धान की खेती | धान की खेती में खाद | धान की खेती कैसे करें | धान की खेती किस महीने में होती है | धान की खेती की जानकारी | धान की खेती में खरपतवार नाशक दवा | 90 दिन वाली धान | धान की वैज्ञानिक खेती
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दुनिया में अनाज फसलों के सर्वोधिक उत्पादन में धान का दूसरा स्थान आता है| भारत में खरीफ सीजन में ज्यादा उपजाई जाने वाली मुख्य फसल धान ही है, जिसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों (100 सेमी बारिश) में उपजाया जाता है| तो आइये जानते है धान की खेती से जुडी जरूरी बाते और सावधानियाँ –
धान की खेती कैसे करें सम्पूर्ण जानकारी –
खरीफ की प्रमुख फसल है जो देश के अधिक सिंचाई वाली परिस्थतियों में उपजाई जाती है| धान की फसल नर्सरी से लेकर कटाई तक विशेष देखभाल की जरूरत होती है, इसलिए किसान कुछ उन्नत तरीको को अपनाकर खेती करें तो उच्च गुणवता और अधिक उपज प्राप्त कर सकता है|
धान की खेती में भूमि व जलवायु ?
अच्छी उपज के लिए मुख्यतः मध्यम काली मिट्टी एवं दोमट मिट्टी क्षेत्र उत्तम माना गया है| बलुई मिटटी में इसकी खेती करना सम्भव नही है| बुवाई से कटाई तक समशीतोषण जलवायु की आवश्यकता होती हैं, पौधो की अच्छी ग्रोथ के लिए 20 डिग्री सेंटीग्रेट से 37 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान उत्तम है|
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धान की अधिक पैदावार वाली किस्मे ?
आज के समय धान की खेती में कई प्रकार की उन्नत किस्में विकसित की गई है, जो अपने उपज उत्पादन ले लिए जानी जाती है| धान फसल मुख्यतः 90 से 130 के बीच दिनों में पककर तैयार हो जाती है |
धान की अधिक पैदावार वाली किस्मे – टॉप और सर्वाधिक बोई जाने वाली धान वैरायटी 2023
बीजोपचार ?
फसल को शुरू से अंत तक रोगमुक्त बनाने के लिए बिजौप्चार करना बहुत जरूरी हो जाता है जिसके लिए – फफूंदनाशक दवा कार्बेन्डाजिम + मैन्कोजेब 3 ग्राम/किग्रा बीज या कार्बोक्सिऩ + थायरम 3 ग्राम/किग्रा बीज दर से उपचारित करें|
धान फसल हेतु खेत की तैयारी ?
खेत तैयारी का विशेष ध्यान रखे –
- अप्रेल-मई के दिनों में दो से तीन बार कल्टीवेटर से जुताई करें और मिटटी के बड़े ढेलों को फोड़कर खेत को समतल कर ले |
- खेत की मिट्टी धुप में अच्छी पकने के बाद खेत में क्यारिया या ब्लोक में खेत को तैयार कर ले|
- धान की फसल को खेत में लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह पानी भरकर, पलाऊ/पेडलर से जुताई कर लेनी चाहिए |
- खेत में पानी को लगाने के बाद उसे 5-7 दिन के लिए ऐसे छोड़ दे |
- अब धान के खेत में पानी भरकर बुवाई या रोपाई कर सकते है|
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धान की खेती का समय ?
बुवाई का समय अगेती, पछेती, सीजन आदि के हिसाब से किस्म का चयन कर सकता है| मानसून की पहली बरसात से धान की बुवाई का कार्य आरम्भ कर देना चाहिये| सामान्य सीधी बुवाई का समय जून से 20 जुलाई तक का महिना बोनी का समय सबसे उपयुक्त होता है| नर्सरी द्वारा तैयार पौध के लिए जुलाई का महिना सही माना जाता है|
धान की फसल में कौन सी खाद डालें?
सर्वप्रथम मिटटी की जाँच कराए, धान के फसल की अच्छी उत्पादकता के लिए रसायनिक खाद के अलावा जैविक खाद का भी ध्यान रखना चाहिए| धान की खेती में मुख्यतः जैविक खाद में गोबर खाद या कम्पोस्ट और रसायनिक खाद में यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट, पोटाश की जरूरत पड़ती है –
खेत तैयारी के समय खेतों में 5 से 10 टन/हेक्टेयर तक अच्छी पकी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग करें|
धान बीज या नर्सरी बुवाई के समय खेत में यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट और पोटाश की आवश्यकता होती है| इसके लिए यूरिया 50 किलोग्राम, सिंगल सुपर फास्फेट 150 किलो, 40 किलो पोटाश की मात्रा से डाल सकते हैं|
बुवाई के लगभग 30 दिन बाद 40 किलोग्राम यूरिया तथा 60 दिन बाद 40 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करना चाहिए |
ध्यान रखें अंतिम रूप यानी फसल में दाना बनते समय उर्वरक का प्रयोग नहीं करना चाहिए|
धान की सिंचाई के तरीके?
