[ नींबू की बागवानी कैसे करें 2024 ] सालभर नींबू की खेती कैसे करें, बुवाई, सिंचाई, पैदावार, नींबू की बागवानी कटिंग | Lemon Farming

Last Updated on January 26, 2024 by krishisahara

खेती मुख्यतः मेहनत की कमाई के लिए जानी जाती है, और मेहनत करके किसान सालभर खेती से अच्छी कमाई का जरियां बना सकते है | बागवानी खेती सबसे ज्यादा मुनाफेदार साबित होते दिखाई दे रही है, इसी और आज बात करेंगे – नींबू की बागवानी कैसे करें | भारत में नींबू की मांग लगभग सालाना 16-17 लाख टन होती है | इसकी बागवानी पौध रोपाई जनवरी से जून माह तक होती है | नींबू की उत्पादन में भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है और विभिन्न कृषि आधारित उद्योगों में इसकी भारी मांग रहती है |

नींबू-की-बागवानी-कैसे-करें
Contents

नींबू फसल क्या है, बाजार में मांग ?

आज के समय नींबू एक व्यवसायिक फसल है, जो बागवानी के तौर पर उन्नत तकनीकों के सहारे उपजाई जाती है | यह फसल उत्तरी भारत सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में उगाई जाती है |

नींबू एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसल है, जो विभिन्न उद्योगों में उपयोग किया जाता है | नींबू का रस उद्योगों में उपयोग किया जाता है, जैसे कि नींबू पानी, शिकंजी और सिरका, औश्धिय दवा, आचार, सौन्ध्य उत्पादों के बनाने के लिए | इसके अलावा, नींबू का तेल और नींबू के छिलके भी उपयोग में लाया जाता है |

नींबू की खेती से लाभ और कमाई ?

नींबू की खेती से बहुत सारे लाभ होते है, जैसे : –

  • नींबू की खेती से आप एक अच्छा मुनाफा कमा सकते है | नींबू की उचित देखभाल और विपणन के साथ, आप इससे लाभ उठा सकते है |
  • नींबू की खेती एक स्थान से दूसरे स्थान पर सबसे आसान व्यवसायों में से एक है | इसे खेती के लिए बहुत कम खर्च लगता है और फल उगाने के बाद इसे विभिन्न बाजार एव उद्योगों में बेचा जा सकता है |
  • नींबू की खेती एक सामान्य जलवायु वाले वातावरण और भूमि में उगाई जाती है, जिससे देश के लगभग सभी भागों में इसे आसानी से उगाया जा सकता है |
  • नींबू की खेती से संबंधित उत्पादों की मांग स्थायी होती है और इसे विभिन्न उद्योगों में उपयोग किया जा सकता है, जो व्यवसायिक दृष्टिकोण से एक अच्छा विकल्प बनाता है |
  • नींबू का पेड़ कितने साल तक फल देता है – व्यवसायिक खेती में किसान भाई 25 से 30 साल तक अच्छी पैदावार वाली सालाना फसल ले सकते है |

टॉप 5 नींबू की अच्छी वैरायटी ?

आमतौर पर नींबू की खेती के लिए कई प्रकार की वैरायटी उपलब्ध होती है, नींबू की खेती के लिए टॉप 5 वैरायटी निम्नलिखित हो सकती है : –

  1. मौसमी नींबू (बारहमासी कागजी नींबू)
  2. विक्रम नींबू (Vikram Kism)
  3. प्रमालिनी (Pramalini)
  4. देसी नींबू (Desi Lemon)
  5. कागजी नींबू (Kagzi Lemon)

ये सभी वैरायटी अपनी खासियतों के लिए जानी जाती हैं | कुछ विशेषताओं के आधार पर चुने जा सकते हैं, जैसे जलवायु और मिटटी के अनुसार उगाने में सुविधा, फल का आकार और रंग, मूल्य आदि |

नींबू की बागवानी कैसे करें – सम्पूर्ण जानकारी ?

