गेहूं की वैज्ञानिक खेती | गेहूँ की खेती | गेहूं की खेती कैसे करें | गेहूं की खेती कब और कैसे करें | गेहूं की फसल कितने दिन में पकती है | गेहूं की खेती pdf | गेहूं की जैविक खेती कैसे करें
देश मे गेहू की खेती लगभग सभी क्षेत्रों मे की जाती है गेहू एक प्रकार की रबी की फसल है | देश मे रबी की फसलों मे सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली अनाज की श्रेणी की फसल है | आजादी से पहले कृषि क्षेत्र मे काफी गरीब यानि कम कृषि उत्पादन हुआ करता था और भारत मे अनाज विदेशों से मँगवाया जाता था | लेकिन 1966 के बाद आई हरित क्रांति के अचूक प्रयासों ने आज भारत को कृषि प्रधान देश बना दिया है –

हरित क्रांति के प्रयासों के कारण देश का पंजाब आज गेहू के उत्पादन मे शीर्ष स्थान रखता है और साथ मे गेहूं की टोकरी भी कहा जाता है |
आइए जानते है आज के समय की गेहूं की उन्नत खेती के बारे मे और गेहूं की खेती कैसे करें –
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गेहू का MSP 2021-22 –
फ़सली वर्ष 2021-22 हेतु, हाल ही मे केंद्र सरकार ने गेहू का कम-से कम खरीद मूल्य 40 रुपये बढ़ाकर 2,015 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है | 2020-21 मे गेहू का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये था, लेकिन अब सरकार किसानो से 20,15 रूपये / क्विंटल मे गेहू की खरीदी की जाएगी |
गेहूं की खेती कैसे करें और आवश्यक कारक –
गेहूं की खेती के लिए जरूरी मृदा,खाद ,बीज ,जलवायु ,सिचाई,खरपतवार के बारे मे नीचे एक-एक करके जानकारी दी गई है | तो आइए जानते है गेहू की उन्नत खेती के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी |
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गेहूं की खेती के लिए तापमान और जलवाऊ
इसकी खेती में के लिए तापमान की बात करें तो गेहूं के बीज अंकुरण के समय 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की उचित रहता है | जलवायु के बारे मे बात करे तो आद्र-शीत जलवाऊ के मे हल्की धूप तथा फसल पकते समय बसंत ऋतु उपयुक्त रहती है | जो मुख्यतः इस प्रकार की जलवाऊ पूर्वी-उतर-पश्चिमी भारत मे रहती है |

मृदा ओर भूमि का चयन –
गेहू की खेती सिंचाई क्षेत्र वाले हर प्रकार के क्षेत्रों में की खेती की जा सकती है परंतु अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी, चिकनी-दोमट समतल जिसमे अच्छी जल निकासी हो | भूमि उपजाऊ और जीवाश्म-युक्त मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है |
खेत की तैयारी –
खेतों मे गेहू की बुआई के लिए किसानो को अक्टूबर तक खेतों को खाली कर लेना चाहिए | खेत की मिट्टी को पलटने वाले यंत्र से मिट्टी को पलट ले 7-8 दिन अच्छी धूप लगने के बाद खेत की भूमि को डिस्क हीरो हल की सहायता से 1-2 बार जुताई करा ले | धूप लगने के बाद मिट्टी हल्की बुरभुरी हो जाएगी जो गेहू की बुआई के लिए बहुत ही अच्छी और उत्तम मानी जाती है |गेहू खेत तैयारी मे किसान चाहता है तो टैक्टर रोटेवर की सहायता से खेत को एक बार मे ही तैयार कर सकता है |
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गेहूँ की खेती कब बोई जाती है ?
इसकी खेती का उत्तम समय अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से लेकर नवंबर के पहले पखवाड़े तक का समय रहता है | यदि किसान इस समय गेहू की खेती करता है तो बीज दर मे भी कमी होती है यानि 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज लगता है |
ऊपरी पूर्वी भागों के मध्य नवंबर तक बुआईं किया जा सकता है | देरी से बोने के लिए उत्तरी पश्चिमी मैदानों में 25 दिसंबर के बाद तथा उतरी पूरे मैदानों में 15 नवंबर के बाद गेहूं की बुवाई करने से उपज में भारी हानि होती है | इस प्रकार बासनी क्षेत्रों में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के प्रथम सप्ताह तक वही करना उत्तम रहता है यदि भूमि की ऊपरी सतह से सुरक्षित नमी प्रचुर मात्रा में है तो गेहूं की बुवाई 15 नवंबर तक कर सकते हैं |
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बुवाई की विधि –
गेहू की बुआई करते समय ध्यान रखे भूमि मे पर्याप्त नमी का होना चाहिए | किसान द्वारा चयनित गेहु की किस्म के अनुसार बुआई के तरीके से करे | बुआई, गेहू की किस्म के अनुसार समय पर कर देना चाहिए क्योंकि जैसे बुआई मे देरी से बीज की दर भी बढ़ती जाती है | गेहूं बुवाई के लिए सबसे बड़िया तरीका – सीड़ ड्रिल मशीन को माना गया है |

