Last Updated on May 28, 2023 by krishi sahara
चने की उन्नत खेती | चने की बीज दर | चने की खेती राजस्थान | चने की सिंचाई | चने की खेती | चने की खेती कैसे करें | चने की किस्में | हरे चने की खेती | चने की खेती का सही समय
चना फसल आज के समय देश मे दलहनी फसलों मे सबसे ज्यादा उपजाई और उपभोग होने वाली फसल है बिना सिंचाई व्यवस्था मे उपजाई जाने वाली फसल देश के उतरी राज्यो मे मुख्यत: होती है, चने की फसल भूमि मे नाइट्रोजन की मात्रा को स्थिर बनाए रखती है, इसलिए देश के ज्यादातर किसान इस फसल को भूमि की पैदावार क्षमता बढ़ाने और फसल चक्र के रूप मे भी करते है |
![[ चने की उन्नत खेती 2023 ] जानिए वैराइटी, पैदावार, बुवाई, सिंचाई, विशाल चना की खेती - Gram Farming 1 चने-की-उन्नत-खेती](https://krishisahara.com/wp-content/uploads/2020/12/WhatsApp-Image-2020-12-20-at-10_opt.jpg)
चने की खेती की पूरी जानकारी –
चने की खेती में कौन सा खाद डालें | चना की बुवाई कब करें | चना कौन से महीने में बोया जाता है | काबुली चना की खेती कैसे करें | चने में कितना पानी देना चाहिए | चने कितने प्रकार के होते हैं आइए जानते है चने की उन्नत और वैज्ञानिक तरीके से खेती की पूरी जानकारी –
चने की उन्नत किस्में?
कम समय और कम लागत मे बंम्पर पैदावार देने वाली चने की उन्नत किस्मों की बात करे चना की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है ये –
छोटे चने की उन्नत किस्में | काबुली चने की उन्नत किस्में |
विशाल, फुले विक्रम, वैभव, उज्जैन-24, फुले विक्रांत, इंद्रा-चना F- विक्रांत, गणगौर | | पूसा काबुली 1003, पूसा 256 |
बीजोउपचार कैसे करे –
प्राथमिकता के रूप मे उन्नत और प्रमाणित बीज का प्रयोग करें, यदि बुवाई का रकबा अधिक है, तो आपके घर से भी पुरानी फसल से बीज तैयार कर सकते है | चने के बीजों को उपचारित करने के लिए प्रति किलो बीज की मात्रा मे 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा कीटनाशक दवा का प्रयोग करना चाहिए |
बुआई मे बीज की मात्रा –
चने की बुआई के समय बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर 60 से 70 किलोग्राम रखना होता है और साथ ही काबुली चना के बीज दर 80 से 90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, भूमि मे बीज की गहराई 5 से 8 सेमी रखनी चाहिए किसी भी फसल मे ज्यादा गहरा बीज बोने पर उक्ता रोग कम लगता है |
उपयुक्त जलवाऊ और चना की बुवाई कब करें –
देश के शुष्क और शीत क्षेत्रों मे मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक,पश्चिमी उतर प्रदेश आदि राज्यो मे प्रमुख रूप से की जाती है |
बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों मे चने की बुआई सितंबर के अंतिम सप्ताह से 15 नवंबर तक कर सकते है यदि किसान के खेत मे सिंचाई सुविधा है तो दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक कर लेनी चाहिए जो जिसमे पछेती किस्मो का प्रयोग करे |
खरपतवार नियंत्रण –
चने की खेती मे अच्छी देख के लिए पूरी फसल मे लगभग दो बार हाथ से निराई-गुड़ाई करे पहली खरपतवार बुआई के 30 दिन बाद और दूसरी निराई-गुड़ाई 60 दिन बाद सही मानी जाती है, रसायनिक दवा से नियंत्रण के लिए पेंडिमिथालिन दवा का प्रयोग कर सकते है जो चने की फसल को कोई भी दुषप्रभाव नहीं डालती है |
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चने में कितना पानी देना चाहिए ?