इस फसल को भारत में व्यापक रूप से उगाया जाता है, नए किसान भाई इस बागवानी फसल की खेती करने से पहले सामान्य जानकारी लेकर, लाभदायक खेती बना सकते है –

भूमि का चयन :- नींबू की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चयन करना आवश्यक होता है | नींबू एक पौधा है, जो हल्की नमी वाले सुखे क्षेत्रो में भी उग सकता है | नींबू की खेती के लिए उपयुक्त भूमि में अधिक मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम होना चाहिए | भूमि के अलावा, नींबू के लिए शीत ऋतु में भी अधिक गर्म भूमि उपयुक्त होती है |

उपयुक्त रोपण :- नींबू की खेती दिसंबर-अप्रेल में रोपाई शुरू की जाती है | इस वर्ष के समय रोपण दौर में, एक समान अंतराल पर दो पौधों के बीच 15 फीट की दूरी रखनी चाहिए |

पौधों की देखभाल :- पौधों की देखभाल में नींबू की खेती के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है | समय समय पर किट-रोग देखभाल, मिटटी की जुताई, साल में 2 बार जैविक खाद देना, सिंचाई की अच्छी व्यवस्था रखना, पौधो की कटाई, फलों की समय पर तुडाई आदि खेती को सफल और मुनाफेदार बनाते है |

उपयुक्त जलवायु और मिट्टी ?

नींबू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी के बारे में निम्नलिखित जानकारी दी गई है :-

जलवायु :-

  • हल्की उष्णकटिबंधीय और आद्र जलवायु की नींबू की खेती के लिए सबसे अच्छा होता है |
  • नींबू के लिए शीत ऋतु में ठंडी हवाएं उपयुक्त होती है, जो इस पौधे के लिए बहुत आवश्यक होती है |
  • नींबू के लिए न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक जाना चाहिए |

मिट्टी :-

  • नींबू की खेती के लिए उत्तम मिट्टी लाल दोमट, जीवाश्ममृत से भरी, संकरी मिट्टी होती है |
  • नींबू की खेती के लिए जमीन की पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच होनी चाहिए |
  • उपयुक्त मिट्टी का परीक्षण करने के लिए जमीन विश्लेषण के लिए स्थानीय कृषि विभाग द्वारा प्रदान की जाने वाली सलाह का उपयोग किया जा सकता है |

नींबू के पौधों की रोपाई का सही समय ?

नींबू के पौधों की रोपाई का सही समय नीचे दिए गए अनुसार होता है :-

  • अगर आप सिंचाई सुविधा में नींबू की खेती करते है, तो तब आप जनवरी से जून के बीच तक नींबू की रोपाई कर सकते है |
  • नींबू पौध रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय सुबह या शाम के समय होता है, जब धूप नहीं होती है |

हाइब्रिड नींबू के पौधे कहाँ मिलेंगे ?

हाइब्रिड नींबू के पौधे किसी भी सरकार से पंजीकृत पौध नर्सरी, पौध विक्रेता, कृषि विधालय, ऑनलाइन स्तर पर उपलब्ध होते है | आप अपने निकटतम कृषि सेवा केंद्र या नर्सरी में जाकर भी हाइब्रिड नींबू के पौधे खरीद सकते है | विभिन्न वेबसाइटों पर भी आपको बहुत से विकल्प मिलेंगे जहां से आप हाइब्रिड नींबू के पौधे ऑनलाइन खरीद सकते है |

नींबू बाग की तैयारी ?

