे पहली बात है, कि धान की नर्सरी डालने के उचित समय की तो 20 मई से नर्सरी लगानी शुरू कर देनी चाहिए, यह समय हर किस्म के लिए उत्तम माना जाता है |
  • जल्दी तैयार होने वाली धान की वैराइटियों की नर्सरी 15 जून के आस-पास लगानी चाहिए |
  • किसान भाई 1 एकड़ भूमि के लिए धान की नर्सरी लगाता है, तो इसके लिए एक बिस्वा क्षेत्र में धान नर्सरी तैयार कर सकता है |
  • यदि सही समय पर नर्सरी तैयार करते हैं, तो पौधों में ज्यादा रोग-कीट, पत्ते पीले नहीं पड़ते हैं |
  • सही समय पर पौधे बहुत जल्दी विकास करना शुरू कर देते है, रोंग बहुत कम होंगे ट्रेचिंग की समस्या बहुत कम होगी |
  • किसान भाइयों ध्यान देने योग्य बात है, कि धान की नर्सरी तैयार करते समय ध्यान रखें कि मानसून के आने के 15 से 20 दिन पहले ही नर्सरी की तैयारी कर ले |
  • 1 महीने पहले तैयारी करने वाली नर्सरी के पौध, उत्पादन की दृष्टि से नुकसान दे सकती है |
  • धान की नर्सरी का पौधा 20 से 22 दिन बाद पूर्ण रूप से खेत में लगाने लायक हो जाता है, तो ध्यान रखें समय के पश्चात या ज्यादा दिनों की नर्सरी का पौधा कम उत्पादन देता है |
  • किसान भाई बड़े स्तर पर धान की नर्सरी लगाना चाहता है, तो नर्सरी हाइब्रिड धान बीज 1 किलोग्राम प्रति बिसवा क्षेत्र में डालें |
  • यानि प्रति बीघा धान का बीज 20 किलोग्राम डालें यह नर्सरी के लिए उचित माना जाता है |
  • यदि किसान भाई मोटा धान यानी देशी धान की नर्सरी तैयार करता है, तो नर्सरी के लिए यह बीज 22 से 23 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से नर्सरी का जमाव करें |

अनावश्यक खरपतवार से बचने के लिए किसान भाई बाजार में अनेक प्रकार की खरपतवार नाशक उपलब्ध है – जो बुवाई से पहले, बुवाई के तुरंत बाद और सिंचाई के समय अनेक प्रकार से दी जाती है | प्रेटीलाफ्लोर, नामनी गोल्ड, क्लोरीभ्यूरान + मेट्सल्फयुरान, फेनाक्जाप्राप इथाइल, ब्यूटाक्लोर, बैंथीयोकार्ब, ओक्साडायजान, प्रेटीलाक्लोर, पेंटीमैथलिन इन दवाओं का इस्तेमाल करें तथा ध्यान रखें दोनों का इस्तेमाल कंपनी की दिशा-निर्देश के अनुसार ही करें, अन्यथा इसका प्रभाव फसल पर भी पड़ सकता है |

Rifit plus धान में खरपतवार नियंत्रण दवा –

इस खरपतवार नाशक को धान की बुवाई के 72 घंटे के अंदर-अंदर प्रयोग करना अच्छा माना जाता है | इस दवा को लगाते समय खेत में एक्सएमई तक पानी भरा हुआ रहना चाहिए | 1 एकड़ जमीन के लिए 600 ml इस दवा की जरूरत होती है, जो खेत में जगह-जगह बूंद-बूंद करके छिड़काव किया जाता है |

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बायर topstar टॉप स्टार खरपतवार –

बायर कंपनी की ये Topstar खरपतवार नाशक 1 एकड़ में 45 ग्राम दर के हिसाब से लगता है, जो बाजारों में यह पाउडर के रूप में मिलता है |

Bayer topstar dose per acre – 1 एकड़ के लिए 2 लीटर पानी में घोलना होता है और फसल को लगाने के 72 घंटे के अंदर-अंदर स्प्रे विधि या अन्य तरीके से खेत में छिड़काव करना होता है| कुछ और धान के खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम-

  • इरेज (Eraze) खरपतवारनाशक
  • ब्लेड (Blade) खरपतवारनाशक
  • Bayer council active 
  • नॉमिनी गोल्ड खरपतवारनाशक
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धान की नर्सरी कैसे तैयार करें

किसान भाइयों बता दें, कि धान में खरपतवार नाशक रासायनिक दवाओं का प्रयोग करना फसल और खेत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, तो इसके लिए प्राकृतिक पारंपरिक तरीकों से भी खरपतवार पर नियंत्रण पा सकते है – जैसे मजदूरों की सहायता से, निराई-गुड़ाई करके, छोटी मशीनों से आदि |

धान की नर्सरी में खरपतवार का प्रभाव ?

