Last Updated on February 29, 2024 by krishisahara
ग्राफ्टिंग कितने प्रकार के होते हैं | ग्राफ्टिंग कौन से महीने में की जाती है | ग्राफ्टिंग क्या है | कलम लगाने की विधियाँ pdf | ग्राफ्टिंग के फायदे | ग्राफ्टिंग कैसे की जाती है
देश में किसानों का विश्वास नई तकनीकों पर बढ़ता जा रहा है | पौधो में ग्राफ्टिंग तकनीक वह तकनीक है, जिसमें तैयार पौधे पर दूसरी कटी हुई डाली/तना विशेष तरह से चिपकाया जाता है | कलम विधि से तैयार पौधे जल्दी विकसित और फल-फूल देने लग जाते है, इसलिए बागवानी में ग्राफ्टिंग विधि से तैयार पौधो की खूब मांग होती है |
आज हम जानेगे कलम बांधना (Grafting) या ग्राफ्टिंग विधि क्या है, ग्राफ्टिंग किसे कहते हैं तथा इसके फायदे क्या है, ग्राफ्टिंग कैसे की जाती है संपूर्ण जानकारी –
पौधा की ग्राफ्टिंग क्या है ?
ग्राफ्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें जड़ युक्त पौधे की शाखा को दूसरी कटी हुई शाखा को आपस में विशेष कटिंग के साथ जोड़ा जाता है | दोनों तनों में संचरण शुरू होने के बाद एक ही पौधे के रूप में विकसित होने लगते है, इस नए पौधे में दोनों पौधों की विशेषताएँ होती है | इस तकनीक से एक नया पौधा तैयार होता है, जो मूल पौधे की तुलना में ज्यादा उत्पादन करता है |
ग्राफ्टिंग कितने प्रकार की होती है ?
- स्प्लिस ग्राफ्टिंग (Splice grafting)
- सैडल ग्राफ्टिंग (Saddle grafting)
- एप्रोच ग्राफ्टिंग (Approach grafting)
- क्लेफ्ट ग्राफ्टिंग (Cleft grafting)
- साइड ग्राफ्टिंग (Side grafting)
- फ्लैट ग्राफ्टिंग (Flat grafting)
पौधे की ग्राफ्टिंग कैसे की जाती है ?
आज के समय पौधो में कई प्रकार से ग्राफ्टिंग की जाती है, तकनीक के मानकों/ तरीको से अलग-अलग एगल, तना के प्रकार, पौधे की आयु, जलवायु-तापमान, आदि को ध्यान में रखते हुए की जा सकती है | सामान्य ग्राफ्टिंग जड़ वाले पौधे की शाखा (रूट स्टॉक) को तिरछे एगल दोनों के सिरों को 1 से 5 इंच तक किसी चाक़ू या प्रूनर से काटा जाता है |
तिरछे कटी हुई शाखा वाले भाग को रूट स्टॉक के कटे भाग को आपस में जोड़ने के बाद टेप से कसकर बाँध दिया जाता है | 1-2 सप्ताह में दोनों शाखाओ के ऊतक संचरण शुरू हो जाता है, धीरे-धीरे पौधे की वृद्धि और दोनों तनों से एक नया पौधो तैयार होकर जल्द फल-फूल आने शुरू हो जाते है |
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ग्राफ्टिंग के क्या फायदे हैं ?
बागवानी के लिए सबसे जरूरी होता है, बाजार की मांग के अनुसार फल-फ्रूट पैदावार लेना, जो आज के समय ग्राफ्टिंग पौधो ने आसान बना दिया | पौधो के रोग-किट, उपज आदि के लाभ देखते हुए पौधों की ग्राफ्टिंग होना बहुत जरुरी है –
- ग्राफ्टिंग का इस्तेमाल करके फल देने वाले और फूलों के पौधों की आसानी से बढवार/वृद्धि की जा सकती है |
- सामान्य तरीको से पेड़ की उम्र/आयु को बढ़ाना सम्भव नही है, लेकिन ग्राफ्टिंग विधि से नए पौधे उसी वर्ष से फल-फूल लगने शुरू हो जाते है |
- इस विधि से ख़राब जड़ प्रणाली, कम ऊर्जा और कम रोग प्रतिरोधक शक्ति वाले पुराने पौधे को अच्छी वृद्धि के साथ ग्रो करा सकते है |
- अच्छी किस्म वाले तने से ग्राफ्टिंग कराकर, नये ग्राफ्टेड पौधे साल भर फूल या फल प्राप्त हो सकते हैं |
- ग्राफ्टिंग विधि से तैयार पौधे की बढवार तेजी से होती है और बीज द्वारा उगाये गए पौधों की तुलना में कम समय लेते है |
- इन पौधों को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है |
- ग्राफ्टिंग करने से पौधों की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ जाती है, जिससे पौधों में रोग लगने की कम संभावना होती है |
- ग्राफ्टेड पौधों से तैयार फलों की क्वालिटी अच्छी होती है, जो बाजार में अच्छे भाव दिलाने में मदद करते है |
ग्राफ्टिंग की मदद से विभिन्न किस्मों की सब्जियों, फलों और फूलों वाले पौधों को आसानी से उगाया जा सकता है| इस तकनीक से तैयार किये गए पौधों में अन्य पौधों की तुलना में रोग कम लगते है और ऐसे में पौधे स्वस्थ रहते है|
ग्राफ्टिंग कौन से महीने में की जाती है?
ग्रीनहॉउस/ पॉलीहाउस में आमतौर पर ग्राफ्टिंग सर्दी के अंत (फरवरी-मार्च महीने) में या बरसात के शुरूआती दिनों में जून-जुलाई का माह का चयन करना उचित माना गया है |
ग्राफ्टिंग के साथ कौन सा पौधा उगाया जाता है?
ग्राफ्टिंग की मदद से विभिन्न किस्मों की सब्जियों, फलों और फूलों वाले पौधों को आसानी से उगाया जा सकता है |
ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार पौधे में कितना समय लगता है?
एक ग्राफ्टेड ट्री को तैयार होने में 3 से 4 सप्ताह का समय लगता है और एक साल बाद आपका ग्राफ्टेड पेड़ फूल और फल देना शुरू देता है |
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