नींबू बाग तैयार करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें :-

भूमि की तैयारी :- अधिक मात्रा में जीवाणु और खनिज मौजूद वाली मिटटी की 3 से 4 अच्छी जुताई करनी चाहिए | बाग के लिए भूमि को लम्बाई, चौड़ाई एवं गहराई में 60*60*60 सेमी में खोदा जाना चाहिए और उसमें 4 kg कंपोस्ट, 2 kg सुल्फेट ऑफ पोटाश और 2 kg सुपरफॉस्फेट मिलाएं |

नींबू का पेड़ कितनी दूरी पर लगाना चाहिए / रोपण :- नींबू के पौधे को दिसंबर और जनवरी के महीनों में रोपा जा सकता है| इसके लिए, बाग में 5 मीटर दूरी पर खोदे गए खातों में पौधों को रोपा जाता है |

देखभाल :- नींबू के पौधों को नियमित रूप से किट-रोगों की देखभाल और उनका निवारण करते रहना चाहिए | पत्तियों का झड़ना, पिला पड़ना, फूल फल आने के समय अच्छी देखरेख आदि काम बागवानी को सफल बनाते है |

नींबू के पेड़ में कौन सी खाद डालना चाहिए?

बागवानी तैयारी के समय गड्ढों में जैविक खाद और रासायनिक खाद दोनों का उपयोग किया जा सकता है |

जैविक खाद के लिए, घर के बनाए गए कंपोस्ट या गोबर, पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग किया जा सकता है | यह फसलों के लिए उपयुक्त तत्वों का एक समृद्ध स्रोत होगा जो फसल के प्रभावकारी प्रतिरोध को कम कर सकता है और मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है |

दूसरी तरफ, रासायनिक खाद में सिंगल सुपर फास्फेट, यूरिया, जिप्सम, पोटाश, फंगिसाईट के लिए रीजेंट, फोरेट आदि दवाईयों का साल में 1-2 प्रयोग कर सकते है |

नींबू की बागवानी सिंचाई ?

नींबू की बागवानी में समय-समय पर सिंचाई करना बहुत जरूरी होता है | जड़ो में नमी का संतुलन नींबू के पौधो में वृद्धि और अच्छी पैदावार में बहुत अहम भूमिका निभाता है |

सिंचाई का प्रबंधन :- नींबू की खेती के लिए अच्छी सिंचाई की व्यवस्था होनी चाहिए, इसके लिए ड्रिप सिंचाई का विकल्प सबसे अच्छा माना गया है | पौधो को अधिक पानी देने से नींबू की पत्तियों पर फंगस संक्रमण हो सकता है, जो बागवानी को प्रभावित कर सकता है |

नींबू पेड़ो की कटाई कब करें ?

नींबू के पेड़ों की कटाई का समय प्रमुखतः दो स्थितियों में किया जाता है –

नींबू की फसल खेत में लगाई गई हो :-

छोटे पौधो में अच्छी फुटाव और शाखाओ में बढ़ोतरी के समय, भूमि से 2 से 3 फीट ऊंचाई से करनी चाहिए | उतरी भारत में नींबू के पेड़ों की कटाई को जुलाई से सितंबर के महीनों के बीच किया जाता है | यह समय फल की पकावत के आधार पर निर्धारित किया जाता है |

नींबू के पेड़ों की ताकत को बढ़ाने के लिए :-

पौधो में यह कटिंग हर साल करनी चाहिए, क्योकि इससे नींबू के पेड़ों की ताकत और पैदावार में बढ़ोतरी देखने को मिलती है, तो उन्हें अक्टूबर से दिसंबर के महीनों में काटा जा सकता है | इस समय पर पेड़ों में नहीं फल होते है और इसलिए उन्हें काटने से पेड़ को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है |

साथ ही, नींबू के पेड़ों की कटाई करने से पहले सुनिश्चित करें कि पेड़ स्वस्थ है और उनमें किसी भी तरह की रोगों और कीटाणुओं का प्रभाव नहीं है |

नींबू-की-खेती-कैसे-करें

1 एकड़ नींबू की बागवानी से कितनी कमाई हो सकती है ?

एक एकड़ में नींबू की खेती से कमाई उन्नत तकनीकों, उपयुक्त जलवायु और मिट्टी के आधार पर भिन्न हो सकती है | नींबू की खेती से अधिकतम कमाई उन किसानों ने की है, जो उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए, उचित प्रबंधन के साथ खेती करते है |

अधिकतम कमाई एक एकड़ में 10 से 15 लाख रुपये तक हो सकती है | यह आपकी नींबू की वैरायटी, उत्पादन की मात्रा, बाजार की मांग और मूल्य निर्धारण पर निर्भर करता है |

नींबू का बाग की प्रमुख देखरेख और सावधानियां ?

