[ सोयाबीन में लगने वाले कीट एवं रोग 2024 ] जानिए कीटनाशक दवा, रिंग कटर, पीला मोजेक, इल्ली, खरपतवार प्रबंधन | Diseases and Control in Soybean

Last Updated on February 22, 2024 by krishisahara

सोयाबीन में रिंग कटर की दवा | सोयाबीन में लगने वाले कीट | सोयाबीन में पीला मोजेक | सोयाबीन में लगने वाले रोग | सोयाबीन की फसल में कीटनाशक | Diseases and Control in Soybean | सोयाबीन में कीटनाशक कौन सी डालें | सोयाबीन में कीट नियंत्रण

देश में तिलहनी फसलों में सोयाबीन फसल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, देश की जलवायु के अनुसार उतरी राज्यों में सोयाबीन की खेती अच्छे क्षेत्र में की जाती है| मौषम, जलवायु, बरसात, बाढ़ के आलावा भी फसल को कई प्रकार के नुकसान का प्रकोप रहता है | आज हम बात करंगे सोयाबीन की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट-रोग एवं उनके निवारण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी –

सोयाबीन-में-लगने-वाले-कीट
Contents

टॉप 10 सोयाबीन में लगने वाले कीट रोग एवं किट ?

  1. सोयाबीन में पत्ती धब्बा/कापडिया रोग
  2. गर्डल बीटल रोग
  3. सोयाबीन में रिंग कटर
  4. सोयाबीन फसल में पोटास की कमी
  5. सोयाबीन में पीला मोजेक
  6. सोयाबीन फसल में इल्ली का प्रकोप –
  7. फसल और जड़ में दीमक एव फफूंद का प्रकोप
  8. तना छेदक मक्खी (स्टेम मक्खी)
  9. फसल में खरपतवार प्रबंधन
  10. सोयाबीन फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप

सोयाबीन में पत्ती धब्बा/कापडिया रोग ?

यह रोग बैक्टीरिया के कारण देखने को मिलता है | इस रोग से ग्रसित फसल में पत्तियों, शाखाओ, और फलियों पर धब्बे पड़ने लगते है | पत्तियों के किनारे कोणीय गीले धब्बे बनना शुरू हो जाते है, रोग अधिक फैलने पर पूरी फसल खराब होने की बढती है |

रोकथाम के लिए – निचे दिए गये इनमे से कोई एक दवा का प्रयोग कर सकते है –

  1. प्रोपिकोनाजोल 25 EC 1ml प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव कर सकते है |
  2. हेक्जाकोनोजोल 5% EC 3ml प्रति लीटर पानी के साथ घोलकर छिडकाव करें |
  3. कार्बनडाजिम दवा का 0.2% घोल के हिसाब से छिडकाव कर सकते है |
  4. बैक्टीरिया से प्रभावित फसल के लिए एजोक्सिस्ट्रोबिन 23% प्रति लिटर पानी में मिलकर छिडकाव कर सकते है |

सोयाबीन फसल में गर्डल बीटल/रिंग कटर रोग ?

किट जनित यह रोग फसल में बहुत कम देखा जाता है, गर्डल बीटल रोग की रोकथाम के लिए ग्रीष्मकाल में गहरी जुताई करें | बुवाई से 30-45 दिन पहले, पुरानी फसलों के अवशेष को खेत से हटा से या नष्ट कर दे, बीज उपचारित के समय, फसल बढवार के समय संतुलित उर्वरक का उपयोग करना चाहिए | उर्वरक की असंतुलित मात्रा से किट का प्रकोप फैलने की सम्भावना बनी रहती है | 

सोयााबीन में रिंग कटर की दवा?

थियामोथिक्सम 12.6% प्रति एकड़ छिड़काव कर सकते है या प्रोफ़ेनोफोस 50% EC 400 मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते है |

सोयााबीन फसल में इल्ली का प्रकोप, रोग पहचान एवं प्रबन्धन –

इस रोग से प्रभावित फसल के पत्तों पर इल्ली कीट का फैलाव देखने को मिलता है| पत्तों का रस चसने के साथ लार्वा फैलाती है |

इल्ली बीमारी का निवारण एवं प्रबंधन –

  • खेत को पुरानी खरपतवार से मुक्त रखे, समय पर बुवाई करें |
  • लाइट ट्रेप या पीला स्टिकी पेपर का उपयोग करें |

दवा के लिए इनमें से कोई एक दवा का चयन कर सकते है –

  • प्रोफ़ेनोफोस 40% और साइपरमेथीन 4% EC 400 ml के साथ प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर सकते है |
  • क्वीनालफोस 25% EC 400 ML प्रति एकड़ से छिड़काव करें |

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सोयाबीन फसल में पोटास की कमी ?

