[ फूलगोभी में लगने वाले रोग 2024 ] जानिए फूल गोभी में कीड़ा, इल्ली, काले सड़ांध, विटेल रोग नियंत्रण की दवा | Cauliflower Crop Diseases

Last Updated on February 7, 2024 by krishisahara

फूलगोभी में लगने वाले रोग कैसे नियंत्रित करते हैं | गोभी में लगने वाले कीट | मेरे फूलगोभी के पत्ते क्यों मुरझा रहे हैं | फूलगोभी के पत्ते पीले क्यों हो जाते हैं | फूल गोभी में कीड़ा | फूलगोभी का विटेल रोग किस तत्व की कमी से होता है | फूलगोभी में कौन कौन से रोग लगते हैं | फूलगोभी की दवा

सब्जियों की खेती में फूलगोभी फसल की भी बाजार में सालभर अच्छी डिमांड रहती है, जिससे नये किसान भाई सीजन में अच्छा लाभ कमा सकते है | यह एक ऐसी फसल है, जिसको अच्छी देखरेख के साथ तैयार करना होता है | फूलगोभी में कई पोषण तत्व, जैसे की फोलेट, Vitamin K, एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइटोन्यूट्रिएंट्स और फाइबर आदि पोषण तत्व पाए जाते है| फूलगोभी की फसल में कीट-रोग लगने का डर अधिक रहता है, जिनके बारे में आज हम विस्तार से बात करने वाले है-

फूलगोभी-रोग-को-कैसे-नियंत्रित-करते-हैं

फूलगोभी में लगने वाले रोग-कीट 2024 ?

इस फसल में बीज बुवाई से लेकर बाजार ले जानें तक अच्छी देखरेख सावधानियाँ रखनी होती है, खेत में खड़ी फसल के लगने वाले रोग-कीट इस प्रकार है –

गोभी के काले सड़ांध :-

यह रोग फसल को अच्छा-खासा नुकसान पहुँचा सकती है, अधिक प्रकोप होने पर 70 से 80% तक नष्ट कर सकती है | गोभी फसल में काले सड़ांध बीमारी का मुख्य कारण बैक्टेरिया होता है| यह बीमारी पौधे की पुरानी पत्तियों पर काली नसे में बदलती है |

इस रोग के लक्षण पौधे में दिखाई दे, तो रोगी पौधे को जड़ से उखाड़ देना है | गोभी के काले सड़ांध रोग को रोकने के लिए आपको 18 ग्राम प्रति हेक्टेयर स्ट्रेपटॉसिक का छिड़काव कर देना है|

फूलगोभी में तना सड़न रोग :-

यह रोग अधिक वर्षा होने पर ज्यादातर देखी जाती है, इस रोग को पहचान आपको दोपहर के समय अच्छे से होगी | तना सड़न रोग शुरुआती अवस्था में दिन के समय में पौधे की पत्तियां लटक जाती है और सुबह – शाम आपको पौधा स्वस्थ दिखाई देगा |

इस रोग का दूसरा लक्षण यह है की, इस रोग में आपको तने के नीचे हिस्से में जलीए से धब्बे दिखाई देंगे और सफेद फंगस भी दिखाई देंगे| इस रोग को रोकने के लिए आपको ओजोसिट्रोबिन 11% और तेबुकोनाजोल 18% का छिड़काव कर देना है|

फूलगोभी में होलोनेस रोग –

इस रोग के हो जाने पर फूलगोभी में तने का खोखलापन बोरॉन की कमी से और नाइट्रोजन के अत्यधिक उपयोग के कारण होता है| जब नाइट्रोजन की अधिकता से तने में तेजी से वृद्धि होती है और पौधे का तना जल्द ही खोखला हो जाता है |

फूलगोभी-में-लगने-वाले-रोग

फूलगोभी का विटेल रोग :-

यह रोग सबसे ज्यादा फूलगोभी के पौधे में मोलिब्डेनम की कमी से होता है| सामान्यतः पत्ती के ब्लेड का विकास नही हो पाता है|

इस रोग को रोकने के लिए अपको अमोनिया मोलिब्डेट का 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिटकांव कर देना है|

बटनिंग फूलगोभी रोग –

इस रोग के शुरुआती रूप में बहुत छोटे बटन के आकार के फूल बनते है | इस रोग का मुख्य कारण यह है की पौधा समय से पहले ही प्रवस्था से उत्पादन अवस्था में चला जाता है, इसका दूसरा कारण नाइट्रोजन की कमी से भी होता है |