नींबू की खेती के दौरान कुछ प्रमुख देखभाल और सावधानियां निम्नलिखित है :-

  • नींबू की खेती से पहले, बाग की तैयारी अच्छी तरह से की जानी चाहिए | इसमें मिट्टी की उचित तैयारी, खाद का उपयोग, बीजों की उचित बुवाई और अन्य सुविधाएं शामिल होती है |
  • नींबू के पौधों को नियमित रूप से पानी देना जरूरी होता है |
  • नींबू के पौधों को ज़्यादा उर्वरक देने से उन्हें हानि पहुंच सकती है | इसलिए, उर्वरक का समय पर उपयोग करना चाहिए और कीटनाशक का भी संयम बरतना चाहिए |
  • नींबू के पौधों को फसल की उन्नति के लिए कई बीमारियों और कीटों से बचाना जरूरी होता है | इसलिए, नींबू के पौधों की सुरक्षा के लिए नियमित रूप से प्रतिरोधक दवाओं का उपयोग करना चाहिए |
  • सिंचाई सुविधाओ में ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग आज के समय करना सबसे अच्छा माना गया है |
  • समय पर फलों की तुडाई करके अच्छे लाभ के लिए समय पर अच्छे बाजार तक पहुँचाना चाहिए |
  • पेड़ो में किसी भी प्रकार की गम्भीर रोग-बीमारी होने पर कृषि सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए |

नींबू के पौधों में लगने वाले टॉप 7 रोग ?

नींबू के पौधों में लगने वाले टॉप 7 रोग समस्याए :-

कैंसर रोग – कैंसर रोग नींबू के पौधों पर लाल और गहरे रंग के दाग बनाता है, जिससे पत्तियाँ सूखने लगती है |

पाउडरी मिल्ड्यू – यह रोग ब्लैक स्पॉट रोग के साथ संबंधित होता है, जो नींबू के पौधों को बर्बाद कर देता है |

फुफ्फुस धमनी का प्रकोप – यह रोग आमतौर पर बरसात के मौसम में होता है, जो नींबू के पौधों को प्रभावित करता है |

एन्थ्रेक्नोज रोग – यह रोग नींबू के पेड़ों पर नीचे से उपर की और लाल रंग के दाग बनाता है, और इससे पत्तियां सूख जाती है |

फुफ्फुस छेद – यह रोग फुफ्फुस धमनी के समान होता है लेकिन इसमें पेड़ की छेद हो जाती है, जिससे पत्तियां झर जाती है |

सीट्रस रसीदता – यह रोग नींबू के पेड़ों पर सफेद या पीले रंग के दाग बनाता है, जो नींबू के फलों को भी खराब करता है |

नींबू की 3g कटिंग क्या है?

3G कटिंग नींबू के पौधों के नए पौधों को तैयार करने का एक विधि है | इस विधि में, लंबे स्तंभ वाले नींबू के पेड़ के कुछ छोटे शाखाओं को काटकर नए कपले, शाखाये उत्पन्न किए जाते है | यह तरीका नींबू की खेती में प्रयुक्त तकनीकों में से एक है, जिससे बहुत सारे पौधे एक ही समय में उत्पन्न किए जा सकते है | 3G कटिंग तरीका सरल होता है, इसे किसान आसानी से सीख सकते है |

नींबू की सर्वोधिक व्यवसायिक खेती कहाँ पर होती है?

भारत में नींबू की सबसे अधिक व्यवसायिक खेती महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, अंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में होती है | महाराष्ट्र और गुजरात भारत में सबसे बड़े नींबू उत्पादक है, जहां नींबू की व्यवसायिक खेती को सफलता प्राप्त हो गई है |

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