फसल को पोटाश नाइट्रोजन की अधिक आवश्यकता होती है और यदि इन पोषक तत्वों की कमी ना होने पर फसल कमजोर और कम उत्पादन देखने को मिलता है| पोटाश की कमी से पत्तियों के किनारों और सिरों पर हल्के पीने पीलापन विकसित होने लगता है | पूरी फसल में हल्का पन और पत्तों के बीच गहरा हरा रंग देखने को मिलता है | फसल में पोटाश की ज्यादा अधिक कमी होने पर फसल धूप से जले हुए गहरे कत्थई रंग के झुलसे हुए पत्तों में बदल जाती है और पत्ते धीरे-धीरे गिरने लगते है |

पोटास की कमी का निवारण एवं प्रबंधन – 

  • पोटेशियम युक्त खाद्य उर्वरक का प्रयोग करें (पोटास म्युरीयेट या पोटेशियम नाइट्रेट) |
  • उन्नत किस्मों का प्रयोग करें |
  • खेत में जलभराव ना होने दें |
  • मिट्टी की जांच कराएं पोटाश की कमी होने पर तुरंत नजदीकी कृषि सेवा केंद्र से परामर्श लें |

सोयाबीन में पीला मोजेक ?

दलहनी फसलों में मुख्यता यह रोग पाया जाता है यह रोग कीट और वायरस के कारण फैलता है | इस रोग में फसल में की पत्तियां पीली होने लगती है और धीरे-धीरे करके पूरी फसल पीली होकर सूखने लगती है, इस रोग का समय पर उपचार होना बहुत जरूरी है |

  • सोयाबीन में पीला मोजेक रोग रोकने के लिए हर वर्ष फसल चक्र अपना सकते है |
  • रोग प्रतिरोधक किस्मों का चयन कर सकते है |
  • खेत में पुरानी फसल के अवशेष और खरपतवार को हटाते रहे |
  • दवा की बात करें तो थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी 100 ग्राम प्रति एकड़ 150-200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने से फसल को बचाया जा सकता है |

फसल और जड़ में दीमक एवं फफूंद का प्रकोप –

जड़ों की बढ़वार रुकना, जड़ों का मृत होना, फसल पर फफूंद और दीमक का लगना | 

दीमक एवं फफूंद रोकथाम ओर निवारण के लिए –

  • खेत में कच्ची गोबर न डाले, फसल चक्र अपनाए |
  • 2 किलोग्राम नीम के बीज कूटकर प्रति एकड़ के हिसाब से छड़कव करें |
  • कोपर आक्सीक्लोराइड 50% WP 500 ग्राम के साथ थियामेथोकसम 30% FX 250 ml मात्रा को 25-30 किग्रा यूरिया में मिलाकर भुरकव कर सकते है |

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तना छेदक मक्खी स्टेम मक्खी –

यह मक्खी पौधे की मुख्य शाखा को प्रभावित करती है, जो धब्बे में काले रंग की होती है| यह मुख्य तना,टहनियों और डंठलों में सुरंग बनाती हुई 70-80% पौधों को रोग ग्रसित करती है| छोटे पौध अवस्था में यह रोग ज्यादा देखने को मिलता है, इस कारण पौधे सूखने लग जाते है|

तना छेदक मक्खी रोकथाम दवा –

  • क्लोरान्ट्रॉनिलीप्रोले 185 एस. सी./150 मिली./हेक्टेयर |
  • इंडोक्साकारब 15.8 इ.सी./ 333 मिली/हेक्टेयर |
  • फोरेट 10 ग्राम/15 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते है |

सोयाबीन फसल में खरपतवार प्रबंधन –

अनावश्यक खरपतवार भी कई रोगों और किट का कारण बनती है, और फसल के उत्पादन को प्रभावित करती है| किसान को खरपतवार को रोकने के लिए नियमित रूप से फसल की निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए |

रोकथाम और खरपतवार की दवा –

  • नमी की उपलब्धता में फसल जब 15-20 दिन की हो जाये 10% SL एमेजाथेपर 400 ml प्रति एकड़ की दर से 200 लिटर पानी में घोलकर छिडकाव कर सकते है |
  • या 35% एमेजाथेपर और 35% इमाजमोक्स WG 40 ग्राम, 200 लिटर पानी में घोलकर छिडकाव कर सकते है |

सोयाबीन फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप ?

इस रोग से ग्रसित फसल को भी खूब नुकसान उठाना पड़ सकता है| सफेद मक्खी किट फसल के पत्तो की निचली सतह पर फैलता है, जो विषाणु जनित रोग है यह मक्खी पत्तो का रस चूस कर भोजन करती है जो फसल की पैदावार को 70-90% तक घटा देती है| इसलिए समय पर उपचार करना बहुत जरुरी हो जाता है |

सोयाबीन फसल में सफेद मक्खी का उपचार और दवा?

– उपचारित और उन्नत बीज का प्रयोग करें |
– एसीटामीपेड़ 2% SP 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव कर सकते है |
– या फ्लोनीकेमिड 50% WG, 50 ग्राम/एकड़ दर से छिडकाव करें |
– या एफिडोपारीयोंफैन 50% DC, २५० ml /एकड़ 150 लिटर पानी में घोलकर छिडकाव कर सकते है |

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