Last Updated on March 18, 2024 by krishisahara
चना फसल आज के समय देश में दलहनी फसलों में सबसे ज्यादा उपजाई और उपभोग होने वाली फसल है | बिना सिंचाई व्यवस्था में उपजाई जाने वाली फसल देश के उतरी राज्यों में मुख्यत: होती है | चने की फसल भूमि में नाइट्रोजन की मात्रा को स्थिर बनाए रखती है, इसलिए देश के ज्यादातर किसान इस फसल को भूमि की पैदावार क्षमता बढ़ाने और फसल चक्र के रूप में भी करते है |
चने की उन्नत खेती की पूरी जानकारी –
चने की खेती में कौन सा खाद डालें | चना की बुवाई कब करें | चना कौन से महीने में बोया जाता है | काबुली चना की खेती कैसे करें | चने में कितना पानी देना चाहिए | चने कितने प्रकार के होते हैं आइए जानते है, चने की उन्नत और वैज्ञानिक तरीके से खेती की पूरी जानकारी –
चने की उन्नत किस्में?
कम समय और कम लागत में बंम्पर पैदावार देने वाली चने की उन्नत किस्मों की बात करेगे, चना की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है ये –
छोटे चने की उन्नत किस्में | काबुली चने की उन्नत किस्में |
विशाल, फुले विक्रम, वैभव, उज्जैन-24, फुले विक्रांत, इंद्रा-चना F- विक्रांत, गणगौर | | पूसा काबुली 1003, पूसा 256 |
बीजोउपचार कैसे करें –
प्राथमिकता के रूप में उन्नत और प्रमाणित बीज का प्रयोग करें | यदि बुवाई का रकबा अधिक है, तो आपके घर से भी पुरानी फसल से बीज तैयार कर सकते है | चने के बीजों को उपचारित करने के लिए प्रति किलो बीज की मात्रा में 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा कीटनाशक दवा का प्रयोग करना चाहिए |
एक हेक्टेयर में कितना चना बोया जाता है?
चने की बुआई के समय बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर 60 से 70 किलोग्राम रखना होता है | काबुली चना के बीज दर 80 से 90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, भूमि में बीज की गहराई 5 से 8 सेमी रखनी चाहिए | किसी भी फसल में ज्यादा गहरा बीज बोने पर उक्ता रोग कम लगता है |
उपयुक्त जलवाऊ और चना की बुवाई कब करें ?
देश के शुष्क और शीत क्षेत्रों में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक,पश्चिमी उतर प्रदेश आदि राज्यो में प्रमुख रूप से की जाती है |
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चने की बुवाई कौन से महीने में की जाती है?
बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों में चने की बुआई सितंबर के अंतिम सप्ताह से 15 नवंबर तक कर सकते है | किसान के खेत में सिंचाई सुविधा है, तो दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक कर लेनी चाहिए, जो जिसमे पछेती किस्मों का प्रयोग करें |
खरपतवार नियंत्रण –
चने की खेती में अच्छी देख के लिए पूरी फसल में लगभग दो बार हाथ से निराई-गुड़ाई करनी चाहिए | पहली खरपतवार बुआई के 30 दिन बाद और दूसरी निराई-गुड़ाई 60 दिन बाद सही मानी जाती है | रसायनिक दवा से नियंत्रण के लिए पेंडिमिथालिन दवा का प्रयोग कर सकते है, जो चने की फसल को कोई भी दुषप्रभाव नहीं डालती है |
चने में कितना पानी देना चाहिए ?
