[ गुंदे की खेती कैसे करें 2024 ] जानिए लेसवा/ लसोड़ा/ गुन्दा का पेड़ कैसे लगाया जाता है | Cultivation of Lehsua/Lasoda

Last Updated on February 6, 2024 by krishisahara

गुन्दा का पेड़ देश के उत्तरी भागों के शुष्क एव अर्धशुष्क जलवायु क्षेत्रों में पाया जाता है | मानव शरीर के लिए इस पेड़ के फल एव पत्तियां आयुर्वेदिक दृष्टि से बहुत कामगार साबित है | किसान भाई अन्य फसलों के साथ-साथ लसोड़ा/ लेसवा/ गूंदे की खेती करके अच्छी कमाई का जरिया बना सकते है | बाजार में लसोड़े के फलों की सालभर अच्छी मांग एव डिमांड रहती है | आइये जानते है, गुंदे की खेती कैसे करें, के बारें में सम्पूर्ण जानकारी –

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लेसवा/ गुंदे/ लसोड़ा का पेड़ क्या है?

“लसोड़े” का पेड़ या जिसे स्थानीय भाषा में “लसोड़ा, गुन्दा, लेसवा” के नाम से जाना जाता है | लसोड़े का वैज्ञानिक नाम Cordia Dichotoma है | यह एक छोटा और मध्यम आकार का पेड़ होता है, जो उच्च तापमान और सूखे क्षेत्रों में अधिक उगाया जा सकता है |

लसोड़े का पेड़ छाया देने वाला होता है और इसकी ऊंचाई लगभग 10-15 मीटर तक होती है | इसके पत्ते विटामिन सी से भरपूर होते है और उन्हें खाद्य में शामिल किया जा सकता है | इसके फल पीले और गोलाकार होते है, जिन्हें कच्चे या पक्के रूप में खाया जा सकता है |

लसोड़ा फल को हिंदी में क्या कहते हैं? 

इस पेड़ को उपजाने की दृष्टि से स्थानीय भाषाओँ में लसोड़ा, गुन्दा, लेसवा, लहटोरा, लिटोरा, कॉर्डिया डाइकोटोमा के नाम से जाना जाता है |

गुंदा का पेड़ हेतु जलवायु एवं मिट्टी?

गुंदा के पेड़ को फलने-फूलने के लिए शुष्क एव अर्धशुष्क जलवायु क्षेत्र की जरूरत होती है | भारत में इस पेड़ के अनुकूल जलवायु उतरी-पश्चिम भागों में पाई जाती है | उपयुक्त मिटटी के बारें में बात करें, तो रेतीली बलुई या बालू लाल-पिली मृदा में अच्छा फलता-फूलता है |

गुंदे की खेती कैसे करें ?

किसान भाई गुंदे की खेती करना बहुत ही आसान है, किसान को थोड़ी बहुत जानकारी रखकर यह खेती करें तो कई गुना लाभ देखने को मिलता है | इसकी खेती करने की जानकारी निचे दी गई है –

लसोड़े का पेड़ कैसे लगाया जाता है?

लसोड़े के पेड़ को लगाने के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपना सकते है –

  • किसान भाई अपने क्षेत्र की उपयुक्त जलवायु का चयन कर ले, लसोड़े का पेड़ सूखे में अच्छी तरह से पलता है, इसके लिए, गर्म और सूखे क्षेत्रों में इसे उगाना अधिक उपयुक्त होगा |
  • किसान मेड या कतार से कतार विधि का भी प्रयोग कर सकते है |
  • लसोड़े का पेड़ लगाने से पहले खेत/मिटटी की अच्छी जुताई करा लेनी चाहिए |
  • मेड या कतार से कतार में 6 से 8 मीटर की दुरी पर गड्डे 2*3 फिट चोड़ाई-गहराई में खोद लेना चाहिए |
  • गड्डे अप्रेल या मई के माह में खोद कर खुले छोड़ देना चाहिए |
  • पौधे जून-जुलाई में बरसात के समय लगाना चाहिए |
  • पौधे लगाने के एक सप्ताह पहले 10 किलोग्राम गोबर या कम्पोस्ट खाद, 5 किलोग्राम जिप्सम, 1-1 किलोग्राम एसएसपी खाद, किट बचाव हेतु रीजेंट, ट्राइकोडर्मा उनके दिशा-निर्देश अनुसार डालकर गड्डो को मिटटी से भर देना चाहिए |
  • लसोड़े का पेड़ कैसे लगाया जाता है- इसके लिए नर्सरी से तैयार पौधे को बैग से सावधानी पूर्वक निकलकर भूमि स्तर के बराबर में लगा देना चाहिए |
  • लसोड़े का पेड़ लगाते ही सिंचाई करनी चाहिए |

लसोड़ा की खेती में खाद-उर्वरक एव सिंचाई ?

लसोड़े की खेती में उचित खाद-उर्वरक और सिंचाई काफी महत्वपूर्ण होती है| यहां कुछ महत्वपूर्ण टिप्स है –

खाद-उर्वरक – लसोड़े के पेड़ को उच्च उत्पादकता देने के लिए उचित मात्रा में खाद-उर्वरक का उपयोग करें| सालाना 20 से 30 किलोग्राम प्रति पेड़ को निराई-गुड़ाई के साथ जैविक खाद देना चाहिए | पेड़ को पूर्ण खाद-उर्वरक मिश्रण के साथ निपटाएं, जिसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटैशियम के तत्व शामिल हों| इसके लिए किसानों को स्थानीय खेती विज्ञान केंद्र या कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए|

सिंचाई – लसोड़े की खेती में समय-समय पर हल्की सिंचाई करना महत्वपूर्ण है | पेड़ को नियमित रूप से सिंचाई करें ताकि मिट्टी नम रहे और पेड़ का विकास अच्छी तरह से हो सके | छोटे पौधो को सप्ताह में 2 से 3 सिंचाई बड़े पौधों को महीने में 3 अच्छी सिंचाई करनी चाहिए |

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लेसवा/लसोड़े/गुंदे के पौधे की देखभाल कैसे करें?