धान की फसल को अधिक सिचाई की आवश्यकता होती है | नर्सरी पौध हो या बीजो की रोपाई के तुरंत बाद इसकी पहली सिंचाई कर देनी चाहिए| सिंचाई का विशेष ध्यान रखे – कल्ले फूटते समय, फूल निकलते समय, बाली निकलते समय ओर दाना भरते समय खेत में 5 से 6 सें. मी. पानी भरा रहना चाहिए |
सबसे अधिक पैदावार वाली धान कौन सा है?
धान की प्रमुख प्रमाणित उन्नत किस्में जिनका उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के आस-पास होता है –
– पूसा सुगंध 3
– डीआरआर 45/ DRR 45
– पूसा 1460 (PUSA 1460
– डब्ल्यूजीएल 32100
– आईआर 64
– डीआरआर 310
धान की खेती में खरपतवार नाशक दवा?
धान की फसल में भी कई तरह के कीट रोग देखने को मिलते है, यह कीट रोग तापमान तथा जलवायु सम्बन्धी कारणो तथा खेती के तरीके से भी होते है –
धान की फसल में लगने वाले रोग | धान की फसल में कौन सी खाद डालें– |
नर्सरी पौधे की गलन समस्या | यह रोग मुख्यता है जमीनी रोग और फफूंद के कारण होता है, इसके निवारण के लिए किसान 50% कार्बेंडाजिम WP 250 ग्राम क्लोरोपाइफोस 20% EC 250 मिली प्रति बीघा यूरिया खाद के साथ मिलाकर नर्सरी पौधे में छिड़काव कर सकते हैं | |
धान की फसल में भूरा माहू रोग | यह बीमारी मुख्यतः रस चूसक कीट के प्रकोप के कारण फैलती है| इस बीमारी के रोकथाम के लिए ट्राईफ्लूमेजोपाइरिम 10% पेक्सलोन 100ml प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें | |
धान की बाली में पीलापन रोग | यह बीमारी फफूंद जनित रोग के कारण फैलती हैं| इसके निवारण के लिए प्रॉपिकॉनाजोले 25% EC 200 ml प्रति एकड़ और NPK 00:52:34 अनुपात वाली एक किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करें| |
धान फसल में खैरा रोग | यह रोग धान फसल मे जिंक कमी दिखाई देता है, जिसके लिए किसान 5 किलो जिंक सल्फेट 3 किलोग्राम बुझे हुए चूने को 100 लीटर जल के साथ घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खड़ी फसल पर छिड़काव करना चाहिए| |
सफेद मच्छर और लाइट रोग | धान की फसल में यह अधिकतर पत्तों को प्रभावित करता है जो फफूंद और कीट के प्रकोप के कारण फैलता है इस रोग की रोकथाम के लिए कैप्टान 70% हेकजाकोनोजोल 5% डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति लीटर को पानी में घोलकर छिड़काव करने से फसल को इस रोग से मुक्त कर सकते हैं | |
धान की खेती से पैदावार और कमाई?
पैदावार की बात करें तो एक बीघा में कितना धान होता है – अच्छी तरह से तैयार फसल से 18 से 20 क्विंटल धान की उपज ले सकते है| हेक्टेयर के अनुसार बार करें तो सिंचाई वाली खेती से 50-60 क्विंटल/हे. और बिना सिंचाई के 35-45 क्वि./हे. तक औसत उत्पादन ले सकते है|
धान की खेती से कमाई मंडी भावों पर निर्भर करती है, धान की ओसत उपज और भाव के अनुसार 40 से 60 हज़ार रु/हेक्टेयर पर मुनाफा कमा सकते है|
भारत में चावल की खेती सबसे अधिक कहाँ होती है?
झारखंड, पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं, जहां देश में सर्वोधिक धान की खेती होती है|
धान कितने दिन में पकती है?
धान की फसल खरीफ सीजन की फसल है जो 90 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है| देश में कई जल्दी पकने वाली उन्नत किस्म 90-95 दिन में पक जाती है, देरी से पकने वाली अधिकतम 140-150 दिन का समय ले लेती है| – धान की खेती pdf
सबसे कम दिन वाली धान कौन सी है?
mp में सर्वोधिक बोई जाने वाली असिंचित दशा की यह किस्म 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है – धान बीज सहभागी, दन्तेश्वरी |
झारखण्ड में 90 दिन वाली धान – वंदना जिसे आरआर 167-982 भी कहते है |
पूसा-1509 यह सबसे पुराणी किसम है जो शिग्र पकने वाली बीज वैराईटीयों में आती है |
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