गेहू की प्रमुख उन्नत किस्मे –
किसान भाई गेहूं की खेती के लिए गेहूं की उन्नत किस्म का अध्ययन करने से पहले अपने क्षेत्र में प्रचलित और अधिकतम उपज देने वाली इस मौका ही चयन करना चाहिए
क्रम. स. | समय से बुआई की किस्मे | देरी से बुआई की किस्मे |
1. | एचडी- 2967 , एचडी -4713, एचडी -2851 | एचडी-2985 , राज-3765, पी वि डब्ल्यू- 373, दी वि डब्ल्यू- 590 यू पी – 2425 |
2. | इनकी बुआई का उपयुक्त समय 10 नवंबर से 25 नवंबर माना जाता है | | इस प्रकार की गेहू की किस्मो की बुआई 25 नवंबर से 25 दिसंबर माना गया है |
सबसे अच्छी वैरायटी, गेहूं की उन्नत किस्में – लोकवन, 322, 2967, 1544, 343
गेहूं के बीज की मात्रा –
सिचाई क्षेत्रों में समय से बुवाई करने के लिए 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीज पर्याप्त रहता है | लेकिन सिंचित क्षेत्रों में देरी से गेहूं की बुवाई करते हैं तो इसके लिए 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की बीच की आवश्यकता पड़ेगी साथ ही लवणीय और ऊसर मृदाओं के लिए 120 से 125 किलोग्राम प्रति हेक्टर रखनी चाहिए | सामान्य दशा में गेहूं को लगभग 3 से 4.5 सेंटीमीटर गहरी बुवाई करनी चाहिए |
गेहूं की वैज्ञानिक बीज उपचार –
गेहूं की खेती या बुआई से पहले इसका उपचार करना बहुत ही जरूरी है इसके लिए प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थाइम या 2. 50 ग्राम मेनकोजेब से उपचारित करना चाहिए | बीज को दीमक नियंत्रण के लिए क्लोरोफ़ाईफ़ोरस 4 मिलीलीटर मात्रा से संपूर्ण बीज को उपचारित करे | उपचारित करने के बाद गेहू के बीज को छाया में सुखाकर बुआई करनी चाहिए |