देश के विभिन क्षेत्रों मे चने की फसल बिना सिंचाई से भी की जाती है लेकिन थोड़े शुष्क जलवाऊ वाले क्षेत्रों मे दो से तीन सिचाई उत्तम मानी जाती है सिंचाई की बात करे तो अच्छे उत्पादन के लिए तीन सिचाई की जरूरत होती है इससे ज्यादा सिंचाई नुकसान दाई होती है |
- पहली सिंचाई बुआई के साथ या पहले भी दे सकते है बीज अंकुरण मे नमी को बनाने के लिए |
- दूसरी सिंचाई 40 से 50 दिन की फसल मे फूल आने से पहले के समय उत्तम माना जाता है |
- तीसरी सिंचाई फलियों मे दाना बनते समय देवे, तीसरी सिंचाई भूमि और फसल की मांग हो तो ही करे |
चने का प्रति हेक्टेयर उत्पादन –
किसी भी प्रकार की फसल हो अच्छा और सर्वोधिक उपज फसल की देखरेख, बीज की किस्म, रोग का नियंत्रण, सिचाई, जैसे आदि कारकों कर निर्भर करता है चने की अच्छी किस्मो के अनुसार चने का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 32 से 42 क्विंटल उत्पादन हो जाता है |
इस खेती मे रखने योग्य प्रमुख सावधानियाँ –
- चने की शाखाए बढ़ाने के लिए, निपिंग क्रिया (पौधे के ऊपरी भाग को तोड़ना) जरूर करे |
- पौधे के ऊपरी भाग को तोड़ने का सही समय 30 से 35 दिन की फसल का है |
- फसल मे लगने वाले किट-रोग से सतर्क रहे और समय पर निवारण करे |
- जल भराव और अधिक बारिश वाले जगह से बचे या यहा खेती न करे |
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चने की खेती मे लगने वाले प्रमुख रोग –
इस फसल मे लगने वाले रोंगों की बात करे तो प्रमुख रूप से – उकता रोग, फली छेदक, सफेद इल्ली, जैसे आदि रोंग है –
उकता रोग –
इस रोंग का ज्यादा प्रभाव रहता है चने की फसल मे जिसमे पौधा धीरे-धीरे सुकने के साथ पूरी फसल मे फैलता जाता है |
चने की खेती में कौन सा खाद डालें –
बचाव के लिए रोंग निरोधक बीज किस्मो का प्रयोग करे या फिर बीज की बुआई के समय 2.3 किलो ट्राइकोड़र्मा प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करे यदि खड़ी फसल मे ये रोग हो जाए तो प्रति लीटर पानी मे 2 ग्राम कार्बेनडेजीम या मेनकोजेब दवा का स्प्रे कर सकते है |
फली छेदक रोंग –
यह रोग तैयार फसल मे फलीयो मे लगता है इस रोग से उत्पादन मे काफी कमी आ सकती है, इस रोग के रोकथाम के लिए कीटनाशी दवा का स्प्रे करे |
चने का भाव क्या है 2023 ?
बाजार मे चने की नई फसल की उपज फरवरी 2023 में आना शुरू हो जाएगी, हालांकि चने के वर्तमान भाव 4500 से 5700 रुपये/क्विंटल के भाव चल रहे है चने के आज के भाव जानने के लिए क्लिक करे – चना मंडी भाव 2023
चना कौन से महीने में बोया जाता है ?
चने की बुआई सितंबर के अंतिम सप्ताह से 15 नवंबर तक कर सकते है |
चने की खेती में कौन सा खाद डालें ?
रोंगों के बचाव के लिए रोंग निरोधक बीज किस्मो का प्रयोग करे या फिर बीज की बुआई के समय 2.3 किलो ट्राइकोड़र्मा प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करे यदि खड़ी फसल मे ये रोग हो जाए तो प्रति लीटर पानी मे 2 ग्राम कार्बेनडेजीम या मेनकोजेब दवा का स्प्रे कर सकते है |
चना की बुवाई कब करें ?
बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों मे चने की बुआई सितंबर के अंतिम सप्ताह से 15 नवंबर तक कर सकते है, यदि किसान के खेत मे सिंचाई सुविधा है तो दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक कर लेनी चाहिए जो जिसमे पछेती किस्मो का प्रयोग करे
चने कितने प्रकार के होते हैं ?
बाजार मे चना मुख्य रूप से दो प्रकार मे पाया और मिलता है एक तो देशी चने दूसरा काबुली चना, जिनकी उन्नत किस्मे है -विशाल, फुले विक्रम, वैभव, उज्जैन-24, फुले विक्रांत, इंद्रा-चना, F- विक्रांत, गणगौर , पूसा काबुली 1003, पूसा 256 |
चने में कितना पानी देना चाहिए ?
देश के विभिन क्षेत्रों मे चने की फसल बिना सिंचाई से भी की जाती है लेकिन थोड़े शुष्क जलवाऊ वाले क्षेत्रों मे दो से तीन सिचाई उत्तम मानी जाती है |
काबुली चना की खेती कैसे करें ?
काबुली चने की खेती लाभ के उद्देश्य से की जाती है इसलिए इसमे ज्यादा देख-रेख की आवश्यकता होती है |
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