[ टमाटर की फसल में लगने वाले रोग 2024 ] जानिए उकठा रोग, पत्तियों का सिकुड़ना, सड़न रोग, कीड़ा लगना, झुलसा रोग एव उपचार | Tomato Diseases

Last Updated on March 3, 2024 by krishisahara

सब्जियों की खेती से अच्छा उत्पादन और लाभ कमाने में सबसे बड़ी बाधा है – टमाटर की फसल में लगने वाले रोग और कीट, गर्मी का मौसम टमाटर की खेती के लिए सबसे अच्छा सीजन माना जाता है, क्योंकि टमाटर का पौधा ज्यादा ठंड और नमी को सहन नही कर सकता है| कृषि की नई तकनीकों जैसे, पॉलीहाउस, नेटहाउस, मिल्चिग विधियों से साल के तीनों सीजन में टमाटर की उन्नत खेती कर सकते है| आइए आज जानते है, टमाटर की खेती में लगने वाले प्रमुख रोग-कीट और उनका निवारण –

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टमाटर की फसल में लगने वाले रोग

इस लेख में आप जानोगे – टमाटर में उकठा रोग? टमाटर की पत्तियों का सिकुड़ना/पर्ण कुंचन रोग? टमाटर का सफेद और कटवा लट रोग? टमाटर में फल छेदक कीट रोग? टमाटर में कीड़ा लगने की दवा –

टमाटर की फसल में लगने वाले रोग 2024 –

टमाटर की फसल कोमल और मुलायम होने के कारण इस फसल में कीट-रोग जल्दी लगते है| जलवायु/वातावरण तथा उर्वरकों की कमी-अधिकता, मिट्टी, बीज, फंगस आदि से रोग-बीमारियों का जन्म होता है, जो बिना रेखदेख के तैयार फसल को अच्छा-खासा नुकसान पहुँचा सकती है|

टमाटर में उकठा रोग –

टमाटर की फसल में उकठा रोग, फ्यूजियम ऑक्सीस्पोरम लाइकोपार्सिकी नामक कवक से फैलता है| इस रोग से प्रभावित पौधे की निचली पत्तियां पीली पड़ जाती है, और कुछ समय के बाद टमाटर का पौधा मुरझा जाता है| उकठा रोग से पौधे का विकास पूरी तरह से रुक जाता है, लगे हुए फूल-फल भी गिरने लगते है|

आप टमाटर फसल में उकठा रोग के नियंत्रण में ईमिडाक्लोक्रिड 17.8 एस एल 1 ml प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर, इसका छिड़काव करने पर इसके प्रभाव को पूरी तरह से खत्म कर सकेंगे|

टमाटर की पत्तियों का सिकुड़ना/पर्ण कुंचन रोग –

पर्ण कुंचन रोग एक विषाणुजनित फ़सली रोग है, इस रोग को सफेद मक्खियां फैलाती है | यह रोग से प्रभावित फसल के पौधे की पत्तियां मुड़ने लगती है, जिसके कारण पौधे का आकार छोटा दिखाई देने लगता है |

टमाटर का पर्ण कुंचन रोग की रोकथाम के लिए बुआई के समय टमाटर के बीजों को कार्बोसल्फान 25 ई सी से उपचारित करना चाहिए| खड़ी फसल में इस रोग के लक्षण दिखाई दे तो, इमिडाक्लोप्रिड 17.8 का छिड़काव कर सकते है|

टमाटर में सड़न रोग

यह रोग फफूंद वायरस होने के कारण फैलता है, शुरुआती लक्षणों में टमाटर के अंकुरित हुए पौधे के तनों पर पानी से भरे फफोले नजर आते है| यह रोग पौधे की तनों, पत्तों और फलों में देखने को मिलता है, अधिक प्रभावितता के समय फसल और फलों मे सड़ान शुरू हो जाती है|

टमाटर की फसल को सड़ान बीमारी से बचाने के लिए, प्रोपीनेब 70 डब्ल्यू पी 0.21 प्रतिशत सक्रिय तत्व का छिड़काव या आक्सीक्लोराइड या फिर मेटालेक्जिल का हल्का छिड़काव कर सकते है|

टमाटर का सफेद और कटवा लट रोग –

यह रोग कटवा किट के कारण फैलता है, यह किट की लट रात में भूमि से बहार निकलकर पौधों को हल्का-हल्का काटना/खाना शुरू करती है| इस रोग से फसल कमजोर होती है, अधिक प्रभावित रोग के समय फसल का सुखना लक्षण दिखाई देते है|

टमाटर फसल में सफेद, कटवा लट रोग के नियंत्रण के लिए क्यूंनोलफॉस 1.5% चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत की मिट्टी में निराई-गुड़ाई या खेत तैयारी के समय मिला देना चाहिए|

टमाटर में काला धब्बा रोग –

यह रोग टमाटर क फसल में उच्च नमी के समय, बरसात के दिनों में, फसल में केल्सियम पोषक तत्व की कमी के कारण देखने को मिलता है| फलों पर हल्के-हल्के काले धब्बे पड़ने लगते है, फलों का स्वाद फीका होने लगता है|

टमाटर फसल का काला धब्बा रोग से बचाने के लिए बेबिस्टीन और डायथेन नामक दवाई का छिड़काव करें, इससे नए फलों का बचाव किया जा सकता है|