गेहूं की सिंचाई –
गेहू की फसल मे सिंचाई की औसतः 5-6 बार आवश्यकता होती है प्रथम सिंचाई जब गेहूं की फसल बढ़ते समय यानी 20 से 25 दिन की हो जाए तब कर देनी चाहिए | दूसरे सिंचाई के बात करें तो 40 से 45 दिन की हो जाए तीसरी सिंचाई गेहूं के पौधे में गांठ बनने लग जाए बुआई समय के 65 दिन के बाद |
चौथी सिंचाई गेहूं की फसल में बलियां निकलने के समय सिंचाई कर देनी चाहिए जो लगभग 85 से 90 दिन बाद होती है पांचवी सिंचाई 100 से 110 दिन के बाद जब फसल दूधिया अवस्था में ही करनी चाहिए जब फसल 115 से 20 दिन की हो जाए |
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यदि किसान के पास सिचाई के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है या कम है तो इस स्थिति में 4 सीट आएगी कर सकते हैं तो पहली सिंचाई जड़ बनते समय तथा दूसरी सिंचाई गेहूं की फसल में गांठ बनते समय तथा तीसरी सिंचाई बलिया निकलते समय तथा चौथी सिंचाई दाना पक के समय करनी चाहिए |
गेहूँ की खेती मे होने वाले प्रमुख खरपतवार
किसी भी प्रकार की खेती हो उसमे अनावश्यक चारा/ खरपतवार उगना शुरू हो जाता है जो फसल की पैदावार को कम करता है और किसान को उत्पादन मे काफी घाटा पहुचा देते है | किसान को लागत कम और अच्छा उत्पादन लेने के लिए समय-समय पर देख-रेख और अनावश्यक खरपतवार को फसल से हटा देनी चाहिए | गेहू मे प्रमुख खरपतवार –
बथुआ, सेन्जी, कृष्ण-नील, हिरन, चटरी, अकरा, जंगली गाजर, जंगली जोई, ज्याजी, खरतुआ, सत्याशी जैसे प्रमुख गेहू की खेती मे होने वाले चारे है |

गेहूं की कटाई का समय –
गेहू की अगेती किस्मो की कटाई फरवरी मे शुरू हो जाती है | और सामान्य समय मे बोई गई गेहू की फसलों की कटाई मार्च-अप्रेल मे हो जाती है |
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गेहूँ की खेती मे प्रमुख सावधानियाँ
किसान को किसी भी फसल की खेती करते कमी फसल के बारे मे अच्छा ज्ञान और जानकारी होना जरूरी है क्यों की आज के समय की खेती सही देखभाल के बिना संभव नहीं है | तो जानिए अच्छा उत्पादन के लिए गेहू की खेती मे बरती जाने वाली सावधानियाँ निम्न है –
- खेत से साल मे दो से अधिक फसले लेते है तो हर फसल के लिए मिट्टी की जाँच कराए |
- खेत की तैयारी अच्छी प्रकार से हो रोटेवर, डिस्क हेरो, कल्टीवेटर(हल) आदि की सहायता से |
- जितना हो सके जीवांश युक्त खाद का ही प्रयोग करे |
- बीज शोध संस्थानों से प्रमाणित और बीजों को उपचारित करके ही खेतों मे बुआई करे |
- सिचाई को भी नियमित और भूमि की आवश्यकता अनुसार ही सिचाई करे |
- किट और फसल रोंगों के प्रति सतर्क रहे , लक्षण होने पर तुरंत समाधान लेके निवारण करे |

गेहूं उत्पादन में भारत का कौन सा स्थान है ?
खाद्य अनाजों मे सर्वोधिक काम मे आने वाला अनाज गेहू है जो भारत विश्व के गेहू उत्पादन मे दूसरा स्थान रखता है | साथ ही गेहू के उत्पादन मे विश्व मे प्रथम स्थान चीन का बना हुआ है |
देश मे प्रमुख गेहू उत्पादक राज्य ?
देश के प्रमुख गेहू की पैदावार उतरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा,राजस्थान , मध्यप्रदेश ,बिहार ,गुजरात जैसे प्रमुख क्षेत्रों मे गेहू की भरपूर खेती होती है |
विश्व मे प्रमुख गेहू उत्पादक देश –
शीर्ष उत्पादन के हिसाब से चीन,भारत , सयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, रूस, आस्ट्रेलिया , कंनाडा, पाकिस्तान ,तुर्की आदि | यहा सबसे ज्यादा गेहू की पैदावार होती है |
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