अगर आप लेसवा, लसोड़े या गुंदे के पौधों की देखभाल के बारे में बात कर रहे हैं, तो यहां कुछ महत्वपूर्ण टिप्स है –

  • शुरूआती बागवानी तैयारी के समय स्वस्थ और सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले पौधे का चयन करें| पौधे को पर्याप्त सूर्य रौशनी में लगाना चाहिए |
  • समय पर सिंचाई – पौधों को नियमित रूप से सिंचें, छोटे पौधे को नियमित सिंचाई दे | बड़े पौधे को ड्रिप सिस्टम की मदद से सिंचाई देनी चाहिए |
  • हर साल मिट्टी की गुड़ाई- यहां पौधों को प्रदान करने के लिए उपयुक्त उच्च मानक मिट्टी का चयन करें और उसमें सालाना आवश्यक खाद-उर्वरक मिश्रित करें|
  • पौधों की कटाई – साल में एक बार पौधे की बनावट और ग्रोथ के लिए शाखाओं और पत्तियों को प्रुनित करें | शाखाओं की कटाई एव पुनिग से पौधा अच्छा विकसित और अधिक मात्रा में फल देता है |
  • किट-रोगों का निवारण – वैसे इस पेड़-फसल में रोग किट बहुत ही कम देखने को मिलते है | किसान को पौधों में रोगों की पहचान एव देखरेख करते रहना चाहिए | पेड़ों में रोग अधिक होने पर नजदीकी कृषि सलाहकार से सम्पर्क करना चाहिए |

लसोड़ा खाने से क्या फायदा होता है?

लसोड़ा, जिसे वैज्ञानिक रूप से Cordia Dichotoma के नाम से जाना जाता है, इसका फल सेहत के लिए कई फायदों के कारण माना जाता है –

  • लसोड़े का फल विटामिन सी से भरपूर होता है, जो शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है|
  • यह एंटीऑक्सीडेंट प्रभावी होता है और शरीर को संक्रमणों से बचाने में मदद कर सकता है|
  • लसोड़े के फल में प्राकृतिक फाइबर पाया जाता है, जो पाचन को सुधारकर स्वस्थ और सहज आंत्र कार्य करने में मदद कर सकता है| लसोड़ा चूर्ण अपच, कब्ज, और आंत्र संबंधी समस्याओं को कम करने में मददगार होता है|
  • लसोड़े का फल उच्च मात्रा में प्रोटीन प्रदान करता है, जो मांसाहारी और सामान्य पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद कर सकता है|
  • लसोड़ा चूर्ण इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है: लसोड़े के फल में पाए जाने वाले पोषक तत्व रक्त को शुद्ध एव शरीर स्वस्थ रखता है |

लसोड़ा फल कहाँ मिलता है?

इसके ताज़ा फल बाजार में केवल 2 से 3 महीने (मार्च-अप्रेल-मई-जून) ही देखने को मिलते है | ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में इसकी खपत हो जाती है, इसलिए बाजार में इसके व्यवसायिक उत्पाद बनकर लसोड़ा चूर्ण, पाउडर, आचार, सूखे फल, पत्तिया आती है | लसोड़ा फल खरीदने के लिए आप सीजन के समय ग्रामीण बाजार, ऑनलाइन वेबसाईट, कृषि मंडियों से खरीद सकते है |

गुंदे की खेती कैसे करें

लसोड़ा फल कैसा होता है ?

इसके फल पीले और गोलाकार होते है, जिनका वजन 6 से 10 ग्राम तक का होता है | लसोड़ा फल का 80 से 90% भाग खाने योग्य होता है |

लसोड़े का पेड़ कैसे लगाएं?

पौधे लगाने के एक सप्ताह पहले 10 किलोग्राम गोबर या कम्पोस्ट खाद, 5 किलोग्राम जिप्सम, 1-1 किलोग्राम एसएसपी खाद, किट बचाव हेतु रीजेंट, ट्राइकोडर्मा उनके दिशा-निर्देश अनुसार डालकर गड्डो को मिट्टी से भर देना चाहिए | लसोड़े का पेड़ कैसे लगाएं, नर्सरी से तैयार पौधे को बैग से सावधानी पूर्वक निकालकर भूमि स्तर के बराबर में लगाकर सिंचाई कर देनी चाहिए |

लसोड़ा का आयुर्वेदिक उपयोग क्या है ?

लसोड़े का आयुर्वेदिक उपयोग कई समस्याओं के इलाज में किया जाता है| नीचे कुछ आयुर्वेदिक उपयोग- इसकी नियमित खानपान करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और अपच, अम्लपित्त, गैस, और कब्ज जैसी समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है|
लसोड़े का फल श्वासनली संबंधी समस्याओं को शांत करने में मददगार हो सकता है| जैसे कि कफ, खांसी, सांस की तकलीफ, और दमा जैसी समस्याओं को कम करने में यह उपयोगी हो सकता है|
लसोड़े का सेवन करने से शरीर में रक्त की साफ-सफाई होती है और त्वचा की स्वस्थता में सुधार हो सकता है|

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