देश के विभिन क्षेत्रों में चने की फसल बिना सिंचाई से भी की जाती है, लेकिन थोड़े शुष्क जलवाऊ वाले क्षेत्रों में दो से तीन सिंचाई उत्तम मानी जाती है | सिंचाई की बात करें तो अच्छे उत्पादन के लिए तीन सिंचाई की जरूरत होती है, इससे ज्यादा सिंचाई नुकसान दाई होती है |
- पहली सिंचाई बुआई के साथ या पहले भी दे सकते है, बीज अंकुरण में नमी को बनाने के लिए |
- दूसरी सिंचाई 40 से 50 दिन की फसल में फूल आने से पहले के समय उत्तम माना जाता है |
- तीसरी सिंचाई फलियों में दाना बनते समय देवे, तीसरी सिंचाई भूमि और फसल की मांग हो तो ही करें |
चने का प्रति हेक्टेयर उत्पादन –
किसी भी प्रकार की फसल हो अच्छा और सर्वोधिक उपज फसल की देखरेख, बीज की किस्म, रोग का नियंत्रण, सिंचाई, जैसे आदि कारकों कर निर्भर करता है | चने की अच्छी किस्मों के अनुसार चने का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 32 से 42 क्विंटल उत्पादन हो जाता है |
इस खेती में रखने योग्य प्रमुख सावधानियाँ –
- चने की शाखाए बढ़ाने के लिए, निपिंग क्रिया (पौधे के ऊपरी भाग को तोड़ना) जरूर करें |
- पौधे के ऊपरी भाग को तोड़ने का सही समय 30 से 35 दिन की फसल का है |
- फसल में लगने वाले किट-रोग से सतर्क रहे और समय पर निवारण करें |
- जल भराव और अधिक बारिश वाले जगह से बचे या यहा खेती न करें |
चने की खेती में लगने वाले प्रमुख रोग –
इस फसल में लगने वाले रोंगों की बात करें तो प्रमुख रूप से – उकता रोग, फली छेदक, सफेद इल्ली, जैसे आदि रोंग है –
चना फसल में उकता रोग –
इस रोंग का ज्यादा प्रभाव रहता है, चने की फसल में जिसमे पौधा धीरे-धीरे सुकने के साथ पूरी फसल में फैलता जाता है |
फली छेदक रोंग –
यह रोग तैयार फसल में फलीयो में लगता है, इस रोग से उत्पादन में काफी कमी आ सकती है, इस रोग के रोकथाम के लिए कीटनाशी दवा का स्प्रे करें |
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चने की खेती में कौन सा खाद डालें ?
बचाव के लिए रोंग निरोधक बीज किस्मों का प्रयोग करें या फिर बीज की बुआई के समय 2.3 किलो ट्राइकोड़र्मा प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें, यदि खड़ी फसल में ये रोग हो जाए, तो प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम कार्बेनडेजीम या मेनकोजेब दवा का स्प्रे कर सकते है |
चने का भाव क्या है 2024 ?
बाजार में चने की नई फसल की उपज फरवरी 2024 में आना शुरू हो जाएगी, हालांकि चने के वर्तमान भाव 4500 से 5500 रुपये/क्विंटल के भाव चल रहे है | चने के आज के भाव जानने के लिए क्लिक करें – चना मंडी भाव 2024
चना कौन से महीने में बोया जाता है?
चने की बुआई सितंबर के अंतिम सप्ताह से 15 नवंबर तक कर सकते है |
चने में कौन सी दवा डालना चाहिए?
रोंगों के बचाव के लिए रोंग निरोधक बीज किस्मों का प्रयोग करें या फिर बीज की बुआई के समय 2.3 किलो ट्राइकोड़र्मा प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें | यदि खड़ी फसल में ये रोग हो जाए तो प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम कार्बेनडेजीम या मेनकोजेब दवा का स्प्रे कर सकते है |
चना की बुवाई कब करें?
बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों में चने की बुआई सितंबर के अंतिम सप्ताह से 15 नवंबर तक कर सकते है | किसान के खेत में सिंचाई सुविधा है, तो दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक कर लेनी चाहिए, जो जिसमें पछेती किस्मों का प्रयोग करें |
चने कितने प्रकार के होते हैं?
बाजार में चना मुख्य रूप से दो प्रकार में पाया और मिलता है | एक तो देशी चने दूसरा काबुली चना, जिनकी उन्नत किस्में है – विशाल, फुले विक्रम, वैभव, उज्जैन-24, फुले विक्रांत, इंद्रा-चना, F- विक्रांत, गणगौर , पूसा काबुली 1003, पूसा 256 |
चने में कितना पानी देना चाहिए?
देश के विभिन क्षेत्रों में चने की फसल बिना सिंचाई से भी की जाती है, लेकिन थोड़े शुष्क जलवाऊ वाले क्षेत्रों में दो से तीन सिचाई उत्तम मानी जाती है |
काबुली चना की खेती कैसे करें?
काबुली चने की खेती लाभ के उद्देश्य से की जाती है, इसलिए इसमें ज्यादा देख-रेख की आवश्यकता होती है |
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