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अंधता रोग :-

इस रोग में पौध वर्धनशीला पाला, किट आक्रमण के कारण से नष्ट हो जाती है, जिससे की पौधे वानस्पतिक वृद्धि करता है और पत्ते बड़े, मोटे, भारी व गहरे रंग के होते है|

इस रोग को नियंत्रण करने के लिए आपको पाले से कलियों को बचाना के लिए फसल की सिंचाई कर लेनी चाहिए और कीटों से बचाव करने के लिए कीटनाशी का उपयोग करें |

फूलगोभी में ब्राउनिंग रोग –

यह रोग बोरान तत्व की कमी से होता है | फूल के तने के अंदर छोटे पानी भरे हुए भूरे रंग के धब्बे होते है, तना खोखला हो जाता है | अधिक प्रकोप के समय फूल बाहर और अंदर से हरे रंग के हो जाते है, यह भाग खाने योग्य नही होते है|

फसल को इस रोग से बचाव के लिए आपको बोरिक एसिड 0.12 % का छिड़काव करना है|

फूलगोभी में लगने वाले रोग

फूलगोभी में झुलसा रोग :-

इस रोग का संक्रमण पुराने पत्तो से शुरू होता है – पत्तो पर छोटे, काले धब्बे दिखाई देते है जैसे-जैसे यह रोग फैलता है तो इससे नई पत्तियां संक्रमित होती है | यह रोग नमी के कारण, नमी वाले मौसम में अधिक फैलता है|

रोग नियंत्रण के लिए किसान भाई रोग मुक्त बीजों को उगाना, खेत से पुराने अवशेषों को हटाना और खेत में ज्यादा समय तक पानी भरा न रहने दे | इस रोग को रोकने के लिए आपको मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव कर सकते है |

गोभी फसल की जड़ गलन बीमारी :-

यह बीमारी भी अधिक वर्षा होने के कारण ही होती है, इस रोग में पौधे की जड़ पूरी तरह से गल जाती है, समय पर बचाव न होने पर, पौधा पूरी तरह से नष्ट हो जाता है|

इस रोग की रोकथाम के लिए- अच्छी जलनिकासी वाली जगह चुने, जलभराव के समय जल का निकास तुरंत करें | धूप में सिंचाई ना करें, बुआई के समय आपको 1 किलो ट्राइकोड्रमा, 2 किलो सड़ी गोबर को अच्छी तरह से मिक्स करके छिड़काव कर सकते है |

फूलगोभी किट रोग को कैसे नियंत्रित करते है ?

  • किट नियंत्रण के लिए आपको खेत में जैविक खाद का उपयोग करना है, आप वैसिलस थुरिजीनिसीस पाउडर का भी उपयोग कर सकते है|
  • नीम तेल 1500 पीपीएम को 1 लीटर तेल में 200 लीटर पानी के साथ मिला कर छिड़काव कर सकते है |
  • किट नियंत्रण आप रसायनिक तरीके से भी कर सकते है, इसके लिए आपको क्लोरोट्रेनिलीप्रोले 18.5% एससी 20 मिली दावा को और क्लोरोपाइरीफोस 20% इसी 800 ml को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिटकांव कर सकते है|

गोभी में खरपतवार नाशक दवा?

गोभी की फसल में आपको 0.6 किलो फ्लूक्लोरालिन, 0.4 किलो पैडिमेथलीन और 1.25 एलाक्लोर प्रति एकड़ में डाले इससे खरपतवार नियंत्रण रहेगी|

गोभी में इल्ली की दवा कौनसी है?

गोभी में इल्ली को नियंत्रण करने के लिए आपको 60 मीली क्लोरोट्रेनिलीप्रोले 18.5% एससी 20 मिली दावा को और क्लोरोपाइरीफोस 20% इसी 800 ml को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिटकांव कर सकते है|

फूलगोभी में दवाई कौन से उपयोग की जाती है?

किसान भाइयों, फूलगोभी में कई प्रकार के रोग-किट बीमारियाँ देखने को मिलती है | फसल में रोग-समस्याओं के अनुसार ही रोग प्रबंधन दवाई प्रयुक्त की जानी चाहिए – फूलगोभी में दवाई मुख्यतः – स्ट्रेपटॉसिक, क्लोरोट्रेनिलीप्रोले, ट्राइकोड्रमा, मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी, बोरिक एसिड, अमोनिया मोलिब्डेट, ओजोसिट्रोबिन जैसी दी जाती है | किसान भाइयों अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि सेवा केंद्र या कृषि सलाहकार से सम्पर्क करें |

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