टमाटर के पौधे की जड़ों में गांठ रोग –

यह रोग अधिकतर बीज जनित रोग माना जाता है, इसके लिए बीजों को उपचारित करके बुवाई करें, हो सके तो टमाटर की नर्सरी तैयार करके पौध की रोपाई करें| इस रोग से पौधों का विकास रुक जाता है, पौधे का आहार संचरण प्रभावित हो जाता है|

इसके रोकथाम के लिए, सदेव उन्नत किस्म के प्रमाणित बीजों का उपयोग करना चाहिए| नर्सरी द्वारा तैयार पौध को खेत में लगाये, खेत तैयारी के समय अच्छी मात्रा में जैविक खाद-उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए|

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टमाटर में चक्षु सडऩ रोग –

चक्षु सडऩ रोग का प्रभाव ज्यादातर टमाटर के कच्चे फलों पर दिखाई देता है, जिसके कारण से फल पर पहले काले धब्बे नजर आते है | काले धब्बे के पास भूरे रंग की वलय बनने लगती है, फल सड़ने लगता है| यह रोग पैदावार को सर्वाधिक प्रभावित करता है|

बचाव/रोकथाम के लिए – प्रोपीनेब 70 डब्ल्यू पी 0.21% का छिड़काव कर सकते है या स्ट्रेप्टोसाईक्लीन 40-100 PPM की दर से क्यारी में व रोपाई के बाद हल्का छिड़काव करें|

टमाटर में सफेद मक्खी, थ्रिप्स, हरा तेला बीमारी –

टमाटर की खेत में कीट/मछर फैलने से कई बीमारियों को जन्म देते है | यह किट पौधे की पत्तियां का रस चूस लेते है | टमाटर की पत्तियों के नीचे/पीछे रहकर फसल को नुकसान पहुंचाते है|

इस रोग रोकथाम के लिए समय पर बुवाई करें, जैविक तरीके से नियंत्रण के लिए पौधे पर नीम के तेल या नीम के बीजों के आर्क का छिड़काव सप्ताह में एक बार करें |

टमाटर में आर्द्र गलन रोग –

इस बीमारी में टमाटर के पौधे की मुख्य तना गलने लगता है, जो पूरी फसल को चॉपट कर सकता है| शरुआती लक्षणों में पौधा/नर्सरी पीली-हल्की हरी दिखाई देती है| सावधानी/बचाव के लिए अधिक सिंचाई ना करें, जल निकास की समुचित व्यवस्था रखें, धूप और नमी का संतुलन बना रखे, उपचारित बीजों की बुवाई करें|

टमाटर में फल छेदक कीट रोग –

फसल मे ज्यादातर मध्यावस्था के समय कीट का प्रकोप होने से यह रोग फैलता है| फसल में लग जाए तो, टमाटर के फल को पूरी तरह से नष्ट कर देता है| किट फल में छेद करते हुए अंदर घुसकर फलों को नष्ट कर देता है|

फसल मे इसका प्रकोप दिखाई देने पर, तुरंत क्यूनालफास 1 ml प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव कर देना चाहिए|

टमाटर में कीड़ा लगने की दवा?

यदि आपकी टमाटर फसल में किसी भी प्रकार का किट/कीड़ा लग जाए तो, किट नियंत्रण हेतु आपको ईमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 150 ml प्रति हेक्टेयर, मिथाइल डिमेटान 25 ई सी या डायमेंथोयेट 30 ई सी 0.03 % दवाई का छिड़काव आवश्यकता अनुसार कर सकते है|

टमाटर फसल में रोग-कीट के प्रति प्रमुख देखरेख और सावधानियाँ?

  • टमाटर बीज आपको प्रमाणित स्रोत से स्वस्थ बीजों का चयन करके, बीजों की बुआई करनी है |
  • शुरुआत में नर्सरी तैयारी के समय जैविक खाद, खरपतवार, सिंचाई का ध्यान रखें |
  • टमाटर के बीज की बुआई आपको सीधे खेत में नही करना है, इससे फसल में कीट रोग फैलने का अधिक खतरा रहता है |
  • नर्सरी में टमाटर की उन्नत और स्वस्थ पौधे को तैयार कर लेना है|
  • फसल में रोग कीट बीमारियों की पहचान करते रहना चाहिए|
  • प्रत्येक 15 से 20 दिन के अंतराल में निराई-गुड़ाई और खरपतवार निवारण करना चाहिए|
  • टमाटर के पौधे को समय-समय पर सहारा देते रहना चाहिए|
  • पौधे में रोग लग जाएं, की स्थिति में रोकथाम समय रहते कर लेना है|

टमाटर का सबसे गंभीर रोग कौन सा है?

किसान भाइयों को टमाटर की खेती में कीट-रोगों के लगने की अधिक संभावनाए रहती है | इस फसल में सर्वोधिक गंभीर रोग – निम्न है, पर्ण कुंचन रोग, काला धब्बा रोग, जड़ों में गांठ रोग, फल छेदक कीट रोग, सड़न रोग आदि है|

टमाटर में झुलसा रोग के लिए कौन सी दवाई डालें?

लगभग सभी प्रकार की फसलों में झुलसा रोग देखा जाता है, टमाटर में झुलसा रोग की दवा उपचार उपाय के लिए – आपको मैन्कोजेब इण्डोफिल एम-45 का 400 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के घोल में या मेरीवान 10 ml या लूना एक्सपीरियंस 15ml प्रति 15 लीटर में घोल बनाकर पौधे पर स्प्रे कर सकते है|

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