नर्सरी में पौधों को तैयार करते समय धान के पौधों के साथ-साथ अनावश्यक खरपतवार भी उगना शुरू हो जाते है, जिससे फसल में अनेक प्रकार की समस्याए खड़ी हो जाती है |

  • पौधों की गुणवत्ता को खराब कर देते है |
  • खरपतवार से नर्सरी ग्रोथ नहीं कर पाती है |
  • पौधे पीले पड़ने लगते है, कोई भी खाद उर्वरक काम नहीं करता है |
  • धान के पौधों में फूटन कम हो जाती है |
  • जड़े कम विकसित होती है, पौधे धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा जाते है |
  • धान की नर्सरी में खरपतवार का प्रभाव से तैयार पौधों से उपज/उत्पादन भी 30-35% कम हो जाता है |

धान की अधिक पैदावार के उपाय ?

  • धान की बुवाई करने से पहले खेत की मिट्टी की जांच कराए |
  • बीज का चयन करते समय करते समय उन्नत बीजों का चयन करें |
  • बीज-धान की वैरायटी के दिशा-निर्देश के अनुसार ही खेत की बुवाई-बिजाई और देखरेख करनी चाहिए जैसे – पौधे के पौधे से पौधे की दूरी, खाद-उर्वरक, कीट-रोग, पकने की अवधि आदि |
  • सिंचाई का विशेष ध्यान रखें सिंचाई के प्रति फसल में तनाव नहीं आना चाहिए |
  • फसल को उपयुक्त जलवायु-मिट्टी, सूर्य की प्रकाश/ लाइट एवं फसल को समय-समय पर पोषक तत्व मिलते रहना चाहिए |
  • धान की फसल में खरपतवार का विशेष ध्यान रखें जिसको आप मजदूर या रासायनिक दवाओं के माध्यम से दूर कर सकते हैं |
  • धान के बीजों को उपचारित करके ही नर्सरी या बुआई करें |
  • धान का बीज उपचार कैसे करें- बीज की बुवाई से पहले 10 ग्राम बाविष्टिन या 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को 8 लीटर पानी के घोल में 24 घंटे तक भिगोते हुए यह घोल 5 किलोग्राम बीच में पर्याप्त होता है |
  • फसल में किसी भी प्रकार का रोंग-कीट लगने पर उसका तुरंत निदान करें |

धान की खेती में खाद कब और कैसे डाले ?

धान की चाहे खेती हो या नर्सरी को जैविक खाद और रसायन खाद दोनों प्रकार से तैयार कर सकता है | सुविधा के अनुसार भूमि की उपजाऊपन कम होने पर रसायनिक खादों का प्रयोग कर सकते है | जैविक खाद में केंचुए की खाद गोबर खाद, जैसे खाद का प्रयोग कर सकते है |

जैविक खाद में एक विशेषता होती है, कि इसके प्रयोग से धान की जड़ें काफी संख्या में होती है | पौधा नीचे से मजबूती लिए ग्रोथ करता है, जबकि रासायनिक खादों में ऊपरी फसल में ज्यादा ग्रोथ होती है, पौधों के ऊपरी भागों में ज्यादा कारगर/काम करती है |

  • धान की एक बिस्वा नर्सरी पौध में एक से डेढ़ किलो डीएपी खाद डाल सकते है, जो तैयार भूमि में बीज डालने के 2 दिन पहले ही डाले फिर आप बीज को छिड़काव कर दो |
  • जब नर्सरी 10 दिन की हो जाए तब एक बिस्वा जमीन में 250 ग्राम माइक्रो न्यूट्रनजिम और 50 ग्राम कार्बोमेन्डामैनकोज़ेम का मिश्रण करें साथ उसमे 500 ग्राम यूरिया मिलाए और उसको खेतों की नर्सरी में छिड़क सकते है |
  • किसान भाइयों नर्सरी में दूसरे खाद जब आपकी नर्सरी 18 से 20 दिन की हो जाए, फिर से इतने ही नाप में वापस एक बार छिड़काव करना है, यदि इस कम मात्रा को छिड़कने में दिक्कत आती है तो 2 किलों सुखी मिट्टी मिला कर छिड़क सकते है |

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धान की नर्सरी कैसे तैयार करें

धान की नर्सरी जल्दी तैयार करना –

पक्का फार्मूला – जब पौध 15 दिन की हो जाए तो नर्सरी में जिंक फेरस, यूरिया और मैगनिसियम सल्फेट का एक छिड़काव, जिसकी मात्रा – फेरस सल्फेट (19% वाला) – 60-70 ग्राम, यूरिया 250 ग्राम, मैगनिसियम सल्फेट 125 ग्राम इन सभी को 20 लीटर पानी में मिलकर स्प्रे कर दो ये उर्वरक सीधा पौधों में प्रकाश संश्लेषण को बढ़ाते है | प्रकाश संश्लेषण की क्रिया तेज होने से पौधों की ग्रोथ तेजी से बढ़ती है |

धान की नर्सरी में लगने वाले रोग ?

धान की नर्सरी में पत्तों पर सफेद धब्बे वाले रोग से बचने के लिए फेरस सल्फेट का प्रयोग कर सकते है, तुरंत प्रभाव पड़ेगा |

धान-की-नर्सरी-कैसे-तैयार-करें
धान की नर्सरी कैसे तैयार करें
  • पौध या पत्तों पर कोई धब्बे आ जाते है, या मछर पनप जाते है, तो 1 कनाल क्षेत्र में 35 ग्राम कार्बनड्डाजिम/बाविस्ता और मच्छरों के लिए इमिडाकलोपिन 20 ग्राम 15 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे कर दो |

धान की नर्सरी पीली पड़ रही है ?

यह समस्या धान की खेती करने वाले हर एक किसान की होती है, इसका परमानेंट बचाव नीचे दिए गए है | जिनका प्रयोग या ऐसा करने पर समाधान पा सकते है –

  • यदि मौसम बहुत गर्म है, तो नर्सरी के पौधे गलने लगते है |
  • यदि पौध में धूप के समय पानी खड़ा रहे तो पौध पीली होकर गलने लगती है |
  • पौधों को गलने से बचाने के लिए दिन में खेतों से पानी निकाल देना चाहिए या भरा न रखे |
  • धान की पौध को झुलसने से बचाने के लिए शाम के समय पानी देने तथा दिन में 10 बजे से 11 बजे तक पानी को दूर कर दे या निकाल दे |
  • यदि पौध पीली पड़ रही है, तो उसके ग्रोथ रुक जाएगी और देरी से पौध तैयार होगी |
  • जिंक की कमी से भी धान के पौधों में पीलेपन की समस्या आती है |
  • मिट्टी की जांच के समय यह पोषक तत्वों का पता कर ले मिट्टी में किस तत्वों की कमी है, जिंक की कमी है, तो एक नाल भूमि क्षेत्र में 1 किलो जिंक सल्फेट डाल सकते है |
  • जैविक खाद का डालने से पहले ध्यान रखें, कि खाद ज्यादा ना डालें क्योंकि गोबर की ज्यादा खाद डालने पर वह भूमि में ज्यादा गर्मी पैदा कर देती है और इससे पौधा गर्मी पाकर पीले पड़ने लग जाते हैं |
  • काफी जल्दी धान की बुवाई करने पर भी यह समस्या देखने को मिल सकती है |

धान की नर्सरी पीली पड़ रही है?

बहुत सारे कारण हो सकते है जिनमें – धूप के समय पानी खड़ा रहे तो पौध पीली होकर गलने लगती है, जिंक की कमी, गोबर की ज्यादा खाद डालने पर, काफी जल्दी धान की बुवाई आदि |

धान की खेती किस महीने में होती है?

यह प्रमुख रूप से खरीफ की फसल है – पहले नर्सरी तैयार करनी है जिसका उत्तम समय 20-25 मई है, जल्दी पकने वाली धान की किस्मों की नर्सरी – 20-15 जून को बुवाई होती है |

धान का बीज कैसे तैयार करें?

देशी धान बीज की बुवाई से पहले 10 ग्राम बाविष्टिन या 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को 8 लीटर पानी के घोल में 24 घंटे तक भिगोते हुए यह घोल 5 किलोग्राम बीच में पर्याप्त होता है |

हाइब्रिड धान की नर्सरी कैसे तैयार करें?

ज्यादा उपज और अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए धान की सेहतमंद और सही समय पर नर्सरी तैयार करना बहुत आवश्यक और जरूरी होता है – हाइब्रिड धान की नर्सरी की जानकारी विस्तृत रूप में ऊपर दी गई है |

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